- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- मुज्जफरनगर
- /
- मुजफ्फरनगर में 1967...
मुजफ्फरनगर में 1967 में इटली से आया था Lambretta स्कूटर, आज भी लगती हैं मुंह मांगी कीमत
मुजफ्फरनगर: आज तक आपने नई नई फैंसी मोटरसाइकिल, स्कूटर, स्कूटी देखी होगी. उन फैंसी स्कूटर या बाइकों को देखकर कोई भी व्यक्ति उनकी और आकर्षित हो जाता होगा. लेकिन जनपद मुजफ्फरनगर में एक व्यक्ति के पास आज भी लम्ब्रेटा स्कूटर है. ये स्कूटर आज भी पहले जैसा ही चलता है. लम्ब्रेटा स्कूटर की खास बात यह है कि यह स्कूटर पूरा का पूरा स्टील का बना हुआ है.
इस स्कूटर को इटली में 1967 में तैयार किया गया था. News18 लोकल की टीम को लम्ब्रेटा स्कूटर के मालिक दिलशाद अहमद ने बताया कि ये स्कूटर उनके पिताजी लेकर आए थे. उन्होंने बताया कि यह स्कूटर भले ही इतना पुराना हो गया हो. लेकिन जब भी हम इसे स्टार्ट करते हैं तो एक ही किक में स्टार्ट हो जाता है, जोकि आज भी लगभग 1 लीटर पेट्रोल में 30 किलोमीटर चलता है.
उन्होंने बताया कि आज भी इस स्कूटर की सर्विस कराते है. कोई भी परेशानी इस स्कूटर की सर्विस कराने में नहीं आती क्योंकि आज भी इसका सारा सामान मार्केट में उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि स्टील से बने होने के कारण इस स्कूटर की खास बात यह भी है कि यह बहुत ही मजबूत और भारी भी है.
इस स्कूटर को नहीं चाहते है बेचना
स्कूटर मालिक दिलशाद अहमद ने बताया कि इतना पुराना होने के बाद भी हम स्कूटर को नहीं बेचते, क्योंकि यह हमारे पिताजी की निशानी है. इस स्कूटर को हमारे पिताजी लेकर आए थे और स्कूटर से ही मैंने वाहन चलाना भी सीखा था. इस स्कूटर को हम अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं और अपने बच्चे की तरह ही इसकी देखरेख करते हैं. आज भी इस स्कूटर को वैसे ही हमारे पास रखा गया है, हर रोज हम इसकी साफ-सफाई भी करते हैं.