नोएडा

Twin Towers Demolition : आ गई 'ट्विन टावर' की अंतिम घड़ी, जानिए- SC ने ध्वस्त करने का क्यों दिया आदेश

Arun Mishra
28 Aug 2022 1:06 PM IST
Twin Towers Demolition : आ गई ट्विन टावर की अंतिम घड़ी, जानिए- SC ने ध्वस्त करने का क्यों दिया आदेश
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नोएडा में खड़े 'ट्विन टावर' की अंतिम घड़ी आ गई है.

नोएडा के सेक्टर 93 में सुपरटेक एमरॉल्ड सोसाइटी में भ्रष्टाचार की बुनियाद पर बनाये गये ट्विन टावर आज चंद घंटों के बाद ध्वस्त हो जायेंगे। इन टावरों को ध्वस्त करने के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अभी तक एमरॉल्ड कोर्ट और एटीएस ग्रीन सोसाइटी के सभी 1396 फ्लैटों को पूरी तरह खाली कराया जा चुका है। सुबह 7 बजे आसपास की सोसाइटी में रहने वाले करीब 7 हजार लोगों को एक्सप्लोजन जोन से हटा दिया गया। अब ट्विन टावर के पास किसी को जाने की इजाजत नहीं है।

फ्लैटों में रहने वाले सभी लोग अपने घरों को छोड़कर यहां से सुरक्षित स्थानों के लिए निकल चुके हैं। जिसमें से कुछ लोगअपने दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां पर गये हैं तो कुछ तीर्थ यात्रा और हिल स्टेशन पर निकल गये हैं। जबकि कुछ ने यहीं पर होटलों में कमरें किराये पर लिए हैं। कुछ लोगों के ठहरने के लिए आस-पास की अन्य सोसाइटियों में भी व्यवस्था की जा चुकी है। पुलिस ने पूरे इलाके को अपनी सुरक्षा में ले लिया है और अब टावरों के आस-पास अन्य लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया है।


समझिये क्‍या है ट्विन टावर्स निर्माण को लेकर विवाद?

23 नवंबर 2004 को नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटन किया था. इसमें सुपरटेक बिल्डर को कुल 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई और 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई. उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी. इसी के चलते यहां पर प्लॉट नंबर 4 में आवंटित जमीन के पास ही 6556.61 वर्गमीटर जमीन का एक टुकड़ा निकल आया, जिसे बिल्डर ने अपने नाम अलॉट करा लिया. इसके लिए 21 जून 2006 को लीज डीड की गई. लेकिन, इन दो अलग-अलग प्लॉट्स को नक्शा पास होने के बाद एक प्लॉट बना दिया गया जिसपर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया.

जानिए- SC ने सुपरटेक इमारत को ध्वस्त करने का क्यों दिया आदेश ?

नोएडा बेस्ड कंपनी ने 2000 के दशक के मध्य में एमरल्ड कोर्ट नाम परियोजना की शुरुआत की. नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के समीप स्थित इस परियोजना के तहत 3, 4 और 5 बीएचके फ्लैट्स वाले इमारत बनाने की योजना थी.

न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत योजनाओं के अनुसार, इस परियोजना में 14 नौ मंजिला टावर होने चाहिए थे. हालांकि, परेशानी तब शुरू हुई जब कंपनी ने प्लान में बदलाव किया. साल 2012 तक परिसर में 14 के बजाय 15 मंजिला इमारत बनाए गए. वो भी नौ नहीं 11 मंजिला.

साथ ही इस योजना के अलावा एक और योजना शुरू हो गई, जिसमें दो और इमारत बनने थे, जिन्हें 40 मंजिला बनाने की प्लानिंग थी. ऐसे में कंपनी और स्थानीय लोगों के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई. सुपरटेक ने टावर वन के सामने 'ग्रीन' एरिया बनाने का वादा किया था.

दिसंबर 2006 तक अदालत में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार, यह उस योजना में था जिसे पहली बार जून 2005 में संशोधित किया गया था.

हालांकि, बाद में 'ग्रीन' एरिया वह जमीन बन गया जिस पर सियेन और एपेक्स - ट्विन टावर्स बनाए जाने थे. भवन योजनाओं का तीसरा संशोधन मार्च 2012 में हुआ. एमराल्ड कोर्ट अब एक परियोजना थी, जिसमें 11 मंजिलों के 15 टावर शामिल थे. साथ ही सेयेन और एपेक्स की ऊंचाई 24 मंजिलों से 40 मंजिलों तक बढ़ा दी गई थी.

एमराल्ड कोर्ट में रहने वालों ने इसे संज्ञान में लिया और मांग की कि सेयेन और एपेक्स को ध्वस्त कर दिया जाए क्योंकि इसे अवैध रूप से बनाया जा रहा है. निवासियों ने नोएडा प्राधिकरण से उनके निर्माण के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने के लिए कहा.

निवासियों ने तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की, जिस पर अदालत ने अप्रैल 2014 में टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया. हालांकि, सुपरटेक ने फैसले के खिलाफ अपील की और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2021 में, इस तथ्य का हवाला देते हुए नोएडा ट्विन टावर्स को ध्वस्त करने का आदेश दिया कि टावरों का निर्माण अवैध रूप से किया गया था. इसके बाद सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट से अपने आदेश की समीक्षा करने की अपील की.

शीर्ष अदालत में मामले से संबंधित कई सुनवाई हुई. सुनवाई में एमराल्ड कोर्ट के निवासियों की सुरक्षा के बारे में चिंताएं भी शामिल थीं. हालांकि, कोर्ट ने अपना फैसला नहीं बदला.

अब आज इन दो इमारतों को गिराया जाएगा. दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा.


ट्विन टावर गिराने से पहले क्या है इंतजाम ?

ट्रैफिक डायवर्जन के लिए नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर 99710 09001 जारी किया है।

ट्विन टावर के पास की 2 सोसायटी में रसोई गैस और बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है।

डीसीपी ट्रैफिक गणेश प्रसाद साहा के मुताबिक ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए हैं। एम्बुलेंस भी मौके पर मौजूद हैं।

एक्सप्लोजन जोन में 560 पुलिस कर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग और 4 क्विक रिस्पांस टीम समेत एनडीआरएफ टीम तैनात हैं।

दोपहर 2.15 बजे एक्सप्रेस-वे को बंद किया जाएगा। आधे घंटे बीतने और धूल हटने के बाद इसे खोला जाएगा। इसके अलावा 5 और रूट बंद किए गए हैं।

आखिरी 60 सेकेंड में ब्लैक बॉक्स, लाल बल्ब और ग्रीन स्विच से होंगे सीरियल ब्लास्ट

दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर डिमोलिशन एक्सपर्ट चेतन दत्ता ब्लैक बॉक्स से जुड़े हैंडल को 10 बार रोल करेंगे। इसके बाद इसमें लगा लाल बल्ब ब्लिंक करना शुरू करेगा। इसका मतलब होगा कि चार्जर ब्लास्ट के लिए तैयार है। इसके बाद दत्ता हरा बटन दबाएंगे। इससे चार डेटोनेटर तक इलेक्ट्रिक वेव जाएगी। इसके बाद 9 से 12 सेकेंड में बिल्डिंग में एक के बाद एक धमाके होंगे।

ब्लास्ट होते ही 32 मंजिला इमारत मलबे में बदल जाएगी। कुतुब मीनार से ऊंचे ट्विन टावर से ठीक 9 मीटर दूर सुपरटेक एमरेल्ड सोसायटी है। यहां 650 फ्लैट्स में करीब 2500 लोग रहते हैं। सबसे ज्यादा परेशान इसी सोसाइटी के लोग हैं।

3700 किलो बारूद से 12 सेकेंड में गिरेगी पूरी बिल्डिंग

ट्विन टावर गिराने का जिम्मा एडिफाइस नाम की कंपनी को मिला है। ये काम प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता की निगरानी में हो रहा है। वे बताते हैं कि हमने बिल्डिंग में 3700 किलो बारूद भरा है। पिलर्स में लंबे-लंबे छेद करके बारूद भरना होता है। फ्लोर टु फ्लोर कनेक्शन भी किया जा चुका है।

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