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बिल्डर-ब्रोकर के सांठगांठ के आगे लाचार होम बायर्स...
आलोक सिंह
एक बार फिर रियल एस्टेट सेक्टर अंधेर नगरी बन गया है। मैं ऐसा इसलिए लिख रहा हूं कि क्योंकि फिर प्रॉपर्टी मार्केट में कायदे-कानून को ताक पर रखकर होम बायर्स को लूटा जा रहा है। और यह संभव हुआ है कि बिल्डर और प्रॉपर्टी ब्रोकर के सांठगांठ के चलते। दरअसल, कोरोना महामारी के बाद प्रॉपर्टी की बिक्री में उछाल आया है। लंबे समय से इंतजार कर रहे बिल्डर और ब्रोकर को इस सुनहरे मौके को लाॅटरी की तरह ले रहें हैं। दोनों मिलकर ठीक वैसा ही काॅकटेल तैयार किए हैं जैसा कभी 2008 से 2012 तक था। जैसे 2008 में बिना प्रोजेक्ट लाॅन्च किए फ्लैट बेच देना। एक फ्लैट को कई बायर्स से बेच देना। प्रोजेक्ट को अप्रूवल मिला नहीं और उस पर सैंकड़ों बायर्स से पैसा दिला देना। करीब 10 साल बाद एक बार फिर वैसी ही स्थिति लौट आई है। हालांकि, इस बार उसका रूप बदला हुआ है।
बिल्डर-ब्रोकर प्राॅपर्टी की कमी दिखाकर होम बायर्स से अनाप-शनाप कीमत वसूला रहें हैं। होम बायर्स के रूप में सोने का अंडा देने वाली मुर्गी से बिल्डर-ब्रोकर जल्द से जल्द सारा सोना निकाल लेना चाह रहें हैं। हालांकि, वो भूल रहें है कि ऐसी ही गलती उन्होंने 2010 से 2012 तक किया था। इसके बार घोर मंदी आई और सैंकड़ों बिल्डर दिवालिया हो गए। कई सलाखों के पीछे आज भी बंद है। अब एक बार फिर मनमानी कीमत वसूल रहें हैं। कमीशन की लालच में ब्रोकर किसी हद तक गिरने को तैयार है। दोनों इस गंदे खेल में शरीक होकर रातों-रात अरबपति बन जाना चाह रहे हैं। प्राॅपर्टी के बेहिसाब कीमत पर कोई लगाम लगाने वाला नहीं है। सरकार और अथाॅरिटी को स्टाम्प ड्यूटी और टैक्स से मोटी कमाई हो रही है तो वो भला क्यों सख्ती करने जाए। मर तो रहा है आम आदमी। हालांकि, सरकार, अथाॅरिटी, बिल्डर और ब्रोकर भूल गए हैं कि सोने देने वाली मुर्गी जिंदा रहेगी तो ही सोना मिलेगा। अगर वो मर गई तो सोना मिलना बंद हो जाएगा।
मौजूदा समय में एक बार फिर बहुत सारे होम बायर्स उस स्थिति में पहुंच गए हैं जो चाह कर भी घर खरीद नहीं पा रहे हैं। यानी फ्लैट बजट से बाहर निकल गया है। कई होम बायर्स से मेरी बात हुई तो बताया कि एक महीने में 2बीएचके फ्लैट पर बिल्डर 4 से 5 लाख रुपये की बढ़ोतरी कर दिए हैं। अब इतना पैसा कहां से लाएं। खैर, मैं उन सभी सांठगांठ करने वाले को बता दूं कि एक बार फिर आप सब की बुरी नियत ही मंदी को बुलावा देगी। अगर ऐसा ही रवैया रहा तो फिर बहुत सारे बिल्डर रोड पर आ जाएंगे और प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने वाले खरीदार नहीं मिलेंगे।