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बच्चे में कोई जन्मजात विकार नजर आये तो तुरंत डीईआईसी में स्क्रीनिंग कराएं : डा. चित्रा
(धीरेन्द्र अवाना)
नोएडा।कई बार बच्चा समय से बोलता नहीं है, या ठीक से नहीं बोल पाता है, सुन नहीं पाता या नवजात शिशु में कोई जन्मजात विकार है। तो बिना देरी किये जिला अस्पताल सेक्टर 30 स्थित डिस्ट्रिक अरली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) चले आइये। यहां इस तरह के बच्चों का ऑक्यूपेशनल थेरेपी (ओटी) के जरिए मुफ्त उपचार किया जाता है।
बच्चे के जन्मजात विकार
सेंटर की प्रभारी पैथोलॉजिस्ट डा. चित्रा चौहान ने बताया बच्चे में जन्मजात विकार, विकास में देरी, बच्चे का देऱ से बोलना, ठीक से न चल पाना आदि समस्या कहीं शारीरिक अक्षमता में तब्दील न हो जाएं। इसकी स्क्रीनिंग डिस्ट्रिक अरली इंटरवेंशन सेंटर में की जाती है। बीमारी के लक्षण बढ़ते नजर आने पर यहां उसका उपचार किया जाता है। यदि दवा की जरूरत होती है उसे दवा और यदि किसी को थैरेपी की जरूरत है तो उसे थैरेपी उपलब्ध करायी जाती है।
उन्होंने बताया बच्चों में कई बार जन्म जात विकार होते हैं, जिनका समय से पता न चल पाने के कारण उपचार मुश्किल हो जाता है। इसलिए बच्चे के जन्म के पहले माह में ही एक बार डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर पर जरूर दिखाना चाहिए। जन्म के बाद जो बच्चे एसएनसीयू (स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) में रखे गए हों, उन बच्चों को सेंटर में लेकर आना और भी जरूरी हो जाता है।
डॉ चित्रा ने बताया कि वर्ष 2018 में यह सेंटर शुरू हुआ था। अब तक करीब 23 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। यहां कई बच्चों का लम्बा उपचार चलता है। हर अभिभावक को लगता है बच्चा जल्दी ठीक हो जाए। थोड़ा सा सुधार आने पर उपचार छोड़ देते हैं। यह ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र पर सभी अभिभावकों की काउंसलिंग की जाती है कि बच्चे के बिल्कुल दुरुस्त होने तक पूरा उपचार कराएं। केंद्र पर अभिभावकों को घर के लिए व्यायाम और थैरेपी के विषय में जानकारी दी जाती है। उन्होंने कहा यदि बच्चे का समय से और पूरा उपचार कराया जाए तो बीमारी ठीक होने की संभावना अधिक रहती है। यहां देश के हर हिस्से से बच्चे उपचार के लिए आते हैं। सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआई से भी विभिन्न थेरेपी के लिए बच्चे यहां रेफर किये जाते हैं। खास बात यह कि यहां पूरी सुविधा निशुल्क है
18 विशेषज्ञों का स्टाफ है डीईआईसी में
डीईआईसी में पैथोलोजिस्ट डा. चित्रा सहित, बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डा. रनवीर सिंह, मेडिकल अफीसर डा. राजेन्द्र मीणा, स्पीच थैरेपिस्ट, फिजियो थैरेपिस्ट, लैब टेक्नीनियन सहित 18 लोगों का स्टाफ है। यहां बच्चों के आकर्षण के लिए विशेष सजावट की गयी है। इसके अलावा खेल-खेल में उनकी थैरीपी के लिए विशेष खिलौनों की व्यवस्था यहां है।
आरबीएसके का हिस्सा है डीईआईसी
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की डीईआईसी मैनेजर रचना वर्मा ने बताया डीईआईसी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का एक हिस्सा है। आरबीएसके के बच्चों का ऑक्यूपेशनल थेरेपी (ओटी) के जरिए मुफ्त उपचार किया जाता है। तहत जन्म से लेकर अठारह (0 से 18) वर्ष तक के बच्चों में विशिष्ट रोग सहित 4डी यानि चार प्रकार की परेशानियों की शीघ्र पहचान और निदान किया जाता है। इन चार परेशानियों में जन्म के समय जन्म दोष, बीमारी, कमी और दिव्यांगता सहित विकास में रुकावट की जांच शामिल है। जन्म से लेकर छह वर्ष की आयु वर्ग तक का उपचार डीईआईसी पर किया जाता है जबकि छह से अठारह वर्ष की आयु वर्ग की स्क्रीनिंग सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से की जाती है। डीईआईसी दोनों आयु वर्ग के लिए रेफ़रल लिंक के रूप में भी कार्य करता है।