मुज्जफरनगर

कवाल कांड में कोर्ट का आया फैसला, सातों आरोपियों को उम्रकैद, 2-2 लाख रु. का जुर्माना

Special Coverage News
8 Feb 2019 9:57 AM GMT
कवाल कांड में कोर्ट का आया फैसला, सातों आरोपियों को उम्रकैद, 2-2 लाख रु. का जुर्माना
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मृतक सचिन और गौरव
कवाल कांड के बाद 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में सांप्रदायिक दंगे हुए थे.

मुजफ्फरनगर (शंकर शर्मा) : यूपी के मुजफ्फरनगर में बहुचर्चित कवाल कांड में आज कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. ममेरे भाई रहे सचिन और गौरव के दोहरे हत्याकांड के मामले में मुजफ्फरनगर की एडीजे-7 कोर्ट आज सात आरोपियों को सात साल की उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही आरोपियों पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. 27 अगस्त 2013 को जानसठ कोतवाली क्षेत्र के गांव कवाल में यह दोहरा हत्याकांड हुआ था. इस हत्याकांड के 5 आरोपी मुजफ्फरनगर जेल में बंद है जबकि दो आरोपी जमानत पर जेल से बाहर है. कवाल कांड के बाद 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में सांप्रदायिक दंगे हुए थे.

क्या है पूरा मामला?

एडीजीसी जितेन्द्र त्यागी ने बताया कि जानसठ थाना क्षेत्र के गांव कवाल में हुई हत्या के मामले में आज आज अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम हिमांशु भटनागर की अदालत ने सातों आरोपियों मुजस्सिम व मुजम्मिल पुत्र नसीम, फुरकान पुत्र फजला, जहांगीर, नदीम, शाहनवाज (मृतक) पुत्रगण सलीम, अफजाल व इकबाल पुत्रगण बुंदू को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा आरोपियों पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने में से 80 प्रतिशत की धनराशि पीडित परिवारों को दी जाएगी। बुधवार को अदालत ने सभी 7 आरोपियों को दोषी करार दिया था। 27 अगस्त 2013 को जानसठ कोतवाली क्षेत्र के गांव कवाल में यह दोहरा हत्याकांड हुआ था। एडीजे कोर्ट संख्या-7 में मामले की सुनवाई पूरी हुई है। मामले में सात लोग आरोपी हैं, जिनमें से पांच जेल में बंद है, जबकि दो हाईकोर्ट से जमानत पर हैं। कवाल की वारदात के बाद ही मुजफ्फरनगर और शामली में दंगा भड़का था।

उल्लेखनीय है कि जानसठ कोतवाली क्षेत्र के गांव कवाल में करीब साढ़े पांच साल पहले हुई वारदात में मलिकपुरा के ममेरे भाइयों सचिन और गौरव का कत्ल कर दिया गया था। कवाल निवासी शाहनवाज और मुजस्सिम पक्ष की बाइक से गौरव की साइकिल भिड़ने पर यह वारदात हुई थी। कहासुनी से शुरू हुई बात हत्याकांड तक पहुंच गई। इस मामले में आरोपी पक्ष के शाहनवाज की भी मौत हो गई थी। घटना के बाद मृतक गौरव के पिता रविंद्र सिंह की ओर से जानसठ कोतवाली में कवाल के मुजस्सिम व मुजम्मिल पुत्र नसीम, फुरकान पुत्र फजला, जहांगीर, नदीम, शाहनवाज (मृतक) पुत्रगण सलीम, अफजाल व इकबाल पुत्रगण बुंदू के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।

मृत शाहनवाज के पिता सलीम ने भी मृतक सचिन और गौरव के अलावा पांच परिजनों के खिलाफ जानसठ कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी। हालांकि एसआईसी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन) सेल जांच के बाद शाहनवाज हत्याकांड में एफआर लगा दी गई थी। ममेरे भाइयों सचिन और गौरव हत्याकांड में एसआईसी के विवेचक संपूर्णानंद तिवारी ने 24 नवंबर 2013 को चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत की थी। 15 अप्रैल 2014 को केस का ट्रायल प्रारंभ हुआ। फिलहाल यह मामला एडीजे हिमांशु भटनागर की कोर्ट संख्या-सात में चल रहा है।अभियोजन पक्ष की ओर से दस गवाह और बचाव पक्ष की ओर से छह गवाह अदालत में पेश किए गए।

कवाल कांड के बाद से ही दोहरे हत्याकांड के पांच आरोपी मुजस्सिम, मुजम्मिल, फुरकान, नदीम, जहांगीर तभी से जेल में बंद है। दो आरोपी अफजाल और इकबाल को हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है। कवाल के दोहरे हत्याकांड के बाद जिले का सांप्रदायिक माहौल बिगड़ गया था। मुजफ्फरनगर और शामली में हुई हिंसा में 65 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। दंगे के कारण 50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे। कवाल कांड में फैसले आने के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी थी। कचहरी, न्यायालय परिसर और कोर्ट रोड के आसपास भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया है। एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कानून व्यवस्था के लिए पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है। इसके अलावा कवाल और मलिकपुरा में भी बुधवार को फोर्स तैनात रहेगी। ममेरे भाईयों सचिन और गौरव की हत्या के सात आरोपियों में फुरकान के अलावा अन्य सभी एक दूसरे के सगे भाई हैं।

मृतक शाहनवाज के दो भाई जहांगीर और नदीम पुत्र सलीम आरोपी हैं। इसके अलावा मुजम्मिल व मुजस्सिम दोनों नसीम के बेटे हैं। अफजाल और इकबाल भी सगे भाई हैं। पांच आरोपी बीते साढ़े पांच साल से ही जेल में बंद है। इनमें से मुजम्मिल बुलंदशहर कारागार में है। वह मुजफ्फरनगर जिला कारागार के वार्डन चुन्नीलाल हत्याकांड का आरोपी है। केस के आरोपी अफजाल और इकबाल हाई कोर्ट से जमानत पर है।

मृतक शाहनवाज की हत्या के मुकदमे के वादी उसके पिता सलीम ने मामले में एसआईसी की एफआर लगने के बाद एसीजेएम द्वितीय की कोर्ट में 16 नवंबर 2015 को निजी परिवाद दाखिल किया था। न्यायालय ने इसे स्वीकार करते हुए 30 मई 2018 को गवाहों के बयान के आधार पर केस के आरोपियों रविंद्र सिंह, प्रहलाद, बिशन सिंह, तेंदू, देवेंद्र और जितेंद्र को धारा 302 के तहत तलब किया था। आरोपियों के कोर्ट में पेश नहीं होने पर गैर जमानती वारंट हो चुके है। जिसके खिलाफ आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। इस केस में अब 13 फरवरी की तारीख लगी है।


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