रामपुर

भड़की जया प्रदा ने दिया सपा सांसद को ये तीखा जबाब, नहीं थी ऐसी उम्मीद

Special Coverage News
1 July 2019 2:40 PM GMT
भड़की जया प्रदा ने दिया सपा सांसद को ये तीखा जबाब, नहीं थी ऐसी उम्मीद
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Jayaprada (File Photo)

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से सांसद आजम खान के अमर्यादित बयान का भाजपा नेता जया प्रदा ने प्रेस वार्ता कर जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि, 'आजम खान, तुमको भाई बोलना हमारे लिए गुनाह हो गया'. प्रेस वार्ता में जया प्रदा ने कहा कि, "यह दुर्भाग्य की बात है कि मैं जब भी रामपुर आती हूं तो या तो हमारे ऊपर हमला होता है या अभद्र टिप्पणी की जाती है. रामपुर की जनता ने दो बार सांसद चुनकर मुझे लोकतंत्र के मंदिर भेजा है. 2019 में आज़म खान को सांसद बनाकर लोकतंत्र के मंदिर भेजा. आज़म खान का शिक्षा पर दिया भाषण सुना, जिसका वीडियो उन्होंने खुद वायरल किया है."

फिर से महिलाओं पर टिप्पणी शुरू करेंगे तो मोदी जी चुप नहीं रहेंगें

जया प्रदा ने आगे कहा, "चुनाव खत्म होने के बाद भी महिलाओं पर इस तरह से टिप्पणी करते हो, बात जया प्रदा की नहीं है, सारे देश की और देश की महिलाओं की है. महिलाओं की आस्था पर, उनकी अस्मिता पर बार-बार हमला करते हो, यह सही बात नहीं है. नरेंद्र मोदी स्वच्छ भारत की बात करते हैं और आजम जैसे बदज़ुबानी लोग, इस तरह की टिप्पणी करते हैं. महिलाओं के बारे में अपमान और असम्मान की बात करते हो, मैं अकेली नहीं हूं, इस बार भाजपा हमारे साथ है. इस बार फिर से महिलाओं पर टिप्पणी करना शुरू करेंगे तो हमारे आदरणीय मोदी जी चुप नहीं रहेंगें. योगी जी से इस बारे में शिकायत करेंगे."

आज़म खान सत्ता के पीछे पागल हैं, सत्ता के बगैर जी नहीं पाएंगे

पूर्व सांसद जया प्रदा ने कहा, "जौहर यूनिवर्सिटी के आप (आजम खान) चांसलर हैं और सांसद भी हैं. अभी सांसद बनकर संसद में गए हुए हैं, लेकिन आप जो दिखते हैं, वो हैं नहीं, आप .... रूप के हैं. एक आज़म कहता है कि हम बच्चों को शिक्षा देते हैं. आज़म खान सत्ता के पीछे पागल हैं, सत्ता के बगैर जी नहीं पाएंगे आप. आपके घर में आपकी पत्नी सांसद है, बेटा विधायक है. आज़म खान तुम रामपुर की महिलाओं के बारे में क्या कहना चाहते हो, तुमको भाई बोलना हमारे लिए गुनाह हो गया."

बेहद अमर्यादित भाषा में यह कहा था आजम खान ने

इससे पहले आजम खान के अमर्यादित बयान का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें वे कह रहे हैं, 'मैंने ..... खाना नहीं खोला है. नाचघर नहीं खोला है. मैं .... लफ्ज खासतौर पर इस्तेमाल कर रहा हूं और लोगों को पता है कि यह शब्‍द कहां जाकर लग रहा है. जिस समाज में इस लफ्ज को मोहतरम मान लिया जाएगा, क्या वह समाज तरक्की करेगा, सिर उठा कर चलेगा? शरीफों की इज्जत है. वो लोग रास्ते बताएंगे, ऐसे लोग देवी-देवता अपने आप को बनाएंगे. हमारे मरे हुए मां-बाप 3 दिन तक टेलीविजन पर डिस्कस होंगे.'


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