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जनसंख्या नियंत्रण की प्रक्रिया शुरु, दो राज्य कर रहा है मसौदा तैयार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश और असम में दो से अधिक बच्चे वाले पेरेंट्स की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. राज्य विधि आयोग ने प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून पर नियम बनाना शुरू कर दिया है. अगले 2 महीने में आयोग अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौपेगा. अगर ये कानून लागू होता है तो सिर्फ 2 बच्चे वालों को ही सरकारी सुविधाओं का फायदा मिलेगा.विधि आयोग जनसंख्या नियंत्रण कानून पर लगातार काम कर रहा है. नई नीति के हिसाब से 2 से ज्यादा बच्चों वाले परिवारों की सुविधाओं में कटौती करने की तैयारी की जा रहा है. विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्यनाथ मित्तल ने कहा कि हमारे यहां जनसंख्या बढ़ रही है. इसी वजह से समस्याएं पैदा हो रही हैं.
सूबे में बीते चार वर्षों में उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम व उप्र लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम समेत कई नए कानून लागू किए गए हैं, जबकि कई अहम कानूनों में बदलाव की रूपरेखा भी तैयार की जा चुकी है।इसी कड़ी में विधि आयोग ने अब जनसंख्या नियंत्रण के बड़े मुद्दे पर अपना काम शुरू किया है। इसके तहत दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित किए जाने को लेकर विभिन्न बिदुंओं पर अध्ययन होगा। खासकर सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधाओं में कितनी कटौती की जाए, इस पर मंथन होगा। फिलहाल राशन व अन्य सब्सिडी में कटौती के विभिन्न पहलुओं पर विचार शुरू कर दिया गया है।
वही असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि राज्य में दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी योजनाओं के फायदे से वंचित किया जा सकता है. हालांकि, प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण नीति असम में सभी योजनाओं पर तुरंत लागू नहीं होगी, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा कई फायदें दिए जाते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा, "कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिनके लिए हम दो बच्चे की नीति नहीं लागू कर सकते हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्कूलों और कॉलेजों, या घरों में मुफ्त प्रवेश प्राप्त करना. लेकिन, कुछ योजनाओं के मामले में, मान लीजिए कि यदि राज्य सरकार द्वारा एक आवास योजना शुरू की जाती है, तो दो बच्चों के मानदंड को पेश किया जा सकता है. धीरे-धीरे बाद के चरणों में, हर राज्य सरकार की योजना में जनसंख्या मानदंड आ जाएगा."
10 जून को, सरमा ने तीन जिलों में हाल ही में बेदखली के बारे में बात की थी और अल्पसंख्यक समुदाय से गरीबी को कम करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए 'सभ्य परिवार नियोजन नीति' अपनाने का आग्रह किया था. जिससे रहने की जगह कम हो जाती है और परिणामस्वरूप भूमि अतिक्रमण हो जाता है।