नोएडा

सांसद डॉ. महेश शर्मा और विधायक पंकज सिंह ने किसानों को मिठाई खिलाकर चार महीने से चल रहा किसानों का धरना समाप्त कराया

सांसद डॉ. महेश शर्मा और विधायक पंकज सिंह ने किसानों को मिठाई खिलाकर चार महीने से चल रहा किसानों का धरना समाप्त कराया
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एक सितंबर से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के समाप्त आज खत्म हो गया। प्राधिकरण और किसानों के बीच बातचीत के बाद सहमति बनी। जिसके बाद सांसद डॉ. महेश शर्मा और विधायक पंकज सिंह ने किसानों को मिठाई खिलाकर धरना खत्म कराया।

नोएडा प्राधिकरण द्वारा किसानों की कई मांगें मान ली गई हैं। सिर्फ 10 प्रतिशत भूखण्ड और 64 प्रतिशत मुआवजे की मांग को मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा। नोएडा के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा, विधायक पंकज सिंह, एसईओ प्रवीण मिश्रा और एडीसीपी रणविजय ने किसानों के बीच पहुंचकर धरना समाप्त कराया।

जानकारी के अनुसार, भारतीय किसान परिषद के नेतत्व में 81 गांवों के किसानों ने कई मांगों को लेकर 1 सितंबर से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ धरना शुरू किया था। शुरुआत में किसानों ने सेक्टर-5 हरौला बारात घर में धरना शुरू किया था। किसानों ने कई दिनों तक लगातार प्राधिकरण तक मार्च निकाला। मांगें पूरी नहीं होने पर 16 नवंबर से किसानों ने सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण के सामने ही धरना शुरू कर दिया।

करीब दो सप्ताह से किसानों ने प्राधिकरण के सभी गेट पूरी तरह से बंद करा दिए थे। किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को अंदर नहीं घुसने दिया जाता था। आम लोगों को एक महीने से दफ्तर में घुसने दिया गया था। अब चार महीने बाद नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और किसानों के बीच हुई बातचीत के बाद मांगों को मान लिया गया।

किसानों की इन मांगों पर बनी सहमति

आबादी निस्तारण का वादा, ऐसे में रजिस्ट्री का रास्ता साफ

गांव में नक्शा नीति की नहीं होगी लागू।

पुस्तैनी और गैर पुस्तैनी में फर्क नहीं होगा।

कमर्शियल गतिविधि को घरों में करने की छूट मिलेगी।

10% प्लाट की मांग को शासन भेजा जाएगा।

गौरतलब है कि किसान बढ़ी हुई दर से मुआवजा देने, आबादी की समस्याओं का निस्तारण करने समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन में महिलाएं व बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल थे। किसानों ने प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाया था। किसानों का कहना था कि प्राधिकरण में बैठे अधिकारी खुद को कॉरपोरेट कंपनी का अधिकारी मानते हैं तथा उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि किसानों की जमीन पर ही उनका दफ्तर बना है। किसानों का कहना था कि जब तक उनकी सारी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा।

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