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36 साल बाद कोर्ट ने जूनियर इंजीनियर सहित दो को छह साल की सजा सुनाया
कोर्ट के फैसलों में भले ही देर होता है लेकिन न्याय सबको जरुर मिलता है ऐसे में चोरी के केस में कोर्ट ने 36 साल बाद फैसला सुनाया है। जिला न्यायालय ने सीमेंट चोरी के आरोप में नलकूप व निर्माण खंड के जूनियर अभियंता और सरकारी चालक को छह साल की सजा और 80 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फैसला अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निधि सिसौदिया ने सहायक अभियोजन अधिकारी शिवेंद्र मिश्रा की दलीलों को सुनने के बाद दिया है।
घटना शिवकुटी इलाके में 1985 में हुई थी। उस समय यह इलाका कर्नलगंज थाने के अंतर्गत था। नलकूप व निर्माण खंड का चालक राजकुमार इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से सरकारी ट्रक पर दो सौ बोरी सीमेंट लादकर राजकीय कार्य हेतु फतेहपुर ले जाने की बजाय जूनियर इंजीनियर सच्चिदानंद त्रिपाठी के शिवकुटी स्थित आवास पर लेकर पहुंच गया। वहां ट्रक को खड़ा कर उस पर लदी सीमेंट की बोरियां उतराने लगा। खुद जूनियर इंजीनियर भी वहीं मौजूद थे। पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर मौके पर पहुंचकर सरकारी ट्रक सहित सीमेंट को बरामद कर लिया।
सीमेंट की 14 बोरियां ट्रक से उतारकर जूनियर इंजीनियर के घर पर रखी गईं थीं। पुलिस ने ट्रक सहित सीमेंट को अपने कब्जे में ले लिया और जूनियर इंजीनियर, चालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया। मामले में दोनों अभियुक्त जमानत पर बाहर थे। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर धारा 409 के तहत दोनों अभियुक्तों को छह साल की सजा और 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा धारा 411 के तहत दो साल की सजा काटनी होगी और पांच हजार का जुर्माना देना होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी।