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- उमेशपाल हत्याकांड में...
उमेश की हत्या मामले में उनकी पत्नी जया पाल ने अहमदाबाद जेल में बंद माफिया अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, बरेली जेल में बंद भाई पूर्व विधायक अशरफ, अतीक के बेटों, मोहम्मद मुस्लिम और अतीक के अन्य सहयोगियों के खिलाफ साजिश, हत्या सहित अन्य गंभीर धाराओं में धूमनगंज थाने में एफआइआर लिखाई है। धूमनगंज थाने में अपराध संख्या 0114 धारा 147,148, 149,302,307, 120 बी,506,34, विस्फोटक अग्नि विस्फोटक अधिनियम 1908(3), आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1932 (7) के तहत दर्ज हुआ मुकदमा।
प्रयागराज जिले में कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद लोगों ने बेहतर कानून व्यवस्था का अंदाजा लगाया था लेकिन दिन दहाड़े उमेश पाल हत्याकांड होने से प्रयागराज जिले में लागू कमिश्नर प्रणाली हवा हवाई साबित हो गई है। अपराध पर कंट्रोल करने के लिए योगी सरकार द्वारा कुछ महीने पहले प्रयागराज जिले में कमिश्नर प्रणाली लागू किया गया था। कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बावजूद कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है इस बात का अंदाजा उमेश पाल हत्याकांड से लगाया जा सकता है। प्रयागराज जिले में कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है दिन दहाड़े हुई उमेश पाल हत्याकांड ने खोलकर रख दी है।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद लोग कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। धूमनगंज थाना से पांच सौ मीटर की दूरी पर दिन दहाड़े बीच सड़क पर हमलावर मौत का तांडव करते रहे लेकिन धूमनगंज थाना पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी आखिर क्यों। दिन दहाड़े बीच सड़क पर उमेश पाल व उनके गनर के ऊपर हमलावर गोली और बम की बौछार कर रहे थे तब धूमनगंज थाना पुलिस किस कार्य में व्यस्त थी जिसके कारण धूमन गंज थाना पुलिस को वारदात की भनक तक नहीं लगी। उमेश पाल हत्याकांड के बाद कमिश्नर प्रणाली और धूमन गंज थाना पुलिस के प्रति लोगों के जेहन में कई सवाल उत्पन्न हो रहे हैं।
प्रयागराज में कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बावजूद थाना पुलिस बेलगाम है और अपराधी मस्त। हमलावर दिन दहाड़े घटना को अंजाम देकर आसानी से फरार हो गए प्रयागराज पुलिस हमलावरों का बाल भी बांका नहीं कर सकी। प्रयागराज पुलिस हवा में लकीरें पीट रही है लेकिन कई घंटा बीत जाने के बाद भी उमेश पाल हत्याकांड में शामिल एक भी हमलावर पुलिस के हांथ नही आए जिसके माध्यम से पुलिस असली कातिल तक पहुंच सके। प्रयागराज पुलिस सीमा सील कर हमलावरों की तलाश में जुटी है।
पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद और उमेश पाल के बीच दुश्मनी बहुजन समाज पार्टी के विधायक राजू पाल की हत्या के बाद शुरू हो गई थी।राजू पाल की हत्या के बाद उमेश पाल को अतीक अहमद गिरोह ने अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया और लगातार उमेश को टार्चर करता रहा,लेकिन उमेश डटे रहे।बिना डरे हुए लड़ते रहे। उमेश शुक्रवार को भी कोर्ट में अतीक गिरोह द्वारा खुद के अपहरण के मामले में गवाही देने गए हुए थे।
बता दें कि साल 2005 में 25 जनवरी को बसपा विधायक राजू पाल की धूमनगंज थाना क्षेत्र के सुलेम सराय क्षेत्र में स्वचालित हथियारों से हत्या कर दी गई थी। राजू पाल के साथ संदीप यादव और देवी लाल भी मारे गए थे।राजू पाल के गनर समेत कई लोग घायल हुए थे।राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने इस मामले में तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, अशरफ, फरहान, आबिद, रंजीत पाल और गुफरान समेत नौ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसी मुकदमे के मुख्य गवाह राजू पाल के बाल सखा और रिश्तेदार उमेश पाल बने थे।इसी के साथ ही अतीक अहमद गिरोह और उमेश पाल के बीच दुश्मनी शुरू हो गई,लेकिन उमेश डरे नहीं। वे लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अतीक अहमद गिरोह का डटकर मुकाबला करते रहे।जब सीबीआई जांच शुरू हुई, तो भी उमेश ही मुख्य गवाह बने थे।अतीक अहमद गिरोह लगातार उमेश का टार्चर करता रहा। कभी उमेश का अपहरण तो कभी कचहरी में पकड़कर धमकी दी गयी,कभी रंगदारी मांगी गई तो कभी हत्याकांड में जबरन नामजद करा दिया गया।
बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल का 28 फरवरी 2008 को अतीक अहमद गिरोह ने अपहरण कर लिया।उमेश को किसी अज्ञात जगह ले जाकर पीटा गया। धमकाया गया कि अगर राजू पाल हत्याकांड में गवाही दी तो जान से मार दिया जाएगा। इसके बाद उमेश बहुत डर गए थे, लेकिन हार नहीं मानी।उमेश ने माफिया अतीक अहमद, अशरफ समेत गिरोह के कई गुर्गों के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी।
उमेश पाल अपहरण के मामले में 11 जुलाई 2016 में गवाही देने के लिए कचहरी पहुंचे थे।कचहरी ई में ही उमेश पर हमला कर दिया गया। उन पर गोलियां चलाईं गईं। संयोग से उमेश बच गए थे। उमेश ने अतीक, अशरफ, हमजा समेत गिरोह के अन्य शातिरों के खिलाफ हमले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस हमले के बाद भी उमेश नहीं झुके।
अतीक अहमद गिरोह लगातार उमेश पाल को टार्चर कर रहा था। जब हमले के बाद भी उमेश नहीं माने तो साल 2016 में 14 जुलाई को धूमनगंज के जितेंद्र पटेल की हत्या में उमेश को नामजद करा दिया। उमेश और घर वाले भौचक्के रह गए। उमेश को फरार होना पड़ा, लेकिन जांच में सब साफ हो गया। जितेंद्र की हत्या में उमेश को बाइज्जत बरी कर दिया गया।
उमेश पाल वकालत करने के साथ साथ प्रापर्टी डीलिंग का भी काम करते थे।साल 2022 फरवरी में उमेश धूमनगंज में अपनी साइट पर थे। उसी समय अतीक अतीक अहमद के कई गुर्गे असलहा लेकर पहुंच गए। गुर्गो ने उमेश को धमकाया कि अतीक ने एक करोड़ मांगे हैं। अगर नहीं रुपये नहीं दिए तो जान से मरवा दिया जाएगा। अगर प्रापर्टी डीलिंग करनी है तो एक करोड़ देने पड़ेंगे। हालांकि घटना फरवरी की है, लेकिन पुलिस ने इसे अगस्त महीने में दर्ज किया था।
जिले और राजधानी का शायद ही कोई अफसर हो, जिससे उमेश पाल ने अपनी जान पर खतरे का अंदेशा न जताया हो। सबको उमेश ने जान के खतरे की चिट्ठी दे रखी थी। शासन के निर्देश पर उमेश को हथियारों के साथ दो सिपाही सुरक्षा में मिले थे, लेकिन वे भी उमेश की जान नहीं बचा सके।