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मथुरा के छात्रवृत्ति घोटाले में जिला समाज कल्याण अधिकारी निलंबित, फर्जीवाड़े में शामिल निजी कॉलेज भी होंगे ब्लैक लिस्ट
23 करोड़ रुपये की अनियमितता,गबन की हुई है पुष्टि,सीएम योगी ने की कार्रवाई
घोटाले में शामिल सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और संस्थाओं के खिलाफ होगी एफआईआर
फर्जीवाड़े में शामिल निजी कॉलेज भी होंगे ब्लैक लिस्ट
राज्य मुख्यालय लखनऊ।मथुरा जिले के निजी आईटीआई संस्थानों में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में अनियमितता, भ्रष्टाचार और गबन के चर्चित मामले में मथुरा के जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया है।इसके साथ ही, भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा सम्बंधित संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी तथा संबंधित आईटीआई कॉलेजों को शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस कार्रवाई की जानकारी बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट करके दी है।
मथुरा जिले के चार दर्जन से अधिक निजी आईटीआई कॉलेजों में हुए इस गड़बड़झाले के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जाँच कराई गई थी।जाँच समिति ने अलग-अलग तरीकों से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर करीब 23 करोड़ रुपये गबन होने की बात पाई है। यही नहीं, दर्जन भर अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत की भी पुष्टि हुई है।अब सीएम योगी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुरूप सभी दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों व संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर कराने के आदेश दिए हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
मान्यताविहीन संस्थाओं में दाखिला लेने वाले छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित करने के लिए स्टेट काउंसिल फ़ॉर वोकेशनल ट्रेनिंग, लखनऊ की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, अब इनके खिलाफ भी जाँच होगी।तीन सदस्यीय जाँच समिति ने पाया कि 11 मान्यताविहीन शिक्षण संस्थानों में करीब 253.29 लाख का गबन हुआ, जबकि 23 कॉलेजों में पांच हजार से अधिक छात्रों ने कोर्स ही पूरा नहीं किया और उन्हें करीब 969 लाख की छात्रवृत्ति मिल गई। कई निजी आईटीआई कॉलेजों में स्वीकृत सीट के सापेक्ष करीब पाँच हजार दाखिले अतिरिक्त कर लिए गए।इन्हें भी छात्रवृत्ति दिलाई गई। वहीं, 38 कॉलेजों में 100 से अधिक समान नाम, पिता का नाम और समान जन्म तिथि वाले फर्जी छात्रों को भी शुल्क प्रतिपूर्ति कराई गई।यही नहीं फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर भी छात्रों के दाखिले करने और उन्हें छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति कराने का काम भी हुआ।
सीएम योगी ने अब सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश दिए हैं।मुख्यमंत्री की इस कार्रवाई के बाद समाज कल्याण विभाग में हड़कंप मचा हुआ है देखना यह है कि जिस तरह से कार्रवाई करने की बात कही जा रही हैं क्या इसी तरह कार्रवाइयाँ भी की जाएगी या दोषी अधिकारी अपने सियासी आंकाओं के ज़रिए अपने आप को बचाने में कामयाब हो जाएँगे।
इतना ही नहीं अभी और भी उत्तर प्रदेश में बड़े घोटाले खुलते नजर आयेंगे
188 गावों में पकड़ी गई 17 करोड़ 43 लाख की गड़बड़ी
अंबेडकरनगर जिले के नौ ब्लाकों के 188 गांवों में विकास के नाम पर करोड़ों का खेल उजागर हुआ है। संपर्क मार्ग, खड़ंजा, इंटरलाकिग, हैंडपंप मरम्मत, सोलर लाइट, स्ट्रीट लाइट, पौधारोपण, ह्यूमपाइप, सीसी मार्ग सहित अन्य कार्यों के नाम पर सरकारी धन की बंदरबांट की गई है। वर्ष 2005 से लेकर 2018 तक कराए गए 17 करोड़ 43 लाख 49 हजार रुपये के विकास कार्याें का लेखाजोखा देने में प्रधान नाकाम रहे हैं। इसका खुलासा जिला लेखा परीक्षा विभाग की ऑडिट में हुआ है। अनियमितता पकड़े जाने के बाद आनन-फानन में जिला पंचायत राज अधिकारी शेषदेव पांडेय ने सभी ब्लॉकों के सहायक विकास अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
-विकास कार्याें के नाम पर सरकारी धन का हो रहा बंदरबांट: विकास खंड अकबरपुर के 43 गांव में तीन करोड़ 17 लाख 87 हजार, टांडा के 32 गांव में दो करोड़ 28 लाख 35 हजार, कटेहरी के 12 गांव में एक करोड़ 12 लाख एक हजार 490, जलालपुर के 21 गांवों में एक करोड़ 73 लाख 29 हजार 745 रुपये, जहांगीरगंज के 25 गांव में चार करोड़ 70 लाख पांच हजार 270 रुपये, विकास खंड रामनगर के 19 गांव में एक करोड़ 44 लाख दो हजार 143 रुपये, भीटी के 23 गांवों में दो करोड़ 42 लाख 68 हजार 482 रुपये, बसखारी के दो गांवों में 13 लाख 24 हजार 696, भियांव के 11 गांवों में 41 लाख 95 हजार 279 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई है।
अनियमितता पकड़े जाने पर होगी कार्रवाई: पंचायत चुनाव से पहले शासन ने प्रधानों द्वारा कराए गए विकास कार्याें की जांच का आदेश दिया है। प्रधानों को आवंटित और विकास के नाम पर कराए गए कार्याें का भौतिक सत्यापन भी कराया जाना है। प्रधानों के कार्यकाल में कितनी धनराशि आवंटित की गई और कितने से विकास कार्य कराए गए, इसका भी भौतिक सत्यापन कराया जाना है। अनियमितता मिलने पर प्रधान चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। अब जब ऑडिट में सैकड़ों गांवों में करोड़ों की अनियमितता उजागर हुई है तो इन प्रधानों के चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है। गांव में कराए गए विकास कार्याें में आडिट के दौरान गड़बड़ी मिलने का मामला संज्ञान में है। जांच कराई जा रही है। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
घनश्याम मीणा मुख्य विकास अधिकारी
शौचालय निर्माण में 23 लाख का गबन
सुल्तानपुर जिले के लंभुआ के बरुआ उत्तरी गांव में शौचालय निर्माण में करीब 22 लाख रुपये की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। जांच में निवर्तमान ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव को गबन का आरोपी पाया गया है।
रिपोर्ट मिलने पर जिला मजिस्ट्रेट ने ग्राम प्रधान को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। समय से जवाब नहीं मिलने पर कार्रवाई का आदेश दिया है। डीएम के निर्देश पर डीपीआरओ ने सेक्रेटरी को नोटिस जारी किया है।
लंभुआ विकास खंड के बरुआ उत्तरी ग्राम पंचायत में शौचालयों के निर्माण में गड़बड़ी का खुलासा भूमि संरक्षण अधिकारी की जांच में हुआ है। यह जांच एक शिकायत पर कराई गई। गांव में बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण कराए बिना ही पंचायत सचिव व ग्राम प्रधान ने धनराशि आहरित कर ली।
जांच में एक-एक लाभार्थी के कराए गए सत्यापन में 171 प्रसाधनों का निर्माण बताए गए स्थल पर नहीं पाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 171 प्रसाधनों के करीब 20.52 लाख रुपये ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव ने मिलकर बैंक खाते से निकाल लिए।
इसके साथ ही सत्यापन में 49 शौचालयों का निर्माण अधूरा पाया गया है। अधूरे निर्माण के बाद भी शौचालयों की धनराशि आहरित कर ली गई है। इसमें एक लाख 22 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि का दुरुपयोग पाया गया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक बरुआ उत्तरी ग्राम पंचायत में 567 प्रसाधनों के निर्माण का लक्ष्य दिया गया था।
इसके लिए प्रति शौचालय 12 हजार रुपये की दर से बैंक खाते में ब्याज समेत खाता संचालन के समय से एक जनवरी 2021 तक करीब 69.83 लाख रुपये पाए गए। इसमें करीब 23 लाख रुपये का दुरुपयोग व गबन ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव ने मिलकर कर लिया है। जांच रिपोर्ट मिलने पर जिला मजिस्ट्रेट रवीश गुप्ता ने ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्रवाई का नोटिस जारी किया है।
डीएम ने 15 दिन के भीतर ग्राम प्रधान से आरोपों के संबंध में जवाब मांगा है। डीएम के निर्देश पर डीपीआरओ आरके भारती ने पंचायत सचिव आशा गुप्ता को नोटिस जारी किया है। उन्होंने पंचायत सचिव को 15 दिन में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रसाधन निर्माण में अनियमितता सरकार की मंशा को धूल धूसरित करने वाली है। शौचालयों के निर्माण में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अनियमितता मिलने पर बरुआ उत्तरी गांव में कार्रवाई की गई है।
- आरके भारती, जिला पंचायतराज अधिकारी