प्रयागराज

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष ने पदभार संभाला

Shiv Kumar Mishra
19 May 2021 10:12 AM IST
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष ने पदभार संभाला
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नवनियुक्त UPPSC अध्यक्ष ने संभाला पदभार ,उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएं मेधावी युवाओं की आकांक्षाओं का केन्द्र होती है, ऐसे में आयोग की चयन प्रक्रिया संदेह के परे होनी ही चाहिए

शशांक मिश्रा

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के नव नियुक्त अध्यक्ष संजय श्रीनेत ने आज अपना पद भार ग्रहण किया। भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी रहे श्रीनेत कई संवेदनशील पदों पर नियुक्त रहे हैं। इससे पहले वे प्रवर्तन निदेशालय के उत्तर क्षेत्र के प्रभारी रहे जहां वे आर्थिक अपराध से संबंधित अनेक गंभीर मामलों की पड़ताल कर ख्याति अर्जित कर चुके है।

पद भार ग्रहण करने के बाद लोक सेवा आयोग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए श्रीनेत ने कहा कि प्रदेश को दक्ष, समावेशी और संवेदनशील प्रशासन उपलब्ध कराने के लिए योग्य, सत्यनिष्ठ, प्रत्याशियों का प्रामाणिक और पारदर्शी तरीके से समयबद्ध निष्पक्ष चयन, लोक सेवा आयोग का संवैधानिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है, इसकी प्रमाणिकता, विश्वसनीयता बरकरार रखना आयोग के हर सदस्य, हर अधिकारी, हर कर्मचारी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि ''संवैधानिक मर्यादाओं के प्रति सत्यनिष्ठा हम सभी से अपेक्षित है।'' उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएं मेधावी युवाओं की आकांक्षाओं का केन्द्र होती है, ऐसे में आयोग की चयन प्रक्रिया संदेह के परे होनी ही चाहिए।

श्रीनेत ने कहा कि प्रदेश की प्रशासकीय व्यवस्था में लोक सेवा आयोग के अतिरिक्त चयनित अधिकारियों के प्रशिक्षण संस्थान तथा सरकार का कार्मिंक विभाग भी बराबर के हितधारक है तथा इनमें निकट का सामंजस्य स्थापित रहना चाहिए। उनके अनुसार लोक प्रशासक के चयन, लोक-प्रशासन और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में हो रहे नए प्रयोगों तथा टेक्नोलाॅजी को भी आवश्यकता अनुसार लागू किया जाना प्रासंगिक है। इससे आयोग की कार्यप्रणाली में तेजी, पारदर्शिता और दक्षता आयेगी। उन्होंने विश्वास दिलाया कि युवाओं के शुभ स्वास्थ्य के साथ सुखद भविष्य के लिए प्रण-प्रतिज्ञ है।वह स्वंय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातक हैं। उनका मानना है कि अकादमिक शिक्षा को प्रशासन से जोड़ा जाना चाहिए। शिक्षा वास्तविक अनुभवों और समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप होनी चाहिए। पश्चिमी देशों में ''स्काॅलर एडमिनिस्टेªटर'' की प्रचलित प्रथा का संदर्भ देते हुए वे मानते है कि उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को अध्य्यन, अध्यापन और शोध कार्य भी करते रहना चाहिए। ''अभ्युदय योजना'' इस दिशा में एक दूरदर्शी प्रयास है, जिससे विद्यार्थिंयों के ज्ञान क्षितिज में विस्तार होगा।

लोक सेवा आयोग के सभी अधिकारी-कर्मचारी गण को आह्वाहन किया है कि कोरोना वायरस को हराने की जंग में सुरक्षित वैक्सीन लगवाएं और एक लोक सेवक के रूप में समाज के जरूरतमंद व्यक्तियों की जो भी मदद हो करने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करें।

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