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अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही सागर कसाना ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा
धीरेन्द्र अवाना
नोएडा।भारत देश का गौरव उस वक्त बढ़ गया जब पर्वातारोही सागर कसाना ने माउंट एवरेस्ट जिसको विश्व की सबसे ऊँची चोटी कहा जाता है पर भारत का झंडा फहराया।आपको बता दे कि पर्वातारोही सागर कसाना नोएडा कालेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन में स्नातक अंतिम वर्ष के छात्र है व शकलपुरा गांव गाजियाबाद के रहने वाले है।सागर कसाना ने इससे पूर्व हिमाचल प्रदेश,लेह लद्दाख,पहलगांव अरुणाचल प्रदेश के अलावा यूरोप खंड की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलबर्श (रूस ) और अफ्रीका खंड की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा फहराया है।
इसी से प्रभावित होकर नगर निगम गाजियाबाद ने उन्हें स्वच्छता के लिए अपना ब्रांड एंबेस्डर नियुक्त किया है।सागर ने भी अपने पद की गरिमा रखते हुये माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर सफाई अभियान चला कर स्वच्छता का संदेश दिया।सागर ने 4 अप्रैल 2019 को समस्त देशवासियों का प्यार और आशीर्वाद लेकर यात्रा की शुरुवात काठमांडू नेपाल से की।उसके बाद उन्होंने 6 अप्रैल 2019 से अपना पर्वतारोहण का अभियान शुरू किया।सागर कसाना लुकला ,फैकङीग, नैमचे बाजार ,त्यागबोचे मोनेस्ट्री दिंगबोचे ,लबोचे होते हुए 3 मई 2019 को बेस कैंप (एक )में पहुंचे और फिर 4 मई को बेस कैंप दो व तीन होते हुए माउंट एवरेस्ट सबमिट के लिए अभियान शुरू किया।मौसम खराब होने की वजह से उन्हें 18 दिन तक बेस कैप 4 पर इंतजार करना पड़ा।पर्वतारोही सागर कसाना ने अपनी 4 सदस्यों की टीम के साथ यात्रा की।जिनमें क्रिक वूड(ऑस्ट्रेलिया) ,अलेक्जेंडर (रूस) ,ईवान टोमो(बलगेरिया)थे।
सागर कसाना ने बताया कि यात्रा के दौरान हमारी टीम के एक सदस्य ईवान टोमो की मृत्यु हाई एल्टीट्यूड सिकनेस के कारण हो गयी।उसकी मृत्यु से आहत होकर मेरे दो साथी क्रिक वूड और अलेक्जेंडर ने माउंट एवरेस्ट जाने से इंकार कर दिया।उनके जाने के बाद मैं अकेला पड़ गया।अब मेरे साथ सिर्फ गाइड चतुर तमांग साथ रहे।इतना होने के बाद भी मैने अपने जज्बे को कायम रख कर अपना अभियान जारी रखा।
खराब मौसम के साथ बर्फीले तूफान,फिस्लन,नुकीली बर्फ , तेज हवा ने मेरे इरादों पर पानी फेरनी की बहुत कौशिश की लेकिन मेरे भारत के तिरंगे ने मेरे उत्साह को कम नहीं होने दिया। जिससे बाद 22 मई 2019 को सुबह 10:15 पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर भारत का तिरंगा फहराकर अपने देश,प्रदेश,जिले का नाम बढ़ाया।समाचार सुन कर उनके पैतृक गांव शकलपुरा लोनी में खुशी की लहर है।ग्रामीणों का कहना है कि 1 जून को सागर के आने पर उसका भव्य स्वागत किया जाएगा।