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सुसाइड नोट पर सवाल : महंत के 7 पन्ने के सुसाइड नोट पर क्यों खड़े हो रहे सवाल, शिष्यों ने किया बड़ा खुलासा
प्रयागराज : महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मामले में जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है नए खुलासे होते जा रहे हैं। अब जो सुसाइड नोट बरामद हुआ है उसको लेकर बहुत से सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि सुसाइड नोट में जो जिक्र है वह एक दिन पहले का है और उसी दिन महंत नरेंद्र गिरी यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या से मिले थे और तस्वीरों से साफ़ है कि यह एक बेहद सामान्य मुलाकात थी इसमें कोई भी तनाव उनके चेहरे पर नहीं मालूम पड़ता।
महंत नरेंद्र गिरी ने मौत से महज एक दिन पहले अलग-अलग लोगों से मुलाकात की और हैरानी की बात है कि उस वक़्त उनके चेहरे पर कोई तनाव नहीं था। पहले उनका शव पंखे से लटका मिलता है और इस लम्बे से सुसाइड नोट को लेकर सबसे पहला सवाल जो खड़ा होता है उसमे यह कि उनके करीबी लोगों का कहना है कि वह ज्यादा पढ़ते लिखते नहीं थे।
ऐसे में कोई व्यक्ति जो मौत से ठीक एक दिन पहले कई लोगों से एकदम सामान्य मनोदशा में मिलते हैं और फिर 7 पन्नों का सुसाइड नोट लिखते हैं इसपर विश्वास करना काफी मुश्किल है। दूसरी बात यह कि यह सुसाइड लेटर किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखा गया नहीं मालूम देता जो किसी ख़राब मनोस्थिति से गुजर रहा हो। सुसाइड नोट में इस्तेमाल की गई भाषा को देखकर लगता है जैसे सबकुछ पहले से तय करके रखा गया था। ऐसे में जो सबसे बड़े कुछ सवाल खड़े होते हैं वह यह है कि इस लेटर को लेकर कूद महंत नरेंद्र गिरी ने लिखा है तो उनकी मनोस्थिति क्या थी, इसके अलावा जो सवाल सबसे ज्यादा आखर रहा है वह यह कि उनको सबसे करीब से जानने वाले उनके शिष्यों का दावा है कि महंत जी बहुत नहीं लिखते थे।
शिष्यों द्वारा किये गए दावे को तब सही मन जा सकता है जब प्रयागराज अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महासचिव जीतेंद्रानंद सरस्वती ने भी ऐसा ही दावा करते हुए कहा कि, महंत नरेंद्र गिरी स्वयं इतना बड़ा सुसाइड नोट लिख ही नहीं सकते। महंत जी सिर्फ हस्ताक्षर और काम चलाऊ लिखना जानते थे।