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जानिए- कौन हैं संत बलबीर गिरि, जिन्हें अपने सुसाइड लैटर में उत्तराधिकारी बना गए महंत नरेंद्र गिरि, क्या है बाघंबरी गद्दी मठ का इतिहास
प्रयागराज : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। मौके से मिले कथित सुसाइड नोट के 8वें पन्ने में उन्होंने अपने उत्तराधिकारी का ऐलान किया है। इसमें बाघंबरी गद्दी मठ का उत्तराधिकारी बलवीर गिरि को घोषित किया गया है। साथ ही अपने प्रिय शिष्यों के नाम वसीयत भी की है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को महंत नरेंद्र गिरि को श्रद्धांजलि देने आए तब उन्होंने बलवीर गिरि से बातचीत की। बलवीर गिरि ठीक उनके बगल में बैठे थे। महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में हुई मौत के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए बलवीर गिरि ने कहा कि जिनकी वजह से यह घटना हुई है उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। ।
बलवीर गिरि ने दावा किया है कि सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि की ही हैंड राइटिंग है। उन्होंने कहा कि मैंने जो राइटिंग देखी है, वे गुरुदेव के हाथ के अक्षर हैं। उनका कहना है कि नरेंद्र गिरि ने कभी उनसे कोई परेशानी साझा नहीं की। बलवीर गिरि ने कहा कि गुरु जहर पी जाता है। शिष्य का कर्म होता है कि उनके आचरण का अनुसरण करे। उन्होंने कहा कि नई जिम्मेदारी के लिए वे हमेशा से तैयार हैं।
जानिए कौन हैं बलवीर गिरि
बलबीर गिरि और आनंद गिरि करीब-करीब एक ही समय के दौरान महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य बने थे. ये करीब 30 साल पुराने शिष्य हैं. महंत नरेंद्र गिरि ने बलबीर गिरि को हरिद्वार आश्रम का प्रभारी बनाया हुआ था. इन्हीं बलबीर गिरि को महंत नरेंद्र गिरि ने अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया है.
एक समय बलबीर गिरि और आनंद गिरि महंत के सबसे करीब माने जाते थे, लेकिन आनंद गिरि के निष्कासन के बाद बलबीर गिरि ही मठ का पूरा कामकाज संभाल रहे थे. किसी भी प्रमुख आयोजन या वार्ता में वह महंत नरेंद्र गिरि के साथ होते थे.
उत्तराधिकारी घोषित करते हुए महंत नरेंद्र गिरि ने ये लिखा
'प्रिय बलवीर गिरि, ओम नमो नारायण। मैंने तुम्हारे नाम एक रजिस्टर वसीयत की है, जिसमें मेरे ब्रह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बनोगे। तुमसे मेरा एक अनुरोध है कि मेरी सेवा में लगे विद्यार्थी जैसे मिथिलेश पांडे, राम कृष्ण पांडे, मनीष शुक्ला, विवेक कुमार मिश्रा, अभिषेक कुमार मिश्रा, उज्जवल द्विवेदी, प्रज्ज्वल द्विवेदी, अभय द्विवेदी, निर्भर द्विवेदी, सुमित तिवारी का ध्यान देना। जिस तरह से मेरे समय में रह रहे थे, उसी तरह से तुम्हारे समय में रहेंगे। इन सभी का ध्यान देना।
उत्तराखंड के बलवीर गिरि 2005 में संत बने थे
निरंजनी अखाड़े के महंत सचिव स्वामी रामरतन गिरि का कहना है कि बलवीर गिरि अच्छे संत हैं। वे अखाड़े में महत्वपूर्ण पद पर रहे हैं, उत्तराखंड के रहने वाले हैं और 2005 में वे संत बने थे।
बाघंबरी गद्दी मठ और निरंजनी अखाड़े की सम्पत्ति
प्रयागराज के अल्लापुर इलाके में बाघंबरी गद्दी और मठ है, जो करीब 5 से 6 बीघे जमीन में है. यहां निरंजनी अखाड़े के नाम एक स्कूल और गौशाला भी है. दारागंज में भी अखाड़े की जमीन है.
प्रयागराज के संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर, बाघंबरी मठ का ही मंदिर है. जहां प्रयागराज और संगम आने वाले सभी श्रद्धालु मत्था जरूर टेकते हैं.
प्रयागराज में 100 बीघा और मिर्जापुर के महुआरी में भी 400 बीघे से ज्यादा की जमीन बाघंबरी मठ के नाम है.
मिर्जापुर के नैडी में 70 बीघा और सिगड़ा में 70 बीघा जमीन अखाड़े की है.
सिर्फ प्रयागराज और इसके आसपास के इलाके में ही निरंजन अखाड़े के नाम करीब 300 करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्ति है.
कुंभ नगरी उज्जैन और ओंकारेश्वर में निरंजन अखाड़े के पास 250 बीघा जमीन, आधा दर्जन मठ और दर्जनभर आश्रम है.
कुंभ नगरी नासिक में भी निरंजन अखाड़े के पास 100 बीघा से अधिक जमीन, दर्जनभर आश्रम और मंदिर हैं.
बड़ोदरा, जयपुर, माउंटआबू में भी निरंजन अखाड़े के पास करीब 125 बीघा जमीन सहित मंदिर और आश्रम है.
हरिद्वार में भी दर्जनभर मठ-मंदिर निरंजन अखाड़े के अधीन है.
इनके अलावा नोएडा, वाराणसी सहित देश के कई हिस्सों में निरंजन अखाड़ेकी जमीन, मंदिर और मठ है.
पंच परमेश्वरों की की बैठक कल
माना जा रहा है कि अखाड़ा परिषद के पंच परमेश्वरों की कल सुबह 10 बजे बैठक होनी है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी ने बताया कि 23 सितंबर को 11 बजे महंत नरेंद्र गिरी जी को भू-समाधि दी जाएगी. गंगा जमुना सरस्वती के जल से उनको स्नान कराया जाएगा. माना जा रहा है कि गुरुवार को महंत नरेंद्र गिरि का अंतिम संस्कार होने के बाद बलबीर गिरि के नाम का औपचारिक ऐलान किया जाएगा.