प्रयागराज

"कोरोनासंक्रमणकाल में थूकने के प्रभाव पर " आयोजित की गई ऑनलाइन संगोष्ठी

Shiv Kumar Mishra
10 Oct 2020 2:47 PM GMT
कोरोनासंक्रमणकाल में थूकने के प्रभाव पर  आयोजित की गई ऑनलाइन संगोष्ठी
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शशांक मिश्रा

इलाहाबाद विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना एवं संबंध हेल्थ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में '' कोविड-19 पर थूकने के प्रभाव" थीम पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। कोरोनावायरस बीमारी के दौर में हमारे सामाजिक जीवन के बहुत सारे पहलुओं पर गंभीर चर्चा परिचर्चा आयोजित की गई। वेबीनार की शुरुआत में डॉ मंजू सिंह कार्यक्रम समन्वयक राष्ट्रीय सेवा योजना इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने वेबीनार के थीम को स्पष्ट किया और आयोजन के और चित्र पर प्रकाश डाला।

एनएसएस के सार्थक योगदान को स्पिट फ्री इंडिया में हम कैसे देख सकते हैं इसे भी उन्होंने प्रभावशाली तरीके से सत्र के आरंभ में रखा और इस मुहिम को जन आंदोलन बनाने का संकल्प इलाहाबाद विश्वविद्यालय की तरफ से समस्त महाविद्यालयों की तरफ से समस्त स्वयंसेवकों और कार्यक्रम अधिकारियों की तरफ से लिया और 'एनएसएस के द्वारा लोगों के लिए' तथा 'स्वयं से पहले आप' के सूत्र वाक्य को चरितार्थ करने की दिशा में अब तक विश्वविद्यालय के प्रयासों पर प्रकाश डाला।इसी क्रम में 'स्पिटफ्री इंडिया' की बात इस वेबीनार में उठाई गई। वेबिनार के मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी ने इस परिचर्चा के उद्घाटन संबोधन इस सामान्य से लगने वाले व्यवहार, इसके प्रभाव, संक्रमण में इसकी भूमिका, स्वयंसेवकों का जागरूकता फैलाने में योगदान आदि पर इस परिचर्चा को अत्यंत जीवंत कर दिया।

इस विषय पर विशेषज्ञ के रूप में नागपुर के मशहूर कैंसर विशेषज्ञ डॉ प्रणव इंगोले ने एक स्वस्थ, एक मादक द्रव्य व्यसनी, एक संक्रमित व्यक्ति की जीवन शैली आदि की चर्चा करते हुए कहा कि तंबाकू के सेवन,सिगरेट के सेवन से मुंह के कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है। प्रारंभिक स्तर पर इसका पता चल जाने पर इलाज संभव है लेकिन यदि बाद में पता चलता है तो डॉक्टर इसमें कुछ नहीं कर सकते तंबाकू के सेवन से सिगरेट के सेवन से कोविड-19 जैसी बीमारी कि खतरे का वर्तमान समय में सहज अनुमान लगाया जा सकता है, तंबाकू के सेवन से मुंह में पर्याप्त मात्रा में लार बनती है और व्यक्ति थूकने के लिए कहीं भी सार्वजनिक स्थान पर उत्तेजित होता है और थूक देता है जिससे बहुत सारी बीमारियां अनेक व्यक्तियों में जो इनका सेवन नहीं करते उन्हें भी संक्रमित कर देती है, सिगरेट को हाथ में लेकर मुंह और नाक को स्पर्श करने से कोविड-19 बीमारी का खतरा व्यक्तिगत रूप से और उस से निकले हुए धुआं से अन्य अनेक व्यक्तियों के संक्रमित होने का गंभीर खतरा पैदा हो जाता है।

उन्होंने विविध वैयक्तिक अध्ययनों को हमारे समक्ष रखा, गुटखा पान तंबाकू स्पिट और कैंसर कोविड-19 संक्रमण तथा अन्य संक्रमण के कारण प्रभाव और बचाव पर अपने अनुभवों की साझेदारी की, उन्होंने स्वयंसेवकों की सराहना की और स्पिट फ्री इंडिया बनाने के लिए उनका आवाहन भी किया। गुटखा और तंबाकू के खतरे को आज हम पहचानने लगे हैं, एक हद तक चर्चा करने लगे हैं, पर गंभीरता से अमल करना हम संबंध हेल्थ फाउंडेशन के संस्थापक संजय सेठ क के जीवन से सीख सकते हैं, पहले तंबाकू मुक्त भारत, गुटका मुक्त भारत का उल्लेखनीय कार्य करने के उपरांत अब श्री सेठ स्पिट फ्री इंडिया पर महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं उन्होंने इस क्षेत्र में अब तक के अपने योगदान पर चर्चा की और फिर यह भी स्पष्ट किया कि इस दिशा में और बेहतर ढंग से कैसे काम किया जा सकता है, वेबीनार का थीम और उसकी प्रासंगिकता को उन्होंने अपने संबोधन के केंद्र में रखा।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों के राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ कस्तूरी भारद्वाज(जगत तारन महिला महाविद्यालय) और डॉ अरविंद कुमार मिश्र(ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज) ने अलग-अलग संबोधन में एक शिक्षक, एक नागरिक और एक कार्यक्रम अधिकारी के रूप में वेबीनार के थीम पर चर्चा की, अपने स्वयंसेवकों की तरफ से इस बात के प्रति आश्वस्त किया कि हम इस दिशा में सकारात्मक योगदान देंगे, ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन निकट भविष्य में भी करेंगे और इस स्पिट फ्री इंडिया मूवमेंट को एक जन आंदोलन का रूप देंगे। अंतत: क्रियात्मक सत्र प्रारंभ हुआ जिसमें वेबीनार में उपस्थित प्रतिभागियों, स्वयं सेवकों के जिज्ञासाओं, प्रश्नों, संभावनाओं पर विचार विमर्श किया गया। ऐसी वेबीनार से जो जागरूकता और उत्साह होना चाहिए वह सब पूरे सत्र में बना रहा।

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