मथुरा

राजस्थान के राजा मान सिंह हत्याकांड में सजा का ऐलान, सभी दोषी 11 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद

Shiv Kumar Mishra
22 July 2020 5:40 PM GMT
राजस्थान के राजा मान सिंह हत्याकांड में सजा का ऐलान, सभी दोषी 11 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद
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अदालत के फैसले पर राजामानसिंह के परिजनों ने खुशी जाहिर की। राजा मान सिंह की बेटी दीपा ने इस दौरान कहा कि न्याय देर से ही मिला पर न्याय मिला। वहीं आरोपी पक्ष के वकील ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद वह उच्च न्यायालय अपील करेंगे।

रजत शर्मा

राजस्थान के भरतपुर के राजा मान सिंह के 35 साल पहले हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में मथुरा के डिस्ट्रिक्ट व सत्र न्यायलय ने बुधवार को सजा का ऐलान कर दिया। कोर्ट ने सभी दोषी 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

पुलिस एनकाउंटर में राजा मानसिंह सहित 3 की मौत हुई थी। कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के अनुसार धारा 148 में 2 वर्ष का कारावास व 1 हज़ार रुपये जुर्माना लगाया गया है। धारा 302, 149 में आजीवन कारावास व 10 हज़ार जुर्माना लगाया गया है।

अदालत के फैसले पर राजामानसिंह के परिजनों ने खुशी जाहिर की। राजा मान सिंह की बेटी दीपा ने इस दौरान कहा कि न्याय देर से ही मिला पर न्याय मिला। वहीं आरोपी पक्ष के वकील ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद वह उच्च न्यायालय अपील करेंगे।

मंगलवार को किए गए दोषी करार

दरअसल मंगलवार को जिला जज साधना रानी ठाकुर ने फैसला सुनाते हुए 11 पुलिसकर्मियों को आईपीसी की धारा 148 ,149 ,302 के तहत दोषी पाया। तत्कालीन सीओ कान सिंह भाटी व एसओ वीरेंद्र सिंह सहित 11 पुलिसकर्मियों दोषी करार दिया गया। वहीं अदालत ने जेडी में हेरफेर के आरोपी 3 पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया।

जाने क्या है मामला?

दरअसल, 21 फरवरी 1985 को उस समय राजा मानसिंह की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गयी थी जब वह चुनाव प्रचार के दौरान डीग अनाज मंडी में थे। इस फर्जी एनकाउंटर मामले के मुख्य आरोपी डीएसपी कान सिंह भाटी समेत 17 पुलिसवाले आरोपी थे।

एनकाउंटर से एक दिन पूर्व राजा मान सिंह पर राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हेलीकॉप्टर तथा मंच को अपने जोगा गाड़ी से तोड़ने का आरोप लगा था। इसके लिए राजा मानसिंह के खिलाफ दो अलग-अलग मुक़दमे भी कायम हुए थे। घटना के वक्त राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और शिव चरण माथुर मुख्यमंत्री थे। इस मामले में डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 17 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र सीबीआई ने दाखिल किया था। इस मामले की सुनवाई मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायालय में चल रही थी।

राजा ने सीएम के हेलिकॉप्टर में घुसा दी थी अपनी जीप

पुलिस के अनुसार यदि घटनाक्रम की बात करें तो इस हत्याकांड से पूर्व राजा मान सिंह ने अपने जोंगे गाड़ी से मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर व चुनावी सभा के मंच को टक्कर मारी थी. उसके संबंध में दो अलग-अलग मुकदमे 307 में राजा मानसिंह उनके साथियों के विरुद्ध दर्ज हुए थे। 21 तारीख को पुलिस को सूचना मिली कि राजा मानसिंह आज फिर किसी वारदात को अंजाम देने वाले हैं। इस सूचना पर सीओ डीग कान सिंह भाटी और तत्कालीन थानाध्यक्ष धीरेंद्र सिंह अन्य पुलिसकर्मी को लेकर राजा मानसिंह की गिरफ्तारी के लिए चले और अनाज मंडी में राजा मानसिंह से पुलिसकर्मियों का आमना सामना हो गया।

सीओ कान सिंह भाटी ने राजा को रुकने का इशारा किया, लेकिन राजा और पुलिस की भिड़ंत हो गयी। पुलिस के अनुसार आत्मरक्षा में गोली चलाई जिसमें राजा मान सिंह और उनके दो साथी सुमेर सिंह और हरि सिंह घायल हुए और तीनों लोगों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। पुलिस ने मौके से इस हत्याकांड के वादी विजय सिंह व अन्य लोगों को गिरफ्तार किया और 307 का मुकदमा इन लोगों के विरुद्ध कायम किया। बाद में रात्रि को ही विजय सिंह को भरतपुर बुलाया गया और विजय सिंह को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। उसके दो दिन बाद विजय सिंह की ओर से इस मामले का मुकदमा लिखाया गया।

सीबीआई ने की मामले की जांच

इस हत्याकांड की प्रारंभिक विवेचना राजस्थान पुलिस ने की और उसके बाद इस केस की विवेचना सीबीआई को ट्रांसफर हुई. मार्च 1985 में सीबीआई ने जांच शुरू की और विवेचना के बाद 18 लोगों के खिलाफ इस केस में आरोप पत्र प्रेषित किया। जिनमें से एक अभियुक्त महेंद्र सिंह जो सीओ कान सिंह भाटी का ड्राइवर था उसको डिस्चार्ज कर दिया गया और 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। सुनवाई के दौरान 3 अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है वर्तमान में 14 लोगों पर आरोप है।

35 सालों से न्याय की आस में लड़े जा रहे मुकदमे की 1989 तक राजस्थान में ही सुनवाई हुई। उसके बाद वादी पक्ष की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष ट्रांसफर एप्लीकेशन लगाई गई और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से ट्रांसफर होने के बाद मथुरा जनपद में यह केस ट्रांसफर हुआ और अब इस मामले कि सुनवाई मथुरा के सत्र न्यायाधीश के यहां हुई। अभियोजन व बचाव पक्ष की ओर से कुल 78 गवाहों की गवाही के बाद फैसला आया है।

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