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मुख़्तार अंसारी को पैरोल माँ के जनाजे के लिए नहीं मिली थी, तो क्या अब चालीसवें में नहीं हो सकेंगे शामिल?
उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा के पूर्वांचल के बाहुबली के नाम से जाने जाने वाले विधायक मुख्तार अंसारी की माँ का देहांत बीते साल दिसंबर माह में हो गया था. लेकिन उनके जनाजे में उनको पैरोल नहीं मिली. जबकि उनकी माँ स्वतन्त्रता सेनानी की पत्नी भी थी और उनके बेटे मुख़्तार अंसारी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी है. जबकि कोर्ट के निर्देशानुसार आम आदमी को भी माँ बाप के निधन पर पैरोल मिल जाती है. लेकिन राजनैतिक प्रतिशोध के चलते उनको पेरोल नहीं मिली और उनका इंतजार करते हुए उनके शव को दफनाया गया.
अब उनका अंतिम कार्यक्रम गुरुवार को है. उस दिन उनके परिजनों द्वारा चालीसवें का आयोजन किया गया है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़ उनको पेरोल सम्बंधी कोई जानकारी नहीं मिली है. जबकि परिजन पूरी उम्मीद से सरकार की तरफ टकटकी लगाये इन्तजार में बैठे है कि काश उनके बेटे मुख़्तार अंसारी उनके इस अंतिम भोज में शामिल हो सके. लेकिन हमको लग रहा है कि उनको पेरोल मिलना उतना ही कठिन कार्य है जितना सूर्य के लिए पश्चिम से निकलना है.
बता दें कि राजनीति में इतना प्रतिशोध होना जायज नहीं है जितना किया जा रहा है. एक विधायक बेटे को उसकी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी की विधवा माँ से अंतिम दौर में नहीं मिलने दिया और वो बार बार मुख़्तार कहते कहते खामोश हो गई. उसके बाद उनको जनाजे में भी शमिल होने की परमिशन नहीं मिली. काश सरकार को उनकी माँ के चालीसवें में शामिल होने की परमीशन देकर कोई एहसान कर दे.