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मानवता को शर्मशार करने वाली पुलिस का सच, पुलिस के खौफ से पीड़िता ने परिवार सहित किया पलायन
धीरेन्द्र अवाना, नोएडा। उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देकर प्रदेश की बेटियों को बचाने का दावा कर रही है।वही प्रदेश की पुलिस महिलाओं को परेशान करने का कोई मौका नही छोड़ रहे है।ये कहना है नोएडा पुलिस द्वारा बेरहमी से पिटी गयी महिला का।लेकिन अब पीडिता को उम्मीद की एक किरण नजर आयी है।मामले की गंभीरता को देखते हुये बाल कल्याण समिति न्यायपीठ ने इसका संज्ञान लिया है और कोतवाली प्रभारी को कारवाई करने के निर्देश दिये है। इसके साथ ही संबंधित अधिकारी को आगामी सात सितंबर तक जांच रिपोर्ट सौपने का आदेश दिया है। बता दे कि यह मामला ट्विटर पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। लोग भी इस मामले में कारवाई की मांग कर रहे है।अब हम आपको उस सच्चाई से रुबरु करवाते है जो कही छिप गयी या यू कहे कि किसी ने उसको सार्वजनिक करने की हिम्मत नही की।आज पीडिता ने खुद अपनी आपबीती बतायी।
पीडिता के अनुसार 30 अगस्त की शाम करीब 5 बजे पीड़िता अपने घर में अकेली थी।तभी पड़ोस की एक महिला द्वारा फैके गये कूड़ा को लेकर नौक-झौंक हो गयी। इस प्रकरण को प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर उस महिला ने कुछ लोगों को लेकर पीड़िता की पिटाई कर दी।मामला यही खत्म नही हुआ।उस महिला ने थाना में ये शिकायत भी की पीडिता ने मेरी चैन चुरा ली है। अब सवाल ये उठता है कि क्या अकेली महिला जो अपनी ही घर में कुछ लोगों द्वारा पिटी गयी हो वो उनकी चैन कैसे चुरा सकती है।मारपीट के दौरान चोट लगने के बाद
पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके बाद पुलिस कंपनी से घर पहुंचे पीड़िता के पति को चोरी के आरोप में पकड़ कर थाने ले आयी।जब अगले दिन पीडिता अपने पति के लिए खाना लेकर थाने में गयी तो वहा मौजूद पुलिसकर्मीयों ने विपक्षी महिला की मौजूगी में थाने के बाहर मेरे साथ मारपीट की जिनमें दो महिला और तीन पुलिसकर्मी शामिल थे।उसके बाद राेड पर ही मेरे कपड़े फाड़ दिये और मुझे खीच कर अंदर ले जाया गया।अंदर ले जाकर मुझे व मेरी बेटी को इतनी बुरी तरह से मारा गया कि मेरी बच्ची के सिर में काफी गंभीर चोटे गयी।उसके बाद भी पुलिस ने हैवानियत दिखाते हुये मेरी बेटी के संवेदनशील अंगों पर लात से प्रहार किया।जिसकी वजह से मेरी बेटी की हालत बहुत गंभीर बनी हुयी है।इस घटना की सूचना मिलते ही गांव के कई लोग थाना पर हंगामा ।किया।तब जाकर कही पुलिस ने मेरा और मेरी बेटी का मेडिकल करवाया।
वहां मौजूद डॉक्टरों ने बच्ची को सिर में पांच टांके लगाये। उसके बाद पुलिस ने हमे छोड़ा।गंभीर चोट लगने से घायल हुये मेरी बच्ची को आराम ना मिलने पर ईएसआई अस्पताल में भर्ती करवाया गया।चार पांच दिन तक बच्ची का इलाज अस्पताल में चला।अब पुलिस जांच के नाम पर हमारी हर गतिविधि पर नजर रख रही है।पुलिस के खौफ के कारण ही हमको मजबूर होकर यहा से पलायन करना पड़ रहा है।पीड़िता ने मुख्यमंत्री जी से अपील की है कि नोएडा पुलिस हम लोगों के साथ अन्याय कर रही है।इसलिए नोएडा पुलिस पर हमें विश्वास नहीं है। आपसे प्रार्थना है कि इसकी प्रकरण की जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट से कराई जाए।
एडीसीपी आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि नोएडा के सेक्टर -22 स्थित ग्राम चौड़ा में गेट के बाहर कूड़ा डालने को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था।प्रकरण में पीड़िता के भाई की तहरीर के आधार पर NCR 59/22 धारा 323/504 ipc वनाम कोमल आदि पंजीकृत कर मेडिकल कराया गया है। अग्रिम वैधानिक कार्रवाही की जा रही है। पुलिस पर लगाए गए आरोप असत्य व निराधार है।
कुछ सवालों के जवाब अभी भी बाकी
(1)पुलिस के अनुसार अगर दो पक्षों का थाना में झगड़ा हुआ था तो उस रात को पुलिस कहा थी?
(2)थाना में बच्ची के इतनी गंभीर चोट लगने के बाद भी आरोपियों पर कारवाई नही।
(3)थाने में महिला के कपड़े फाड़े गये फिर भी आरोपी खुलेआम घूम रहे।