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- 'लब पे आती है दुआ'...
'लब पे आती है दुआ' प्रार्थना कराने वाले टीचर फुरकान अली बहाल, लेकिन ट्रांसफर हुआ,जानें- पूरा मामला
प्रशासन ने फुरकान अली को पुराने वेतनमान पर ही प्राथमिक बख्तावर लाल द्वितीय नगर क्षेत्र बीसलपुर में उनका ट्रांसफर कर दिया है.
बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से उन्हें हिदायत दी गई है कि वे विभागीय निर्देश का पालन करेंगे साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे. पीलीभीत जिले के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को इसलिए सस्पेंड कर दिया गया था क्योंकि स्कूल में मशहूर शायर इकबाल की नज्म 'लब पे आती है दुआ बनके तम्मना मेरी' का पाठ कराया जाता था.
नज्म है मशहूर ?
प्रार्थना की शिकायत विश्व हिंदू परिषद(विहिप) और बजरंग दल की शिकायत के बाद की गई थी. इन संगठनों ने आरोप लगाया था कि छात्र सुबह की प्रार्थना में 'लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी' नज्म गा रहे थे.
लब पे आती है दुआ नज्म को को अल्लामा इकबाल के नाम से प्रसिद्ध मोहम्मद इकबाल ने 1902 में लिखी थी. इकबाल ने ही 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' को भी लिखा था. 'लब पे आती है दुआ' आज भी देश के कई हिस्सों में गाया जाता है. पाकिस्तान के हर मदरसे और स्कूलों में इसे रोजाना गाया जाता है.
सोशल मीडिया पर प्रशासन की किरकिरी
सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद लोगों ने प्रशासन की कड़ी आलोचना की थी. ज्यादातर लोगों का कहना था कि नज्म को बिना बात के मजहबी रंग दिया जा रहा है. करीब 270 विद्यार्थियों वाले स्कूल में फुरकान अली न केवल प्रिंसिपल थे बल्कि अकेले शिक्षक भी थे. उनके निलंबन के बाद स्कूल में शिक्षक का पद रिक्त है. उत्तर प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं जहां पर पूरे स्कूल की जिम्मेदारी एक ही शिक्षक पर है.
क्या है मामला?
रिपोर्ट के अनुसार, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की शिकायत की ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) उपेंद्र कुमार ने सबसे पहले जांच शुरू की. उन्होंने अपनी जांच में पाया गया कि स्कूल में बच्चे सुबह की सभा में अक्सर यही नज्म गाते थे.
इस प्रकरण पर पीलीभीत के जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बयान दिया था कि प्रिंसिपल को इसलिए निलंबित किया गया है क्योंकि वह छात्रों से राष्ट्रगान नहीं करवाता था. प्रिंसिपल अगर छात्रों को कोई अन्य कविता पढ़ाना चाहते थे, तो उन्हें अनुमति लेनी चाहिए. अगर वह छात्रों से कोई कविता गान कराते हैं और राष्ट्रगान नहीं कराते हैं तो उनके खिलाफ आरोप बनता है.
फुरकान अली ने क्या कहा?
फुरकान अली ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि छात्र लगातार राष्ट्रगान करते हैं और इकबाल की कविता कक्षा एक से आठ तक उर्दू पाठ्यक्रम का हिस्सा है. मेरे छात्र भी प्रतिदिन सभा के दौरान 'भारत माता की जय' जैसे देशभक्ति के नारे लगाते हैं.