मेरठ

कृष्ण का वैभव बरकरार, आईपीएस अजयपाल शर्मा और आईपीएस हिमांशु कुमार के खिलाफ FIR दर्ज

Shiv Kumar Mishra
23 Sep 2020 1:53 AM GMT
कृष्ण का वैभव बरकरार, आईपीएस अजयपाल शर्मा और आईपीएस हिमांशु कुमार के खिलाफ FIR दर्ज
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Vaibhav Krishna, IPS (SSP/GBN)

उत्तर प्रदेश के नोएडा जिले के तत्कालीन एसएसपी को नोएडा में तैनाती के दौरान कुछ अहम जिम्मेदारी दी गई. जिसको उन्होंने बखूबी निभाने का प्रयास किया. क्योंकि वैभव कृष्ण को जब इलाहाबाद पुलिस मुख्यालय से नोएडा की कमान सौंपी गई थी तब उस समय के मौजूदा एसएसपी डॉ अजय पाल शर्मा की जगह तैनाती मिली थी. तब उनकी बीजेपी के कई नेताओं ने माफिया गठजोड़ और भ्रष्टाचार की कई शिकायतें सीएम और तत्कालीन डीजीपी से की गई.

जब यह मामला सीएम के संज्ञान में आया तो उन्होंने डीजीपी को डॉ अजयपाल शर्मा को तत्काल हटाकर उनकी जगह किसी ईमानदार अफसर को तैनात करके उनके कारनामो की जांच करे ताकि शिकायतों का संज्ञान लिया जा सके. तब सीएम और डीजीपी की निगाह में ईमानदार अफसर के रूप में जाने वाले वैभव कृष्ण को नोएडा की कमान मिली. बस उन्होंने आकर इसकी जाँच शुरू की. अब उन्हें जनपद ने नियुक्त हुए नौ माह होने वाले थे. यकायक जांच में एक नए पहलू का जन्म हो चुका था. अब वैभव के हाथ कई सबूतों की फेहरिस्त आ चुकी थी जिसको उन्होंने एक पेन ड्राइव में सुरक्षित कर लिया था. लेकिन उस पेन ड्राइव को जब नोएडा से लखनऊ भेजा गया तो उच्चाधिकारियों तक पहुँचते ही उसे लगभग आधा माह बीत चुका था. अब बात जांच की कहकर ठंडे बस्ते में डाली जा चुकी थी.

तभी इस वाकये में एक नई बात सामने आई और मामले से पर्त हटना शुरू हुई. उसी दौरान एक वीडियो सामने आया जिसे वैभव कृष्ण का बताया गया. लेकिन यहीं एक वैभव से बड़ी भूल होना प्रसाशन ने मान लिया. लेकिन ईमानदार वैभव कृष्ण ने अपना सब कुछ दांव पर लगाते हुए वीडियो वायरल होने के महज कुछ घंटे बाद एक प्रेस वार्ता आयोजित की और उसमें एक गोपनीय रिपोर्ट शासन को भेजे जाने का खुलासा कर दिया. जो उनके लिए नुकसानदायक साबित हुई और 9जनवरी को उन पर गोपनीय रिपोर्ट की बात कहना गलत बताते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया.

उधर जब यह भनक उक्त ऑफिसरों को लगी तो उनकी बैचैनी बढनी तय थी. तभी जिलों में एसएसपी और एसपी बनने का ख्वाब पाले इन अधिकारीयों को एक और झटका लगा और अब इन्हें पीएसी भेजा जा चुका था. अब जांच यूपी के तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने अभी मौजूदा डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के निर्देशन में एक एसआईटी गठित कर दी जो इन अधिकारीयों की जांच करेगी. इस टीम ने काफी समय पहले रिपोर्ट दर्ज करने के संस्तुति कर दी थी लेकिन मार्च से लेकर अब तक फिर हीला हवाली होती रही. आज इस रिपोर्ट को मेरठ के विजिलेंस थाने में डॉ अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार पर केस दर्ज किया गया है.

इस दौरान अजय पाल शर्मा-इस सरकार में हाथरस ,शामली,नोयडा, रामपुर कप्तान रहे है जबकि हिमांशु कुमार ही सबसे पहले फिरोजाबाद एसपी होने के दौरान सस्पेंड किये गये थे और वहाल होने के बाद इस सरकार में सुल्तानपुर के कप्तान बनाये गये थे.

लेकिन सवाल जस का तस बना हुआ है जो इस जांच को रोके पड़ा है.तबादला सिंडिकेट में अबतक का सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर पैसे से जिला मिल रहा था तो पैसा कौन ले रहा था?इस यक्ष प्रश्न का जवाब के लिये युधिष्ठिर कौन बनेगा,वक्त बतायेगा?

अब इनके खिलाफ केस दर्ज हो चुका है तो पिछले नौ माह से सस्पेंशन झेल रहे बैभव कृष्ण को आज सुकून की नींद जरुर आई होगी. आखिर ऊनकी इमानदारी में एक खिताब और जुड़ गया जो प्रदेश ही नहीं देश में अँगुलियों पर गिने जाने वाले अधिकारीयों की फेहरिस्त में शामिल हो गये जिन्होंने अपना कैरियर दांव पर लगाकर इस नेक्सस का खुलासा किया है. अब जब उनकी बात सही निकली है तो अब सरकार उनका सस्पेंशन कब खत्म करती है यह अभी यक्ष प्रश्न बना हुआ है. सरकार को ऐसे अधिकारी का मनोबल बढाने के उद्देश्य से तुरंत बहाल करना चाहिए ताकि फिर कई वैभव इस देश में पैदा हों वरना अपना अपना वैभव बचाने के लिए कोई कृष्ण बनकर मैदान में नहीं आएगा.

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