रामपुर

सपा सांसद आज़म खान की अग्रिम जमानत याचिका हुई ख़ारिज

Special Coverage News
28 Aug 2019 11:21 AM GMT
सपा सांसद आज़म खान की अग्रिम जमानत याचिका हुई ख़ारिज
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रामपुर। सपा सांसद आज़म खान पर रामपुर की पुलिस द्वारा हाल फिलहाल में लिखे गए 29 मुक़दमे में जिला जज रामपुर की अदालत ने आजम खान द्वारा अपनी अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की थी जिसे जिला अदालत ने खारिज़ कर दिया है आज़म खान के खिलाफ ज़मीनी विवाद ,लोक प्रतिनिधि अधिनियम व कई अन्य मामले सरकार बदल जाने के बाद दर्ज कराए गए थे जिन्हें सियासी चश्मे से भी देखा जा रहा है।

असल में आजम खान और मोदी की भाजपा के नेताओं के बीच ज़ुबानी जंग चलती रहती थी परन्तु वह सिर्फ़ बयानबाज़ी तक ही महदूद रहती थी इस बार की भाजपा में और पहले की भाजपा में बहुत फ़र्क़ समझा जा रहा है एक भाजपा वो भी थी कि जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया जब वह अपने विभाग के कार्यालय पहुँचे तो उन्होने देखा की पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की फ़ोटो वहाँ नही है अटल बिहारी वाजपेयी पंडित नेहरू की फोटो को जब वह मंत्री बनने से पूर्व मंत्रालय किसी काम से आते थे तो वहाँ पंडित नेहरू की फ़ोटो देखते थे। लेकिन सरकार बदल जाने के बाद उनकी फ़ोटो को हटाना उन्हें यानी अटल बिहारी वाजपेयी को नागवार लगा और उन्होने अपने विभाग के अफसरो को पंडित नेहरू की फ़ोटो उसी स्थान पर लगाने के आदेश दिए जिसके बाद वो फ़ोटो वही लगाई गई अगर आज ऐसा होता तो क्या ऐसा किया जाता बिलकुल नही ये तो उनकी फ़ितरत में ही नही है।एक आज की मोदी की भाजपा है कि विपक्ष के नेताओं को इस सरकार में जीना दुष्वार हो गया है ये बात हम सब जानते है कि ये सरकार अपने विरोधी नेताओं को किसी न किसी तरह प्रताड़ित करना चाहती है।

लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के पति की भी रोज़ पेशी कराई गई थी। जिसकी कवरेज में गोदी मीडिया ऐसा प्रचार करती थी कि आज की पेशी के बाद प्रियंका के पति ताउम्र जेल में ही रहने वाले है क्योंकि उनके पति ने बहुत भयानक अपराध कर रखा है। लेकिन आज कुछ भी नही कोई जानता भी नही कि प्रियंका गांधी के पति पर भी कोई केस था सियासी मामले बस तभी तक उठाए या गर्म किए जाते है। जब उसका सियासी लाभ मिले उसके बाद उसे ठन्डे बस्ते में डाल दिया जाता है।

आजम खान पर जो भी क़ानूनी शिकंजा कसा जा रहा है वह सियासी द्वेष भावना का नतीजा है इससे ज़्यादा कुछ भी नही लेकिन कानून तो कानून होता है वह ये नही देखता कि ये सियासी झगड़ा है न कि क़ानूनी उसकी नज़र में सिर्फ़ धाराएँ होती है वो क्या कह रही है वो उसी हिसाब से चलता है। उसी के चलते जिला जज रामपुर की अदालत ने आजम खान की अग्रिम जमानत याचिका को ख़ारिज कर दिया है।ये बात अलग है कि आजम खान मिजाजिया असली खान साहब है उसी के चलते आधे से ज़्यादा सियासी बीमारियाँ उनको लिपटी हुई है। कुछ सच बोलने का ख़ामियाज़ा भुगतना ही पड़ता है चाहे कोई भी बोलकर देख लो उस पर भी परेशानियों की बारिश होनी शुरू हो जाएगी ये तो आजम खान सच और ईमानदारी का ख़ामियाज़ा भुगतना ही पड़ता।

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