प्रयागराज

निस्वार्थ रक्तदान मानवता के खाते में कुछ डालने जैसा ,देंगे तभी तो किसी रूप में मिलेगा वापस -डॉ राधा रानी घोष

Shiv Kumar Mishra
14 Jun 2020 9:27 PM IST
निस्वार्थ रक्तदान मानवता के खाते में कुछ डालने जैसा ,देंगे तभी तो  किसी रूप में मिलेगा वापस -डॉ राधा रानी घोष
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शशांक मिश्रा

विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय सेवा योजना इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा "रक्तदान जागरूकता संबंधित संगोष्ठी -सलाम रक्तदाता " का आयोजन किया गया. सीनियर कंसलटेंट ऑंकोलॉजी कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल व इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ राधा रानी घोष, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज कॉलेज पैथोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ वत्सला मिश्रा , डॉ अपूर्व मिश्रा डायग्नोस्टिक सेंटर व कंसलटेंट पैथोलॉजीस्ट नाज़्ररेथ हॉस्पिटल , राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय निदेशक डॉ अशोक श्रोती व राज्य संपर्क अधिकारी डॉ अंशुमाली शर्मा ने स्वयंसेवकों को रक्तदान करने हेतु प्रेरित किया एवं स्वैच्छिक रक्त दाता स्वयंसेवकों को इस पुण्य कार्य करने की प्रशंसा की। डॉ घोष ने अपने संबोधन में कहा कि निस्वार्थ रक्तदान खाते में कुछ डालने जैसा है , देंगे तभी तो वापस मिलेगा ।इलाहाबाद विश्वविध्यालय एन एस एस के युवाओं ने प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में रक्तदान शिविर में रक्तदान कर मानवता का परिचय दिया है। विध्यर्थियों द्वारा कोविड के दौरान सिर्फ़ प्लाज़्मा दान करने के प्रश्न करने पर डॉ घोष ने बताया कि एक यूनिट रक्त से चार जीवन बचाए जा सकते हैं व सिर्फ़ प्लाज़्मा भी दान किया जा सकता है।

रक्तदान से भारत में सुरक्षित खून की उपलब्धता हमेशा से चिंता का विषय रही है लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी ने रक्तदान और खून चढ़ाने के चलन के बीच के अंतर को और गहरा कर दिया है।डॉ वत्सला मिश्रा ने कहा कि स्वेच्छा से रक्तदान दुर्लभ होता जा रहा है। कुछ मामलों में मरीजों को स्वेच्छा से रक्तदान और किसी और का खून चढ़ाए जाने के कारण संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए होने वाले न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (एनएटी) जैसी खून चढ़ाने की सुरक्षित प्रक्रियाओं से हटकर लॉकडाउन के कारण मजबूरन पुरानी रक्त परीक्षण प्रणाली को अपनाना पड़ रहा है.और १२५ यूनिट रक्त एस आर एन हॉस्पिटल में इसी प्रकार जमा किया गया है।यह स्थिति उन मरीजों के लिए और मुश्किल है जिनमें बार-बार खून चढ़ाने की वजह से संक्रमण फैलने का जोखिम रहता है और निश्चित तौर पर खून की गुणवत्ता को लेकर चिंतित होने की यह बड़ी वजह है. डॉ मंजू सिंह कार्यक्रम समन्वयक ने बताया कि विश्व रक्तदाता दिवस २०२० "सुरक्षित खून जिंदगियां बचाता है' विषय पर केंद्रित है और पर्याप्त संसधान मुहैया कराने तथा स्वेच्छा से, गैर पारिश्रमिक दाताओं से रक्त संचय बढ़ाने की व्यवस्था एवं ढांचे को स्थापित करने के लिए कदम उठाने की अपील करता है ताकि गुणवत्ता से भरी देखभाल दी सके और ऐेसी व्यवस्था स्थापित की जाए जो खून चढ़ाने की पूरी कड़ी पर निगरानी रख सके.

डॉ अपूर्व घोष ने बताया कि हमें रक्तदान और सुरक्षित रक्त के लिए स्वास्थ्य जागरुकता के पहलू को चरित्र निर्माण अभ्यास का हिस्सा बनाना होगा. कुछ वर्ग हैं जो इससे प्रेरित होंगे और रक्तदान करने के लिए आगे आएंगे। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी खत्म होने के बाद भारत को बीमारी के प्रसार को बचाने के लिए बेहतर जांच अभ्यासों को अपनाना होगा क्योंकि यह विश्व में थेलेसीमिया से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है किंतु १८ वर्ष से अधिक के युवाओं को रक्तदान हेतु सकारात्मक सोच के साथ स्वस्थ जीवनशैली अपनाने हेतु दिनचर्या में बदलाव करने होंगे।डॉ अशोक श्रोती ने कहा कि उत्तर प्रदेश के ७५ ज़िलों में एन एस एस के कई स्वयंसेवक स्वेच्छा से रक्तदान कर रहे हैं ।रक्तदान महादान है क्यूँकि अभी तक कृत्रिम रक्त का निर्माण नहीं हो सका है ।डॉ अंशुमालि शर्मा ने युवाओं को सेवा के इस सुअवसर पर रक्तदान हेतु पहल करने के लिए प्रेरित किया । अंत में कार्यक्रम समन्वयक डॉ मंजू सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। ।

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