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मास्साब का बुरा हाल, बेच रहे है सब्जी और काट रहे है बाल
मास्साब का बुरा हाल, बेच रहे सब्जी और काट रहे बाल
शिक्षा मित्रों को सिर्फ 11 माह मानदेय मिलने से जून में झेलते हैं आर्थिक संकट, परिवार का पेट पालने के लिए शिक्षा मित्र कर रहे अन्य कार्य
चंद्रशेखर गौड़,
मथुरा। कक्षा में दो दूनी चार पढ़ाने वाले मास्साब जब बाल काटते मिले तो बच्चे हैरान रह गए। ताजुब्ब तो तब हुआ जब पापा के साथ जिस टेंपो में बैठकर बाजार गए थे, उसे अंग्रेजी पढ़ाने वाले सर चला रहे थे। ये दोनों ही व्यक्ति शिक्षा मित्र हैं।
सरकार की एक नीति ने बच्चों के लिए दिहाड़ी मजदूर बना दिया है। शिक्षा विभाग शिक्षा मित्रों को 11 माह का ही मानदेव देता है, ऐसे में एक लिए अन्य काम करने को मजबूर हैं। कई शिक्षा मित्र राजमिस्त्री का काम कर रहे हैं तो कोई ई रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रहा है तो कोई दर्जी का काम कर रहा है।
विनोद प्राथमिक विद्यालय कोटा ब्लॉक मथुरा में कार्यरत हैं। फिलहाल ई रिक्शा चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं। बड़े बेटे ने 12वीं पास की है। दूसरा 12वीं में है। बेटी कक्षा चार में पढ़ रही है। मां की भी जिम्मेदारी है। पिताजी का स्वर्गवास हो चुका है। 20 वर्षीय भाई है, जिसकी शादी का जिम्मा भी उन्हीं है।
शिक्षा मित्र जयंती देवी प्राथमिक विद्यालय चौमुहा में कार्यरत हैं। इन दिनों में घर में बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही हैं साथ ही सिलाई का काम करती हैं इनकी सास भी इनके साथ ही रहती हैं। दो बेटे हैं एक बीए में पढ़ रहा है तो दूसरा कक्षा 6 में है। बच्चों के साथ-साथ की भी जिम्मेदारी इनके ऊपर ही है।
धीरज कुमार प्राथमिक विद्यालय भागलपुर ब्लॉक मथुरा में तैनात हैं इन दिनों गांव में घर घर जाकर बाल काटने का काम कर रहे हैं। बुजुर्गों मां पिता की जिम्मेदारी भी इन पर है बेटा बेटी है जो करीब 15 वर्ष की है और सभी बच्चे पढ़ रहे हैं।
किशन सिंह प्राथमिक विद्यालय बाटी ब्लॉक मथुरा में तैनात हैं अभी राजमिस्त्री का काम कर रहे हैं इनके 5 बच्चे हैं माता-पिता बुजुर्ग हो चुके हैं एक छोटी बहना जिसकी शादी की जिम्मेदारी इन्हीं की है 5 बच्चे अभी पढ़ रहे हैं इनकी पढ़ाई का बोझ भी इनके सर पर है।
हरप्रसाद नगला नगर जी ब्लॉक राया में कार्यरत हैं फिलहाल राजा के बिचपुरी में सब्जी बेचकर परिवार का पेट पाल रहे हैं इनके पास खेती-बाड़ी भी नहीं है परिवार में मां पिता पत्नी और दो बेटियां हैं सभी की जिम्मेदारियों का बोझ नहीं के कंधे पर हैं।
इंद्राज सिंह नगला सीता ब्लॉक मथुरा में तैनात हैं इंदिरा जिन दिनों कपड़े सिलाई कर जीवन यापन कर रहे हैं इनके दिल में छेद था जिसका कर्ज लेकर ऑपरेशन कराया डॉक्टर ने सिलाई का काम करने से मना किया है लेकिन घर चलाने के लिए मजबूरी में अपना काम छोड़ नहीं पा रहे हैं।
वर्ष 2014-15 में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार काम कर रही थी उस समय प्रदेश भर में शिक्षामित्रों का समायोजन किया गया था। इससे जिले के 1567 शिक्षामित्रों का समायोजन हो गया था करीब 400 शिक्षा में स्थानीय शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही के चलते समायोजित नहीं हो सके थे। वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन रद्द कर दिया और सभी शिक्षामित्रों की पुनः अपने मूल पद पर वापसी हो गई थी।
वर्ष 2017 में बीजेपी की योगी सरकार ने इनका मानदेय 3500 बढ़ाकर ₹10000 कर दिया। जबकि समायोजन के समय इनका वेतन ₹40000 था लेकिन सरकार कभी यह नहीं कहा कि हमने का वेतन अपने कार्यकाल के दौरान 40,000 से 10,000 कर दिया उन्होंने विधानसभा में भी यही कहा कि हमने इनका वेतन साडे ₹3000 से ₹10000 कर दिया।
शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष हेम सिंह चौधरी ने कहा मानदेय बड़े 6 वर्ष बीत चुके हैं महंगाई बहुत बढ़ चुकी है शिक्षामित्र हर तरीके से विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है अप्रैल को मई माह का मानदेय आज तक नहीं मिल सका है हम अपना परिवार कैसे चलाएं यह समझ नहीं पा रहे हैं।