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भोलेनाथ की सेवा के लिए इस बार शिव भक्तों के लिए मिलेंगे 59 दिन
भगवान शिव का प्रिय माह सावन 4 जुलाई दिन मंगलवार से शुरू हो रहा है. इस बार 19 साल बाद सावन में दुर्लभ संयोग बना है कि इस बार यह माह 59 दिन का है और 8 सोमवार हैँ,18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास यानी पुरुषोत्तम मास,17 जुलाई को सोमवती अमावस्या,21 अगस्त को नाग पंचमी है.
सावन माह में मंगला गौरी व्रत हर मंगलवार के दिन होता है. इस साल 4 जुलाई दिन मंगलवार से सावन शुरू हो रहा है. सावन के पहले ही दिन मंगला गौरी व्रत है. सावन की शुरूआत मंगला गौरी व्रत से हो रही है, हर साल 4 या 5 ही मंगला गौरी व्रत होते हैं लेकिन इस साल सावन में अधिक मास जुड़ रहा है, इसलिए सावन 59 दिनों का हो रहा है ऐसे में मंगला गौरी व्रत की संख्या बढ़ गई है.अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत केवल महिलाएं रखती हैं. व्रत वाले दिन माता पार्वती की पूजा करते हैं और उनको सुहाग की सामग्री अर्पित करते हैं.
मंगला गौरी व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है. अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत रखा जाता है, मां गौरी की कृपा से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है. परिवार में सुख और शांति आती है, जो लोग संतानहीन हैं वे लोग भी मंगला गौरी व्रत रखते हैं.
अधिकमास में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। इस महीने में सूर्य संक्राति नहीं होती है। इस कारण इस महीने को मलिन माह यानी मलमास माना गया है। मल मास में नामकरण, यज्ञोपवित जैसे संस्कार भी नहीं किए जाते हैं।इस महीने में भागवत कथा पढ़ना-सुनना, मंत्र जप, पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि शुभ कर्म किए जाते हैं.
सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी को 365 दिन छह घंटे लगते हैं। सनातन धर्म में काल गणना पद्धति चंद्र गणना आधारित है। इसमें चंद्रमा की 16 कलाओं के आधार पर दो पक्षों का एक मास माना जाता है। कृष्ण पक्ष में प्रथम दिन से पूर्णिमा तक प्रत्येक मास में साढ़े 29 दिन होते हैं। इस दृष्टि से गणना अनुसार एक वर्ष 354 दिनों का होता है। इस प्रकार सूर्य गणना व चंद्र गणना पद्धति में हर वर्ष में 11 दिन, तीन घटी और लगभग 48 पल का अंतर आता है।
यह अंतर तीन वर्ष में बढ़ते-बढ़ते लगभग एक माह का हो जाता है। इस कारण प्रति वर्ष पर्व-त्योहार कुछ आगे-पीछे होते हैं। इस अंतर को दूर करने के लिए भारतीय ज्योतिष शास्त्र में तीन वर्षों में एक अधिमास का विधान है। अधिमास से तीन वर्षों में सूर्य गणना व चंद्र गणना दोनों पद्धतियों से काल गणना में समानता आती है। श्रीहरि को समर्पित होने से इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। अधिमास में श्री-हरि पृथ्वी पर कृपा बरसाते हैं।
सावन में सोमवार पर खास - 10 जुलाई (पहला सोमवार) को रेवती नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग
17 जुलाई (दूसरा सोमवार) को पुनर्वसु नक्षत्र, व्याघात योग, नाग करण व सोमवती अमावस्या
24 जुलाई (तीसरा सोमवार) को हस्त नक्षत्र, शिव योग
31 जुलाई (चौथा सोमवार) को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, विषकुंभ योग
07 अगस्त (पांचवा सोमवार) को रेवती नक्षत्र, शूल योग
14 अगस्त (छठवां सोमवार) को पुनर्वसु नक्षत्र, सिद्धि योग
21अगस्त (सातवां सोमवार) को चित्रा नक्षत्र, शुभ योग
28 अगस्त (आठवां सोमवार) को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र सौभाग्य योग
15 जुलाई (पहला प्रदोष) को शनि प्रदोष, मृगशिरा नक्षत्र, वृद्धि व ध्रुव योग
30 जुलाई (दूसरा प्रदोष) को मूल नक्षत्र, वैधृति योग
13 अगस्त (तीसरा प्रदोष) आद्रा व पुनर्वसु नक्षत्र, बज्र योग
28 अगस्त (चौथा प्रदोष) को सोमवार का दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, सौभाग्य योग, 21 अगस्त को नागपंचमी चित्रा नक्षत्र व शुभ योग के अद्भुत संयोग में मनाई जाएगी।
डॉ0 गौरव कुमार दीक्षित
ज्योतिषाचार्य/अध्यक्ष
शूकर क्षेत्र फाउंडेशन - सोरों
Mob-8881827888