प्रयागराज

आज की शिक्षा केवल रोजगार का माध्यम बनती जा रही है, हमें शिक्षा को बदलाव का माध्यम भी बनाना होगा : कुलपति प्रो हांगलूं

Special Coverage News
11 Nov 2018 2:54 PM GMT
आज की शिक्षा केवल रोजगार का   माध्यम बनती जा रही है, हमें शिक्षा को बदलाव का माध्यम भी बनाना होगा  : कुलपति प्रो हांगलूं
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शशांक मिश्रा

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में "राष्ट्रीय शिक्षा और समकालीन समाज" विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोलते हुए मुख्य अतिथि वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय सूरत के पूर्व कुलपति प्रोफेसर प्रेम कुमार शारदा ने कहा कि वर्तमान शिक्षा में जड़ता को दूर करना होगा, अवसरों की उपलब्धता सबके लिए सुनिश्चित करनी होगी, शिक्षा के विस्तार के साथ साथ शिक्षण और प्रशिक्षण की नई विधियों का अनुशीलन करना होगा ,साथ ही साथ ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण करना पड़ेगा जो निर्णय लेने में सक्षम हों जिनमें ज्ञान के अनुप्रयोग की क्षमता हो, जो टीम भावना से काम करते हों और जिनके अंदर सृजनात्मकता हो। 131 साल पुराने इस विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय शिक्षा में सदैव से योगदान रहा है इस समय भी इसके महत्व को हम भूल नहीं सकते। देश के निर्माण के लिए जिस शिक्षा की आवश्यकता है उस शिक्षा का मूल मंत्र होना चाहिए कि सभी साथ में सहकार भाव से आगे बढ़े और राष्ट्र निर्माण करें। यह राष्ट्रीय संगोष्ठी मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन 11 नवंबर जिसे भारत सरकार राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मना रही है, के अवसर पर आयोजित थी।




इस कार्यक्रम की अध्यक्षता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ने की । उन्होंने शिक्षा के मार्मिक स्थलों की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा में हम प्रेरणा का भाव नहीं ला पा रहे।आज की शिक्षा केवल रोजगार का माध्यम बनती जा रही है। हमें शिक्षा को बदलाव का माध्यम भी बनाना होगा। शिक्षा के व्यवसायीकरण के प्रश्न पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने सबके लिए समान शिक्षा और सब के लिए अवसरों की उपलब्धता पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस देश के विकास और इसे आगे ले जाने का मूल मंत्र उत्तम शैक्षिक वातावरण का निर्माण ही है। इसके लिए विद्यार्थी और अध्यापकों दोनों को प्रतिबद्ध होना पड़ेगा। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर नरेंद्र कुमार शुक्ला ने कहा कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए केवल पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा ही आवश्यक नहीं है बल्कि पाठ्यक्रम से बाहर निकल कर एक शैक्षिक वातावरण के निर्माण की आवश्यकता है।


अतिथियों का परिचय कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर शिव प्रसाद शुक्ल जी ने दिया। इस अवसर पर प्रोफेसर प्रेम कुमार शारदा जी का अंगवस्त्रम और विश्वविद्यालय का प्रतीक चिन्ह प्रदान कर कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ,कुलसचिव प्रोफेसर नरेंद्र कुमार शुक्ल और कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर शिव प्रसाद शुक्ल द्वारा सम्मान भी किया गया।कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सह आचार्य डॉ राजेश कुमार गर्ग ने किया। इस अवसर पर डॉक्टर सुनील कांत मिश्र वित्त अधिकारी, चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर रामसेवक दुबे ,डीन आर्ट्स प्रोफेसर केएस मिश्र ,डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर हर्ष कुमार प्रोफेसर चंदा देवी, प्रोफेसर संतोष भदौरिया, डॉ राकेश सिंह, डॉ बृजेश पांडे, डॉ अमरेंद्र त्रिपाठी अनेक विभागों के विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय के अनेक आचार्य, सहआचार्य एवं महाविद्यालयों से अनेक प्राध्यापक उपस्थित रहे।

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