प्रयागराज

जानिए अतीक अहमद का पूरा जन्म से लेकर अब तक का इतिहास, कब कब हुए केस दर्ज और कब हुआ इनाम घोषित

Shiv Kumar Mishra
28 March 2023 12:20 PM IST
जानिए अतीक अहमद का पूरा जन्म से लेकर अब तक का इतिहास, कब कब हुए केस दर्ज और कब हुआ इनाम घोषित
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ateeq ahmed life introduction

अतीक अहमद का जन्म इलाहाबाद अब प्रयागराज स्थित चाकिया नामक मोहल्ले में सन 10 अगस्त 1962 हुआ था। इनके पिता फिरोज अहमद तांगा चलकर परिवार को चलते थे। वो हाईस्कूल में ही फेल हो गया।अतीक के पिता इलाहाबाद स्टेशन पर तांगा चलाया करते थे लेकिन रातों-रात अमीर बनने का चस्का अतीक के पिता और अतीक को किसी भी हद तक ले जाने वाला था। अतीक अहमद पर 17 साल की उम्र में ही पहली हत्या का केस दर्ज हो गया था। बाहुबली अतीक अहमद बेहद ही गरीब परिवार से आते हैं इनके पिता रेलवे स्टेशन में तांगा चलाया करते थे।

अतीक ने सन 1996 में शाइस्ता परवीन से शादी की, उसके बाद इन्होने पांच बेटों को जन्म दिया मोहम्मद असद, मोहम्मद अहजम, मोहम्मद उमर, मोहम्मद अली और मोहम्मद आबान है। इन सभी के ऊपर भी गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड हैं, इनमें से 2 बेटे अभी भी जेल में बंद हैं। अमीर बनने के शौक ने अतीक नए अपराध की दुनिया में कदम रखा। अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन इसी साल 2023 में BSP (बहुजन समाज पार्टी) में शामिल हुई हैं।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ अतीक के अपराध की दुनिया के भी हाथ बढ़ने लगा। इनके ऊपर हत्या, अपहरण, जमीनी कब्ज़ा, पुलिस के साथ मारपीट, शांति व्यवस्था भंग करने, सरकारी काम में बाधा जैसे कई आरोप शामिल है। अतीक अहमद के खिलाफ के 80 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जो उत्तरप्रदेश के अलग-अलग जिलों और बहरी राज्य में भी हैं।

17 साल की उम्र में जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अतीक अहमद के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज और वो भी हत्या का, साल 1979 में महज 17 साल की उम्र में अतीक पर कत्ल का इलजाम लगा उसके बाद जुर्म जैसे अतीक का शक्ल बन गया, इसके बाद अतीक ने कभी भी पीछे मुड़कर नही देखा। पढ़ाई के पन्ने तो कोरे थे लेकिन साल दर साल उसके जुर्म की किताब भरती जा रही थी।

कभी इलाहाबाद की गलियों में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था जिसके सामने जाने से पुलिस भी कांपती थी, तब अतीक की उम्र यही करीब 20-22 साल हुआ करती थी, पुलिस चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहती थी इसलिए अतीक को सियासी और पुलिसीया दोनों का श्रय मिला।

1986 आते-आते अतीक गैंग खुंखार हो चुका था, चांद बाबा के गैंग से भी ज्यादा खूंखार, फिर एक दिन अतीक को पुलिस उठाकर ले गई, तब उत्तरप्रदेश में वीर बहादुर सिंह की सरकार थी और दिल्ली में प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी। दिल्ली से अचानक फोन आया और उत्तरप्रदेश पुलिस अतीक को घर तक छोड़ गई, अतीक ने चांद बाबा की गैंग को एक-एक करके खत्म कर दिया।

1987 आते-आते अतीक को पता चल गया गया था कि जुर्म की दुनिया का बादशाहत बरकरार रखनी है तो राजनीति की छाव में जाना ही पड़ेगा, अतीक को समझ आ चुका था कि सता की ताकत से वो क्या-क्या कर सकता है।

1989 में अतीक ने इलाहाबाद की पष्चिमी सीट से निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा और विधायक बन बैठा, चांद बाबा के खात्मे के बाद अतीक का खौफ इस कदर हावी हो चुका था कि उसके खिलाफ चुनाव लड़ने को कोई तैयार भी नही होता था।

अतीक 1991 और 1993 में फिर से इलाहाबाद पष्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव जीत गया। साल 1992 में जब पुलिस ने अतीक का कच्चा चिट्ठा खोला तो देखने वालों की आंखे फटी की फटी रह गई यानि 30 साल की उम्र तक अतीक के खिलाफ 44 मामले दर्ज हो चुके थे।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कोशाम्बी, चित्रकूट व इलाहाबाद में कई मामले दर्ज थे, अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले इलाहाबाद में दर्ज हुए, उसके जुर्म का किस्सा उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर बिहार तक चला गया, बिहार में भी अतीक के खिलाफ हत्या, फिरौती व अन्य गैंगस्टर के मामले दर्ज हुए।

1996 आते-आते समाजवादी पार्टी ने अतीक का अपना कोहिनूर बना लिया अतीक फिर चुनाव जीत गया, हर चुनाव के बाद अतीक का बाहुबल का परचम और तेज लहराने लगा। 1999 में अतीक ने दल बदला और अपना दल में शामिल हो गया, फिर वो पांचवी बार विधायक बन बैठा, महंगे और लग्जरी गाड़ियां, अत्याधुनिक हथियार यह अतीक अहमद के सबसे बड़े शौक बन गए।

2004 में अतीक अहमद फूलपूर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और सांसद बन गया फिर अपनी विधानसभा सीट इलाहाबाद की पष्चिम सीट से उसने अपने भाई को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन उसका भाई चुनाव नही जीत पाया।

4000 वोटों से जीत हासिल करने वाले समाजवादी पार्टी के राजू पाल कभी अतीक का दाहिना हाथ हुआ करता था, अतीक अपने भाई की हार से इतना बौखला गया उसने 25 जनवरी 2005 को राजू पाल को 19 गोलियों से भून डाला, इसके बाद से ही अतीक का बुरा दौर शुरू हो गया।

2007 के विधानसभा चुनाव में अतीक का भाई इलाहाबाद पष्चिम सीट से फिर से चुनाव हार गया, समाजवादी पार्टी ने अतीक का बाहर कर दिया और अतीक के खिलाफ तत्कालीन मायावती की सरकार ने ऑपरेशन अतीक शुरू किया।

अतीक गैंग के 227 लोगों की लिस्ट तैयार हुई चुन-चुनकर सबकों पकड़ा जाने लगा। 1986 से 2007 तक अतीक पर 1 दर्जन से ज्यादा मुकदमें गैंगस्टर एक्ट के तहत लग चुके थे, 2 महीने के भीतर-भीतर अतीक पर इलाहाबाद में 9, कोशाम्बी और चित्रकूट में 1-1 मुकदमा दर्ज हुआ।

अतीक पर 20 हजार का इनाम घोषित किया गया उसके करोड़ों की संपत्ति सीज कर दी गई, बिल्डिंग गिरा दी गई, अलीना सिटी को अनलिगल घोषित कर दिया गया, सब प्रोपर्टी या तो गिर गई या जब्त कर ली गई।

सांसद रहते हुए अतीक के खिलाफ पूरे देश में लुकआउट नोटिस जारी हुआ, अतीक दिल्ली से गिरफ्तार हुआ और जेल में डाल दिया गया। 2012 में अतीक ने अपना दल से चुनाव लड़ने की तैयारी की उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बेल की अर्जी डाली लेकिन कोर्ट के 10 जजों ने उसका मामला सुनने से खुद को अलग कर लिया, 11वें जज तैयार हुए और अतीक को जमानत दे दी गई।

अतीक इलाहाबाद की पष्चिमी सीट से पूजा पाल के खिलाफ फिर से मैदान में उतरा लेकिन हार गया, 2016 में अतीक अहमद को कानपूर कैंट से उम्मीदवार के रूप में उतारा गया तो खुशी के मारे 500 लग्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ अतीक कानपुर पहुंच गया, वो खुद 8 करोड़ की हमर गाड़ी में सवार था।

14 दिसंबर 2016 को अतीक और उसके गैंग के गुंडों पर इलाहाबाद की काॅलेज में तोड़ फोड़ और मारपीट का मामला दर्ज हुआ, कहते है ना की पाप की कहानी का अंत एक ना एक दिन जरूर आता है।

2017 में योगी सरकार आई और उसने बैक टू बैक अतीक की सभी पुरानी फाइलों को खुलवाना शुरू कर दिया और अतीक के खिलाफ कई मामलों की जांच सीबीआई को दे दी गई, और अतीक के लंका की बर्बादी योगी ने अपने हाथ से लिख डाली, 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक की जमानत याचिका रद्द कर दी और तब से अतीक के लिए काला दौर प्रारंभ हो गया तब से अतीक जेल में बंद है और उसकी संपत्तियां खाक में मिल गई।

अभी हाल ही में अतीक गैंग कें गुर्गो ने गवाह उमेश पाल की हत्या कर दी गई जिसके बाद से यूपी पुलिस ने एक के बाद एक गुर्गे का एनकाउंटर करना प्रारंभ कर दिया। उमेश पाल हत्याकांड में शामिल 2 शूटर्स को योगी पुलिस ने ढेर कर दिया है वहीं अन्य की तलाश जारी है, जिन पर 2.5 लाख का इनाम भी रखा गया है, इस हत्या में अतीक का बेटा भी शामिल था।

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