नोएडा

दिल्ली की तर्ज पर नोएडा में भी ऑड-ईवन का फॉर्मूला हो सकता है लागू

Special Coverage News
14 Oct 2019 5:36 PM IST
दिल्ली की तर्ज पर नोएडा में भी ऑड-ईवन का फॉर्मूला हो सकता है लागू
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धीरेन्द्र अवाना

नोएड़ा। दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन का फॉर्मूले फिर से लागू कर दिया है लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या यह सफल होगा।लेकिन इस फॉर्मूले का असर नोएडा पुलिस पर भी पड़ने लगा है उनका कहना है कि अगर दिल्ली के ऑड-ईवन फॉर्मूले का असर नोएडा में नहीं पड़ा तो फिर नोएडा की ट्रैफिक पुलिस भी ऑड-ईवन का फॉर्मूला यहा लागू कर सकती है।

आपकों बता दे कि नोएडा यूपी में भी ऑड-ईवन का फॉर्मूला हो सकता है लागू। खासतौर से नवम्बर में प्रदूषण से निपटने के लिए नोएडा प्रशासन ने ये सुझाव नोएडा की ट्रैफिक पुलिस को दिया है।पुलिस ने तैयारी शुरु कर दी है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस का ये फॉर्मूला तब लागू होगा जब दिल्ली के ऑड-ईवन फॉर्मूले का असर नोएडा में नहीं दिखाई देगा। नोएडा के ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों का इस बारे में कहना है कि पहली बार जब दिल्ली में ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया गया था तो इसका असर नोएडा की सड़कों पर भी दिखा था।

इसके चलते नोएडा की सड़कों पर वाहनों की संख्या कम हो गई थी। उम्मीद है कि इस बार भी दिल्ली के फॉर्मूले से नोएडा की सड़कों को भी राहत मिलेगी। नोएडा पुलिस का अनुमान है कि बड़ी संख्या (लाखों) में वाहन हर रोज दिल्ली-नोएडा के बीच चलते हैं। इसी के चलते दिल्ली सरकार द्वारा 4 नवंबर से लागू होने वाले ऑड-ईवन फॉर्मूले का असर शुरु के दो-तीन दिन तक हम नोएडा में देखेंगे।अगर असर नहीं हुआ तो फिर नोएडा में भी ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया जाएगा।अगर ऑड-ईवन लागू हुआ तो फिर आम जनता के पास होगें ये विकल्प।ऑड-ईवन नंबर की गाड़ियां अलग-अलग दिन दिल्ली में चलेंगी।ऐसे में नोएडा से दिल्ली या दिल्ली होकर अन्य शहरों में नौकरी करने वाले लोगों के पास कार पूल का विही एक मात्र विकल्प होगा।फिलहाल, दिल्ली-नोएडा के बीच आवाजाही करने वाले बेहद कम लोग एक ही वाहन का इस्तेमाल करते हैं।

ऑड-ईवन के बाद इसे बढ़ावा मिलेगा।लेकिन इस फॉर्मूले की वजह से मेट्रो में भीड़ ज्यादा होने की वजह से बिगड़ सकते हैं हालात।मेट्रो रेल दिल्ली-नोएडा के बीच पहले ही फुल होकर चल रही है। ऐसे में मेट्रो पर ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू होने के बाद लोड और बढ़ जाएगा। इसके लिए मेट्रो प्रबंधन को तैयारियां करनी होंगी. मेट्रो की फ्रीक्वेंसी और बढ़ानी होगी। लेकिन इस दौरान मेट्रो स्टेशनों के आसपास पार्किंग की किल्लत यात्रियों को परेशान कर सकती है।

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