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- अभिभावक संघ ने किया...
धीरेन्द्र अवाना
नोएडा। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही निजी स्कूलों पर लगाम करने की बात कही गई थी। इसी पर अमल करते हुए सरकार ने मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए विधेयक प्रस्तावित किया गया था। इसके तहत हर साल निजी स्कूल एडमिशन फीस नहीं वसूल पाएंगे।जो विधेयक प्रस्तावित किया गया था। वो यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई सहित प्रदेश में संचालित सभी बोर्ड के स्कूलों पर लागू होगा। मसौदे में 20 हजार रुपये सालाना से अधिक फीस लेने वाले स्कूल-कॉलेज पर घेरा कसा जायेगा। कोई भी स्कूल छह माह से ज्यादा की फीस एक बार में जमा नहीं करा सकेगा। उसे त्रैमासिक या अर्द्धवार्षिक फीस लेने की छूट दी गयी है। किसी भी अभिभावक को दुकान विशेष से सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा बस, बोर्डिग, मेस, शैक्षिक भ्रमण व अन्य मदों में केवल उनसे ही शुल्क लिया जा सकेगा जो इसका उपयोग करते है।
इसके बाद सरकार ने आदेश दिया कि शुल्क नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक मंडल में मंडलीय समिति बनाई जाएगी। इसका निर्णय न मानने पर स्कूल प्रबंधन पर पहली बार एक लाख रुपये, दूसरी बार 5 लाख रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। तीसरी बार मान्यता रद्द कर दी जाएगी। अब इसी शुल्क नियंत्रित मंडलीय समिति के सदस्यो पर नोएडा में कई वर्षों से अभिभावकों के हितों के लिए कार्य करनी वाली संस्था ऑल नोएडा पेरेंट्रस ऐसोसिएशन को आपत्ति है।
संस्था अध्यक्ष यतेन्द्र कसाना का कहना है कि प्रशासन ने जो कमेटी गठित की है उसमें जिलाधिकारी,जिला विघालय निरीक्षक,दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य कामिनी भसीन,प्रशान्त सिंह व उस.के.नायर को रखा गया है। अब समस्या ये है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य तो हमेशा से ही विवादों में रही है। दो वर्ष पूर्व इनके स्कूल में सब से ज्यादा फीस वृद्धि होने का मामला आया था।इसी स्कूल में पढ़ने वाले सभी कमजोर वर्ग के बच्चों को निकालने का मामला भी आया था।
एक अभिभावक प्रशांत सिंह है जिनकी स्पष्ट जानकारी नही है कि उनके बच्चे अभी अमेठी स्कूल में पढ़ते भी है या नही। इस तरह के लोगों को कमेटी में शामिल करने से अभिभावकों कोइ हित नही होगा।इस लिए हम इस विषय को मुख्यमंत्री के समक्ष रखेगे। इस मौके पर संस्था के सभी पदाधिकरी मनोज काटारिया,अतुल बंधु,विकास बंसल,के अरूणाचलम व फरहत अंसारी आदि लोग मौजूद थे।