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सपा ने नगर निगम के प्रत्याशियों की सूची जारी की, हाजी यूसुफ अंसारी बने मुरादाबाद नगर निगम से उम्मीदवार

सपा ने नगर निगम के प्रत्याशियों की सूची जारी की, हाजी यूसुफ अंसारी बने मुरादाबाद नगर निगम से उम्मीदवार
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समाजवादी पार्टी ने नगर निगम के प्रत्याशियों की पहले चरण की सूची जारी कर दी है। जिसमें मुरादाबाद से पूर्व सपा विधायक हाजी यूसुफ अंसारी को मेयर पद का प्रत्याशी घोषित किया गया है। यहां पार्टी ने धार्मिक आधार पर सीट पर प्रत्याशी घोषित किया है। नगर निगम सीट पर हिन्दू और मुस्लिम वोटरों में ज्यादा अंतर नही है। इसमें भी मुस्लिम वोटरों में सबसे अधिक अंसारी वोटर है इसलिए अंसारी बिरादरी को सपा ने टिकट दिया है।


मेयर सीट के लिए 2012 में 5 लाख 54 हजार 231 वोटर थे। 2016 में वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण में करीब 18 हजार 755 मतदाता बढ़े। जिसके बाद 2017 में होने वाले चुनाव में मतदाता की संख्या 6,036,20 हो गई है मुरादाबाद शहर सीट से मेयर सीट के लिए समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक हाजी युसूफ अंसारी को मैदान में उतारा है। पीतल कारोबारी और प्रोपर्टी डीलर युसूफ अंसारी ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के टिकट पर मेयर का चुनाव लड़कर की थी। मेयर का चुनाव हारने के बाद हाजी युसूफ अंसारी ने समाजवादी पार्टी का हाथ थामा था और 2012 में विधानसभा में सपा से चुनाव में टिकट हासिल किया। जिसमे अंसारी को कुल 88,341 वोट मिले थे और करीब 26238 वोट से जीत हासिल की थी।


सपा से विधायक रहते हुए काफी विवादों में रहने वाले हाजी युसूफ अंसारी को लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा है। 2016 में एक साल पहले हजारों लोगों ने उनके कार्यालय में घुसकर तोड़फोड़ की थी। आरोप था की उन्होंने मदरसे की जमीन भू माफियाओं को बेच दी थी। साथ राशन डीलरों से वसूली के आरोप में युसूफ अंसारी के भाई के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया था। संगठन में युसूफ अंसारी का काफी विरोध है ऐसे में इस चुनाव में उनकी राह आसन नही होने वाली है।


हाजी यूसुफ अंसारी सपा के पूर्व स्वस्थ मंत्री अहमद हसन अंसारी के बहुत करीबी है। अहमद हसन पार्टी में बहुत सीनियर नेता है और अखिलेश के करीबी है। 2017 में भी सपा से विधायक का चुनाव लड़ा था। जिसमें हाजी यूसुफ अंसारी को 120,274 वोट मिले थे और करीब 3193 वोट से हार का सामना करना पड़ा था। फिलहाल सपा ने मेयर सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा की है, सभी पार्टी से प्रत्याशियों की घोषणा के बाद देखना होगा कि जनता किस को पसंद करती है और इस बार ऊंट किस करवट बैठता है।

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