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Noida : टांके लगवाने के नाम पर वार्ड बॉय ने मांगे तीन हजार, डीएम ने दिए कारवाई के निर्देश
नोएडा (धीरेन्द्र अवाना) : भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति अपनाते हुये प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त कई अधिकारियों पर कारवाई की है लेकिन फिर ना जाने क्यों भष्ट्राचार फिर भी सुचारु रुप से चालू है।ताजा मामला उत्तर प्रदेश के हाईटेक शहर नोएडा का है जहा नवनियुक्त जिलाधिकारी मनीष वर्मा ने जिले का जायजा लेते हुये शनिवार को नोएडा के जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया।इस दौरान अस्पताल में कई खामियां मिलीं। वही एक मरीज ने जिलाधिकारी से रिश्वत लेने की शिकायत की।आरोप है कि टांके लगवाने के नाम पर वार्ड बॉय ने उससे पैसे मांगे हैं।मामले की गंभीरता को देखते हुये जिलाधिकारी ने ऐसे सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही। नवनियुक्त जिलाधिकारी की कार्यशैली को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि शायद अब जिला में भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लग पायेगा।
आपको बता दे कि शनिवार को गौतमबुद्ध नगर के नवनियुक्त डीएम मनीष वर्मा अचानक औचक निरीक्षण के लिए नोएडा के जिला अस्पताल पहुंचे।निरीक्षण के दौरान उन्होंने अस्पताल आए लोगों से बातचीत की।इसी दौरान एक व्यक्ति ने डीएम को बताया कि यहां पर टांके लगवाने के नाम पर रिश्वत मांगी गई है।पीड़ित ने बताया कि उनसे टांके लगवाने के नाम पर 3000 की रिश्वत मांगी गई है, जिसकी उन्होंने ऑनलाइन पेमेंट की।मामला यही खत्म नही हुआ उस व्यक्ति ने डीएम को ऑनलाइन पेमेंट की पूरी डिटेल दिखाई और उस व्यक्ति का फोटो भी दिखाया जिसने पैसे लिए थे।भष्ट्राचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुये
जिलाधिकारी ने सीएमओ और सीएमएस को कार्रवाई करने के निर्देश दिए।वही इस पूरे प्रकरण का एक विडियो सामने आया है जिसमे डीएम जब इस प्रकरण की जानकारी सीएमओ से लेते है तो भष्ट्राचार के गंभीर मुद्दे पर सीएमओ हंस कर मामले को रफा दफा करते नजर आते है।अब देखना ये है कि स्वास्थ्य विभाग के मुखिया का जब ऐसा करेगे को भष्ट्राचार पर अंकुश कैसे लग पायेगा।सीएमओ ने बताया है कि इस मामले में कमेटी बना दी गई है। जिस व्यक्ति पर रिश्वत लेने का आरोप लगा है वह वार्ड बॉय और संविदा पर है।अगर दोषी पाया जाता है तो उसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाएगा।अब सीएमओ साहब को कौन बताये कि जब से वो आये है कितने ही मामलों में जांच कमेठी बनी लेकिन जांच के नाम पर मामले को रफा दफा कर दिया गया।मजे की बात ये है कि जांच भी कुछ विशेष डॉक्टरों को सौपी जाती है जो मामले को जांच में रुची ही नही लेते।