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- अतीक के जुर्म की एक...
अतीक के जुर्म की एक लंबी दास्तान, जो शुरू तो प्रयागराज से हुई लेकिन मशहूर पूरे देश में हुई, अब पाँच लाख का बेटे पर हुआ इनाम घोषित
लखनऊ....उमेश पाल की हत्या के बाद से अतीक अहमद का नाम एक बार फिर चर्चा में है। परिवार दर बदर है, तो अतीक अहमदाबाद की जेल में बेचैन है, क्योंकि यूपी पुलिस उससे पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। अतीक के जुर्म की एक लंबी दास्तान है, जो शुरू तो होती है प्रयागराज से, लेकिन मशहूर पूरे देश में है।अतीक पर 1979 में हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद उसने अपनी गैंग बनाई, जिसे IS- 227 नाम दिया। आज इस गैंग के 34 शूटर नामजद हैं।1979 में पहली बार अतीक का नाम हत्या के केस में सामने आया। तब उसकी उम्र करीब 17 साल थी।
अतीक का नाम सबसे पहले 1979 में मो. गुलाम हत्याकांड में पुलिस रिकाॅर्ड में दर्ज हुआ। इसका केस धारा 302 के तहत खुल्दाबाद थाने में दर्ज हुआ। मुकदमा संख्या थी- 431 /79 ।इस के बाद एक तांगा चलाने वाले फिरोज अहमद का बेटा अतीक गुनाहों का बेताज बादशाह बन गया। धीरे-धीरे उसका नाम प्रयागराज के माफिया चांद बाबा और कपिल मुनि करवरिया से ऊपर गिना जाने लगा। वह पूरे प्रदेश में जमीन कब्जा करना, हत्या, लूट, डकैती और फिरौती की घटनाओं को अंजाम देने लगा।अतीक की आपराधिक गतिविधि पर लगाम लगाने के लिए यूपी सरकार ने 1985 में गुंडा और 1986 में गैंगस्टर की कार्रवाई की। साथ ही और कड़ी निगरानी के लिए 17 फरवरी 1992 को इसकी हिस्ट्रीशीट खोली गई, जिसका हिस्ट्रीशीट नंबर 39 ए है। उसके गैंग का नंबर आईएस -227 है।अब बारी थी राजनीति की।
अतीक ने माफिया का रसूख हासिल करने के बाद राजनीति के लिए जमीन तैयार करनी शुरू की। 1989 में प्रयागराज पश्चिमी सीट से अपने चिर प्रतिद्वंद्वी चांद बाबा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरा। और पहली बार में ही चांद बाबा को हराकर विधायक बन गया।इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीति के दम पर अपराध की दुनिया में एक अलग मुकाम बना लिया। वह पांच बार विधायक और एक बार सांसद चुना गया। उसके खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई से वकील से लेकर जज तक दूरी बनाने लगे।
अतीक अहमद का जन्म 1960 में प्रयागराज के धूमनगंज कसारी नसारी में हुआ था। पिता तांगा चालक थे। उनका नाम हाजी फिरोज अहमद था। वह कुश्ती के शौकीन थे। जिसके चलते अतीक भी कुश्ती लड़ता था। इसी वजह से इलाके में लोग उसे पहलवान नाम से भी बुलाते थे। पढ़ाई में मन नहीं लगने के चलते अतीक ने इंटर तक ही पढ़ाई की। इसके बाद 17 साल की उम्र में इलाके में ही रंगदारी वसूलने लगा। पहली रंगदारी अपने मोहल्ले में ही वसूली।अब अतीक अहमद राजनीतिक गलियारे में रसूख बनाने के लिए हर हथकंडा अपना रहा था।
इसी कड़ी में 1995 में उसे पहचान मिली। उसका नाम लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड में आया। सपा सरकार को बचाने के लिए उसने तत्कालीन बसपा प्रमुख मायावती और उनके दल के तमाम लोगों को बंधक बना लिया।लखनऊ के थाना हजरतगंज में अतीक पर मुकदमा दर्ज हुआ। जिसकी विवेचना क्राइम ब्रांच, अपराध अनुसंधान विभाग लखनऊ (CID) ने की थी। इसमें उसका नाम प्रमुख अभियुक्त के रूप में नाम दर्ज किया गया। इसके साथ ही प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एक ही दिन में 114 केस अतीक के खिलाफ दर्ज किए गए।अब बारी अतीक के आतंक और जुर्म के दमन की थी।
2017 में भाजपा की सरकार आई। पुलिस ने अतीक और उसके गुर्गों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। इसी का नतीजा है कि आज अतीक गुजरात की साबरमती जेल में बंद है। अतीक का भाई अशरफ बरेली जेल में बंद है। उसका एक बेटा उमर लखनऊ और दूसरा बेटा प्रयागराज नैनी जेल में बंद है।अतीक की पत्नी के खिलाफ भी 25 हजार का इनाम घोषित हो चुका है। वहीं, उसके दो नाबालिग बेटे भी उमेश पाल हत्या कांड के बाद पुलिस की रडार पर हैं।
अतीक गैंग पर पिछले दिनों योगी सरकार का बुलडोजर भी जमकर चला है। पुलिस ने गैंग के 14 सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए गुंडा एक्ट में कार्रवाई की। वहीं 22 की हिस्ट्रीशीट खुली और दो गुर्गों को जिला बदर किया गया।पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत अब तक 415 करोड़ की संपत्ति जब्त की है। 68 शस्त्र लाइसेंस भी रद्द कर दिए। यही नहीं, 751 करोड़ रुपए की अवैध संपत्तियों को भी जमींदोज किया गया है।
उमेश पाल हत्याकांड में फरार माफिया अतीक के बेटे असद समेत पांच आरोपियों पर इनाम की राशि बढ़ाई गई अब पांच लाख इनाम घोषित हुआ है।