मैनपुरी

मैनपुरी में तैनात हैं कई फर्जी शिक्षिका, सुप्रिया, अनीता, दीप्ती के बाद अब प्रीती यादव की मिली फर्जी तैनाती

Shiv Kumar Mishra
15 Jun 2020 12:28 PM IST
मैनपुरी में तैनात हैं कई फर्जी शिक्षिका,  सुप्रिया, अनीता, दीप्ती के बाद अब प्रीती यादव की मिली फर्जी तैनाती
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मैनपुरी. अनामिका शुक्ला के नाम फार फर्जी शिक्षकों की तैनाती का खुलासा होने के बाद मैनपुरी का नाम पूरे प्रदेश गूंज रहा है. लेकिन अब तक जो मामले सामने आए हैं, उनमें एक ही मास्टरमाइंड का खुलासा हो रहा है. पहले सुप्रिया, फिर अनीता, दीप्ति और अब प्रीति यादव की फर्जी तैनाती सामने आई है. मैनपुरी शिक्षा विभाग इन फर्जी शिक्षकों को लेकर हैरान है. दो फर्जी शिक्षिकाएं अब तक जेल जा चुकी हैं और दो फर्जी शिक्षकों की तलाश चल रही है. देर रात प्रीति यादव नाम की जिस शिक्षिका का पता मैनपुरी बताया गया, उस पते पर फिलहाल कोई प्रीति यादव नहीं मिली.

जौनपुर के बीएसए ने मैनपुरी के रामनगर निवासी प्रीति यादव पुत्री लाल बहादुर यादव के नाम धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई है. आरोप है कि प्रीति यादव ने जौनपुर के मुफ्तीगंज ब्लॉक में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी हासिल की. मैनपुरी में सत्यापन के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आया. जांच मैनपुरी तक पहुंची. हालांकि प्रीति यादव के मैनपुरी वाले बताए गए पते पर कोई नहीं मिला. न ही प्रीति पुत्र लाल बहादुर यहां कभी रहती थी.

कस्तूरबा गांधी विद्यालय में फर्जीवाड़े के खुलासे नए-नए सामने आ रहे हैं, लेकिन सवाल इस बात का है कि पहले सुप्रिया, फिर अनीता, दीप्ति और अब प्रीति ने जनपद के शिक्षा विभाग की ही नहीं बल्कि सूबे के शिक्षा विभाग की भी होश उड़ा दिए हैं. शासन-प्रशासन सवालों के घेरे में हैं, लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार इन नियुक्तियों में क्या गलत हुए और कैसे नियुक्तियों को कराया गया. अब तक की जांच में एक बात तो लगभग तय हो चुकी है कि इसमें सिर्फ कोई एक सक्रिय गिरोह तो है ही, लेकिन इसके अलावा विभागीय अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल है.

जौनपुर में प्रीति यादव के फर्जीवाड़े का खुलासा होते ही मैनपुरी शिक्षा विभाग अब इस जांच में जुट गया है कि आखिरकार इन सभी फर्जी शिक्षिकाओं का मैनपुरी कनेक्शन कैसे माना जा रहा है. मैनपुरी का सरगना पुष्पेंद्र सिंह है, जिसने इन सभी शिक्षिकाओं को बारी-बारी से मोटी रकम लेकर अधिकारियों की सांठगांठ से नौकरी दिलाई थी. यह तो जांच के बाद ही पता लगेगा. हालांकि जांच चरम पर है. खुलासे देरी से हो रहे हैं, लेकिन देखने वाली बात है कि क्या दोषियों को देर से ही सही दंड मिल पाएगा या नहीं?

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