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उत्तर प्रदेश के अनुदेशकों के मानदेय पर अब आएगा मंगलवार को फैसला
उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विधालयों में कार्यरत अनुदेशकों की अपील की सुनवाई आज इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच में हुई जहां कोर्ट में अनुदेशकों का पक्ष सुप्रीमकोर्ट के जाने माने अधिवक्ता डॉ एपी सिंह और इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने अपना पक्ष रखा। जिस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की बेंच ने केंद्र सरकार के वकील से जबाब तलब किया। चीफ जस्टिस ने नाराजगी दिखाते हुए कहा कि मंगलवार को आप पाने सभी कागज पत्र लाइये अन्यथा हमें शिक्षा विभाग के सचिव को बुलाना पड़ेगा। फिलहाल मामला अनुदेशक के पक्ष में जाता प्रतीत हो रहा है।
अब सुनवाई मंगलवार को होगी।
उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत प्रदेश के 27000 से ज्यादा अनुदेशकों को 17000 मानदेय दिए जाने की इलाहाबाद हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ एपी सिंह ने अनुदेशकों की आत्महत्याओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है. साथ ही कहा कि इन आत्महत्या की असली वजह कम वेतन है. सरकार आगर इनका मानदेय ठीक देती तो एक अनुदेशक आत्महत्या नहीं करता न ही उसकी माँ की मौत होती.
उन्होंने कहा कि बीती 16 मई को ललितपुर जिले में एक अनुदेशक प्रमोद सोनी की आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या कर ली. इस मुद्दा को उठाते हुए राज्य सरकार से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने कहा है कि अनुदेशक की आत्महत्या करने के आधा घंटे बाद ही उसकी मां ने भी आत्महत्या कर मौत को गले लगा लिया. अनुदेशकों को महज 7000 मानदेय मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ एपी सिंह ने कहा कि अनुदेशक भी शिक्षकों के समान ही विद्यालयों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं. उनके मुताबिक अब तक यूपी में 20 अनुदेशक आर्थिक तंगी से आत्महत्या कर चुके हैं. प्रयागराज में ही अब तक 5 अनुदेशकों ने मौत को गले लगा लिया है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह ने कहा है कि यूपी में अनुदेशकों को महज 7000 का मानदेय मिल रहा है, जबकि केंद्र सरकार 2017 में ही अनुदेशकों को 17000 मानदेय दिए जाने का आदेश दे चुकी है.
आदेश के बाद भी यूपी में नहीं बढ़ा मानदेय
उन्होंने कहा है कि इस मामले में अनुदेशकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए 3 जुलाई 2019 को जस्टिस राजेश चौहान की सिंगल बेंच ने अनुदेशकों को 2017 से 17000 मानदेय 9 फीसद ब्याज के साथ देने का आदेश दिया था. राज्य सरकार ने इसे लागू नहीं किया बल्कि इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल कर दी है.
आज है हाईकोर्ट में सुनवाई है जारी
सरकार की विशेष अपील पर बुधवार 20 मई को हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की डिवीजन बेंच सुनवाई करेगी. इस मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से बहस पूरी हो गई है, जबकि याची अनुदेशकों की ओर से आज अधिवक्ता दुर्गा तिवारी और सुप्रीम कोर्ट से आये अधिवक्ता एपी सिंह पक्ष रखेंगे. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ एपी सिंह ने राज्य सरकार से मांग की है कि सरकार सहानुभूति पूर्वक अनुदेशकों के मानदेय के मामले में विचार करें और इस मामले में उचित निर्णय लें.