नोएडा

नोएडा के जिला अस्पताल में खुला प्रधानमंत्री जन औषधि कैंद्र

Special Coverage News
25 Sep 2018 8:39 AM GMT
नोएडा के जिला अस्पताल में खुला प्रधानमंत्री जन औषधि कैंद्र
x

धीरेन्द्र अवाना

नोएडा। प्रदेश सरकार द्वारा हाईटेक शहर के लोगों के लिए कई सौगात दे चुके है इसी क्रम में सरकार ने नोएडा के जिला अस्पताल में जन औषधि कैंद्र खुलवा कर गरीब लोगों को एक बड़ी खुशखबरी दी है।मंहगी दवाओं से अब लोगों को राहत मिलेगी। नोएडा में अब ऐसा सेंटर है, जहां पर सिर दर्द से लेकर कैंसर तक की दवाओं पर आपको 90 फीसदी से कम दाम देने पड़ेंगे। जिले में ऐसे और भी सेंटर खोले जाने की याेजना है।


प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का जिला अस्पताल में सोमवार को 10 बजे उद्घाटन केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने किया।यहां पर सभी दवाओं पर बाजार भाव से 90 परसेंट से कम दाम लिए जाएंगे।इससे लोगों को ब्रांडेड कं‍पनियों की दवा के लिए ज्‍यादा जेब नहीं ढीली करनी पड़ेगी। यह जन औषधि केंद्र अस्‍पताल के गेट पर खुला है।इस का खुलने का समय सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक रखा गया है। हालांकि, बताया जा रहा है क‍ि अगर लोगों का रिस्‍पांस सही रहा तो इसे पूरे दिन मतलब 24 घंटे के लिए खोला जाएगा।


प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के रीजनल सेल्स ऑफिसर डॉ. मानवीर सिंह का कहना है क‍ि जिला अस्‍पताल में यह जन औषिध केंद्र स्‍थायी है। सेक्‍टर-39 में बन रहे जिला अस्‍पताल में भी इसे बड़े स्‍तर पर शुरू करने की योजना है। रिस्‍पांस सही रहा तो इसे जिले के हर सामुदायिक केंद्र में खोला जाएगा। फिलहाल अभी इसका समय सुबह 8 से रात 8 बजे तक का है। उन्‍होंने बताया कि अभी शुरुआत में इसमें 180 तरह की दवाएं बिकेंगी। एक हफ्ते बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। सब ठीक रहा तो फिर अलग-अलग बीमारियों की लगभग 700 दवाएं यहां पर रखी जाएंगी। ये सभी जेनरिक दवाएं होंगी। उनका कहना है क‍ि इसी साल अक्‍टूबर तक जिले के सभी सामदायिक केंद्रों में यह औषधि केंद्र खोला जाएगा। योजना के अनुसार, पहले कासना मेडिकल कॉलेज में इसे शुरू करने की तैयारी है। इसके बाद बिसरख और दादरी के सभी सीएचसी में भी इसे खोला जाएगा।


अब आप को बताते है कि यहा दवाएं इतनी सस्‍ती क्यो है। डॉक्‍टर आपको जो दवाएं लिखते हैं, वे काफी महंगी होती हैं। इन ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं महीने का काफी खर्चा निकल जाता है। दवा एक तरह का साल्‍ट होती है, जिसे एक बीमारी के इलाज के लिए कई रिसर्च और स्टडी के बाद तैयार किया जाता है। इसको कंपनियां अलग-अलग नामों से बेचती हैं। उसी साल्ट की जेनेरिक दवा बहुत सस्ती होती है। इनमें कई बार 90 फीसदी से भी ज्‍यादा का अंतर होता है। जेनरिक नाम साल्ट के कंपोजिशन और बीमारी काे ध्यान में रखते हुए एक विशेष समिति निर्धारित करती है। किसी भी साल्ट का जेनेरिक नाम दुनिया भर में एक सा होता है। इनका असर ब्रांडेड दवाओं से कम नहीं होता है। इनकी कीमत सरकार के हस्‍तक्षेप से तय होती है, इसलिए ये सस्‍ती होती हैं।

Next Story