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प्रथम विधान मण्डल की पहली बैठक की स्मृति में बोले उपमुख्यमंत्री, पूरा सदन एक बार पुनः प्रयागराज में चले, इसके लिए पूरा प्रयास किया जायेगा
शशांक मिश्रा
उत्तर प्रदेश के प्रथम विधान मण्डल की पहली बैठक की स्मृति में अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद पार्क में स्थित राजकीय पुस्तकालय परिसर में प्रयागराज गौरव अनुभूति आयोजन समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से उपस्थित विधान सभा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश ह्रदय नारायण दीक्षित तथा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। अध्यक्ष उत्तर प्रदेश विधान सभा ह्रदय नाराण दीक्षित ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारे यहां प्राचीन काल से ही लोकतंत्र की व्यवस्था रही है।
हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को हमारी संवैधानिक संस्थाओं के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताया जाना चाहिए। इतिहास से ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए पूर्व में इतिहास में जो पढ़ाया जाता रहा है, उसमें कुछ बाते सही नहीं लिखी गयी है, जिसमें सुधार किया जाना चाहिए। हमारें इतिहास के बारे में आने वाली पीढ़ियों को सही जानकारी हो, ये हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने कार्यक्रम में सम्मिलित होने के दिए गए आमंत्रण पर आयोजन कर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से आने वाली पीढ़ियों को भी इतिहास के बारे में जानकारी होती है।
इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित लोगांे को उप मुख्यमंत्री ने सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रयागराज का इतिहास अत्यंत समृद्ध व गौरवशाली है। सालों तक यह प्रदेश की राजधानी रहा और पहली विधान मण्डल की बैठक का गवाह भी है। धार्मिक, साहित्यिक, राजनितिक व पौराणिक दृष्टि से इस शहर का मान पूरी दुनिया में है। इसलिए पब्लिक लाइब्रेरी में प्रतिवर्ष 08 जनवरी को कार्यक्रम आयोजित करने की परम्परा शुरू की गयी है।
उन्होंने कहा कि पूरा सदन एक बार पुनः प्रयागराज में चले, इसके लिए पूरा प्रयास किया जायेगा। शहर का मान बढ़ता रहे, विकास के कार्य तेजी से हो, उस दृष्टि से पूरी मेहनत से जमीनी स्तर पर कार्य किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी, 2019 प्रयागराज स्थित कुम्भ नगर का कमाण्ड सेंटर उस ऐतिहासिक तारीख को प्रयागराज पुनः राजनितिक फलख पर छा गया, पहली बार उत्तर प्रदेश विधान मण्डल का सदन पहली बार लखनऊ से बाहर चला और कैबिनेट की बैठक प्रयागराज में आयोजित हुई। साथ ही प्रदेश के विकास के लिए 10 महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर मुहर भी लगायी गयी, जिसमें सबसे अहम था 36 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले गंगा एक्सप्रेस वे की मंजूरी दी गयी। इसे प्रयागराज के विकास में मील के पत्थर के रूप में याद रखा जायेगा।