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इलाहाबाद हाईकोर्ट: विवाहिता पुत्री मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने की नहीं है हकदार
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट का आज बेहद महत्वपूर्ण निर्णय आया है, कोर्ट ने कहा शिक्षण संस्थाओं के लिए बने रेग्यूलेशन 1995 के तहत विवाहिता पुत्री परिवार में शामिल नहीं है। और ऐसे में आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग अधिकार के रूप में नहीं की जा सकती।
एक्टिंग चीफ जस्टिस एम एन भंडारी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया आदेश..
कोर्ट की यह टिप्पणी एक याचिका दायर करने के जवाब में आयी है। याची ने छिपाया कि उसकी मां को पारिवारिक पेंशन मिल रही है, कोर्ट ने याची की इस बात को ख़ारिज करते हुए कहा कि, "मां याची पर आश्रित नहीं है। कानून एवं परंपरा दोनों के अनुसार विवाहिता पुत्री अपने पति की आश्रित होती है, विवाहित पुत्री, पिता की आश्रित नहीं होती।"
इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील को भी स्वीकार किया है।
एकलपीठ के आश्रित कोटे में नियुक्ति देने के 9अगस्त 21 का आदेश किया रद्द...
ज्यादा जानकारी देते हुए आपको बता दें कि, याची (माधवी मिश्रा) ने विवाहिता पुत्री के तौर पर विमला श्रीवास्तव केस के आधार पर मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग की,याची के पिता इंटर कॉलेज में तदर्थ प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत थे।याची के पिता की सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई थी।