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देश मना रहा था गणतंत्र दिवस उधर भूख और गरीबी से जंग लड़ते हार गयी, मुस्लिम महिला "अमीर जहां" ​

देश मना रहा था गणतंत्र दिवस उधर भूख और गरीबी से जंग लड़ते हार गयी, मुस्लिम महिला अमीर जहां    ​
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भूंख से मौत से उत्तर प्रदेश सरकार पर भी सवालिया निशान खड़ा हो जाता है

देश जब गणतंत्र दिवस के जश्न की तैयारी कर रहा था तो वहीँ दूसरी ओर भूख और गरीबी से मुरादाबाद में एक महिला की मौत ने मौजूदा सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है। पड़ोसियों के रहमो करम पर तीन बेटियों के साथ रह रही अमीर जहां ने गुरूवार देर रात दम तोड़ दिया।


घटना के बाद से स्थानीय प्रशासन में हडकंप मच गया है। कोई भी इस घटना को भूख से मौत नहीं मानने को तैयार है। वहीँ इस मामले में राज्य मंत्री भूपेन्द्र चौधरी ने कहा की घटना बेहद दुखद है अगर महिला की भूख से मौत हुई है। जांच कराई जायेगी ,जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही होगी।

शहर के थाना मझोला के जयंतीपुर में तंगहाली से जूझ रही एक महिला अमीर जहां की बीमारी से मौत हो गई। महिला का पति पुणे में मजदूरी करता है। ढाई महीने से वह घर नहीं आया था। जिसकी वजह से घर में फाके की नौबत थी।

जिसकी गवाही घर में रखे साफ़ सुथरे गिनती के बर्तन दे रहे थे जिन्हें देखकर लग रहा था मानो मई दिनों से घर पर खाना नही बना था !महिला की तीन छोटी बच्चियों ने बताया कि वह तीन दिन से भूखी थीं। पड़ोसियों ने उन्हें खाना खिलाया। बच्चियों की मानें तो काफी दिनों से उनकी मां की सांस उखड़ती थी। गुरुवार रात को पड़ोसियों की मदद से बेटियां उसे जिला अस्पताल ले गईं। लेकिन डेढ़ घंटा के भीतर ही उसने दम तोड़ दिया।
मूल रूप से छजलैट के गांव फूलपुर के रहने वाले मो. यूनुस का परिवार जयंतीपुर में पुलिस चौकी के पास मकान में किराए पर रहता है। यूनुस रिक्शा चलाता था। लेकिन वह एक ठेकेदार के साथ मजदूरी करते पुणे चला गया।। उसकी पत्नी अमीर जहां (34)यहां अपनी तीन बेटियों तबस्सुम (14), रहनुमा (12)और मुस्कान (10) के साथ रहती थी। तबस्सुम ने बताया कि इस बार पैसे खत्म हो गए और घर में राशन तक नहीं बचा था। तीनों बहनों ने बताया कि तीन दिन से कुछ नहीं खाया था। कल रात बच्चियों के सिसकने की आवाज सुनकर सामने रहने वाली पड़ोसन उन्हें रोटियां दे गईं। पडोसी का कहना है कि बच्चियों ने तो रोटी खा ली लेकिन काफी कहने के बाद भी अमीर जहां ने कुछ नहीं खाया।


पडोसी फिरोज और रुकसाना ने बताया की ये लोग काफी दिनों से इस तरह का जीवन जीने को मजबूर थे। कई बार स्थानीय अधिकारीयों के पास भी गए की बीपीएल कार्ड बन जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। वहीँ अब तक उधार देने वाले दुकानदार रिजवान ने भी कहा कि कई बार मैंने इनके हालात को देखते हुए सामान दिया था. फ़िलहाल अब इस पूरे मामले की अधिकारीयों द्वारा जांच की बात की जा रही है। लेकिन अभी भी उसकी बेटियों के लिए कोई मदद नहीं पहुंची है। मृतका के अंतिम संस्कार के लिए पति का इन्तजार है और पड़ोसियों द्वारा चंदा किया जा रहा है

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