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UP Breaking News: यूपी के अनुदेशक की अपील पर मंगलवार को हाईकोर्ट में दाखिल करेगी केंद्र सरकार वेतन का विवरण
UP Breaking News प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विधालय मे कार्यरत अनुदेशक की वेतन संबंधी अपील पर मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट मे सुनवाई होगी। यह सुनवाई चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की बेंच सुनेगी।
बता दें कि अनुदेशक सिंगल बेंच से अपने 17000 हजार की लड़ाई जीत चुका है। राज्य सरकार इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ अपील में गई है कि केंद्र सरकार उन्हे अनुदेशक को देने वाला 60 प्रतिशत हिस्सा नहीं देती है। जबकि इसके पहले उन्होंने कहा था कि अनुदेशक का वेतन बढ़ाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। जबकि केंद्र सरकार 17000 हजार रुपये वेतन देने की बात 2017 मे कर चुका है । लेकिन राज्य सरकार इस बात को लेकर तैयार नहीं है।
जबकि इस घोषणा को सीएम योगी खुद 2017 में अनुदेशकों धन्यवाद देते हुए 17000 हजार देने का ट्विट कर देते है। इस ट्विट को बीजेपी उत्तर प्रदेश के ट्विटर हेंडील से भी शेयर किया जाता है। लेकिन उसी दौरान यूपी में नुरुपुर जिला बिजनौर में उप चुनाव होता है। उन्हे वहाँ एक अनुदेशक द्वारा काला झंडा दिखा दिया जाता है। फिर क्या वो सभी ट्विट झूँठ साबित होते है साथ ही पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार द्वारा किया गया 8470 वेतन की 1470 के हिसाब से वसूली कर ली जाती है।
अब चूंकि 12 मई से इलाहाबाद हाईकोर्ट में लगातार डे टू डे हियरिंग हो रही है। जिसमें अब डबल इंजन की सरकार एक दूसरे इंजन पर आरोप लगा रही है। लेकिन अनुदेशक को वेतन देने में राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों पीछे हट जाती है।
अब इस मामले में मंगलवार को अब फिर सुनवाई होगी। अनुदेशक की और से सुप्रीमकोर्ट के वकील डॉ एपी सिंह और इलाहाबाद की वरिष्ठ वकील दुर्गा तिवारी रखेंगी। जबकि राज्य सरकार की और सरकारी वकील और एलपी मिश्र वरिष्ठ अधिवक्ता रखेंगे। जबकि केंद्र सरकार की और से केंद्र सरकार के सरकारी वकील आज वेतन का विवरण रखेंगे। इस पर बेंच ने उनके साथ सख्ती से पेश आते हुए कहा है कि अगर आप इस बार सभी पेपर के साथ नहीं आए तो हम आपके सचिव को तलब करेंगे।
बता दें कि इस सुनवाई के दौरान एक अनुदेशक ने आर्थिक हालात बिगड़ने पर फांसी लगाकर आत्महत्या भी कर ली है। जबकि उसका शव फंदे पर लटकता देख कर माँ ने छत से ही छलांग लगा दी और उस माँ की पुत्र वियोग में मौत हो गई। जबकि पत्नी की मौत छह माह पहले होना बताई गई है। यह एक अनुदेशक की नहीं 27600 अनुदेशकों की यही पीड़ा है अगर समय रहते सरकार ने इनकी मांग नहीं मानी तो इनके और भी साथी कुछ उल्टा सीधा कर सकते है।
अनुदेशक की एक यही वेतन ही समस्या नहीं है उनकी रिनुवल और ट्रांसफर पोस्टिंग भी अहम मुद्दा है। इस पर सरकार का कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा इनको इनके होम ब्लॉक में तैनाती देने से इनकी बड़ी समस्या से सरकार निजात दिला सकती है। साथ रिनुवल पर 100 बच्चों की बाध्यता भी समाप्त की जाए क्योंकि अब इनको दस वर्ष से ज्यादा विभाग में कार्य चुके है तो हर बार इनकी निष्ठा पर सवाल उठाना भी ठीक नहीं है।