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- जयंत पहुंचे बेंगलुरू,...
उत्तर प्रदेश की राजनैतिक घमासान में पिछले कई दिनों से खबरें आ रही थी कि जयंत चौधरी भी एनडीए का हिस्सा बन सकते है। जहां ओमप्रकाश राजभर ने सपा से अलग होने के बाद अब एनडीए ज्वाइन कर लिया तो वहीं सपा विधायक रहे दारा सिंह चौहान ने भी बीजेपी ज्वाइन कर ली है। इस सबके बीच जयंत चौधरी को लेकर बहुत कयास लगाए गए।
चूंकि पीडीए और एनडीए की बैठक एक ही दिन है। जहां पीडीए बेंगलुरू में 18 जुलाई को बैठक बुला रहा है। तो एनडीए 18 जुलाई को अशोका होटल में बुला रहा है। इसको लेकर पूरा पक्ष और विपक्ष अपनी बैठक पर जोर लगाए हुए है।
पीडीए में जहां 26 दल इकठठे हो रहे है तो जिस एक नाम को लेकर बीजेपी माला जप रही है वहाँ 30 दल इकठठे हो रहे है। पिछले 9 साल सिर्फ और सिर्फ एक चेहरे पर काम करने वाली बीजेपी को अब सहयोगी दलों की याद आई है। और विपक्षी एकता को देखते हुए अपने सहयोगी दलों की बैठक बुलाई है। इससे साफ जाहीर है कि बीजेपी विपक्षी एकता से डरी हुई है।
फिलहाल बीजेपी सिर्फ और सिर्फ सत्ता जीतने की लिए सभी हथकंडे अपना रही है जबकि विपक्षी एकता होना भी उससे नहीं रुक रहा है। महाराष्ट्र में खिसकती जमीन पर एनसीपी का मरहम लगाकार खुश होने वाली बीजेपी की खुशी आज तब काफ़ुर हो जाएगी जब कल शरद पवार के घर सभी मंत्री भेजकर भी एनसीपी के विधायक आघाडी गठबंधन के साथ रहेंगे। इसको लेकर बीजेपी की पहली चाल फेल नजर आ रही है यह चाल ठीक उसी तरह है जिस तरह शिवसेना तोड़कर सरकार तो बना ली लेकिन वोटरों के दिल में एकनाथ शिंदे जगह नहीं बना पाए।
अब उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी हिली हुई नजर आ रही है जहां उसने पूर्वाञ्चल के कई जिलों में खाता न खुलने के डर से गाली देने वाले ओमप्रकाश राजभर को गले लगा लिया है। यह राजभर को कब तक झेल पाएंगे नहीं कहा जा सकता लेकिन बीजेपी अपने लिए लोकसभा चुनाव में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है।
अब तक पश्चिम में बीजेपी लगातार जयंत चौधरी पर डोरे डाल रही होगी लेकिन अब तक कामयाब नहीं होती दिख रही है। लेकिन राजनीत में संभावना का खेल होता है तो काफी गुंजाइश बनी हुई है। वहीं सहारनपुर के धर्म सिंह सैनी भी बीजेपी की शरण में आएंगे तो अब बीजेपी से जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य कब वापसी करेंगे कि नहीं करेंगे कहा नहीं जा सकता है।
फिलहाल यूपी में लोकसभा चुनाव बड़ा ही कशमकश होगा। क्योंकि विपक्ष में जहां सपा , रालोद कांग्रेस समेत सभी दल एक होकर चुनाव लड़ेंगे। तो बीजेपी के लिए 50 सीटों पर लड़ाई बेहद कठिन हो जाएगी।