प्रयागराज

इस महिला शिक्षक के भारत ही नहीं अमेरिका और जापान के बच्चे भी है दीवाने!

Shiv Kumar Mishra
18 July 2023 10:01 AM GMT
इस महिला शिक्षक के भारत ही नहीं अमेरिका और जापान के बच्चे भी है दीवाने!
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Not only in India, children of America and Japan are also crazy about this female teacher.

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालय तेंदुआवन नैनी की शिक्षिका ममता मिश्रा की ऑनलाइन पाठशाला में अमेरिका से लेकर जापान तक के प्रशंसक कुछ नया सीखने की ललक के साथ जुड़े हैं। शिक्षकों के बीच शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर नवाचार के आदान-प्रदान के लिए यूट्यूब चैनल के रूप में हुई एक छोटी सी शुरुआत आज दुनियाभर में लाखों लोगों तक पहुंच चुकी है। आज यूट्यूब पर 'ममता अंकित' नाम से उनके चैनल के लगभग 12 लाख सब्सक्राइबर्स और करोड़ों दर्शक हैं। इसी नाम से उनके फेसबुक पेज पर 18 लाख से अधिक और इंस्टाग्राम पेज पर 5.94 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं।

उनके प्रशंसकों में अमेरिका से लेकर जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, रूस, इंग्लैंड समेत तमाम देशों के नियमित दर्शक शामिल हैं। ममता दीदी की विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगने वाली क्लास में फॉलोअर्स की लंबी फेहरिस्त है जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, शिक्षक, ट्रेनी शिक्षक, अभिभावक, काउंसलर्स एवं शिक्षाविद के अलावा कई राजनेता एवं अन्य प्रभावशाली लोग शामिल हैं। कुछ वर्षों पहले स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उन्हें पत्र लिखकर उनके कार्यों की सराहना की थी।

कोविड में बच्चों को पढ़ाई से जोड़ा

ममता मिश्रा की सर्वाधिक चर्चा तब हुई जब कोविड के दौरान उन्होंने महीनों से अपने घरों में बंद बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से जोड़ा। मानसिक और संवेगात्मक रूप से अवसादग्रस्त हो रहे बच्चों को अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से पठन-पाठन, रोचक एवं शिक्षणेत्तर गतिविधियों से न सिर्फ जोड़ा बल्कि उनका विश्वास भी अर्जित किया। वीडियो ई-कंटेंट की विषयवस्तु की बात करें तो शिक्षिका बच्चों को विविध विषयों पर सारगर्भित शैक्षणिक सामग्री, योजनाएं, छोटी कक्षाओं से ही विज्ञान के अनुप्रयोग, गतिविधि, अभिव्यक्ति एवं विचार आधारित शैक्षिक सामग्री आदि प्रदान कर रही हैं।

कम संसाधन में बच्चों को सिखाने का जुनून

ममता शून्य अथवा अल्पतम संसाधन में नवाचार की पक्षधर हैं। उनका कहना है कि प्रत्येक शिक्षक को अपने पठन-पाठन को सुगम और प्रभावी बनाने के लिए टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) की आवश्यकता होती है। जबकि एक शिक्षाविद के नजरिए से देखें तो बच्चे स्वयं सबसे प्रभावी टीएलएम संसाधन होते हैं जिनके सहयोग से अध्यापन को अधिकतम प्रभावी बनाया जा सकता है। ऐसे में अपेक्षाकृत अल्प-संसाधन वाले बेसिक शिक्षा विभाग एवं ग्रामीण परिवेश में गतिमान अन्य संसाधनरहित शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षिका के शैक्षणिक अनुप्रयोगों एवं नवाचारों को लोग हाथों-हाथ स्वीकार करते हैं।

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