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- रामपुर के स्ट्रॉन्ग...
उत्तर प्रदेश के रामपुर में ख़ासबाग स्थित महल के भीतर जिस स्ट्रॉन्ग रूम में अकूत धन-दौलत होने की उम्मीद जताई जा रही थी और जिसे खोलने में कई बार मशक्कत करनी पड़ी, आख़िरकार वह स्ट्रॉन्ग रूम खाली निकला. धन-दौलत के नाम पर सिर्फ़ कुछ तिजोरियां और अन्य सामान मिले हैं.
नवाब के वारिसों के बीच संपत्ति बँटवारे से पहले उसका मूल्यांकन करने के लिए ज़िला जज की ओर से नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर सौरभ सक्सेना ने बीबीसी को बताया कि स्ट्रॉन्ग रूम में सिर्फ़ कुछ तिजोरियां, खाली संदूक और कुछ अन्य सामान मिले हैं, कोई क़ीमती धातु या उससे बने सामान नहीं.
सौरभ सक्सेना कहते हैं, "स्ट्रॉन्ग रूम को देखने से ऐसा लगता है जैसे वहां पहले चोरी हुई हो क्योंकि स्ट्रॉन्ग रूम की दीवार में कट लगा हुआ है. स्ट्रॉन्ग रूम की अब तक छह बार विजिट की गई है, सभी वारिसों के अलावा वकील लोग भी मौजूद थे और सबकी मौजूदगी में उसे खोला गया. स्ट्रॉन्ग रूम के बारे में काफ़ी कुछ कहा जा रहा था लेकिन वहां मिला कुछ नहीं. यहां तक कि कोई दस्तावेज़ भी नहीं मिला. देखने पर ऐसा लगता है जैसे उसे इत्मीनान से खाली किया गया हो."
नवाब रज़ा अली ख़ान की संपत्ति
दरअसल, रामपुर रियासत के आख़िरी नवाब रज़ा अली ख़ान की संपत्ति का बँटवारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनके 18 वारिसों में किया जाना है. इसके लिए ज़िला जज की कोर्ट में उन्हीं की देखरेख में संपत्ति बँटवारे की प्रक्रिया चल रही है. कोर्ट के आदेश पर नवाब की संपत्ति का मूल्यांकन किया जा रहा है. इसको लेकर नवाब रजा अली ख़ान के स्ट्रॉन्ग रूम को भी खोले जाने की कवायद चल रही थी.स्ट्रॉन्ग रूम को खोले जाने के कई प्रयास विफल हो चुके थे, क्योंकि यह बहुत ही मज़बूत था. शनिवार को इसे गैस कटर से काटकर खोला गया. लेकिन स्ट्रॉन्ग रूम को देखकर वहां मौजूद सभी लोग चौंक गए.
ऐसा इसलिए क्योंकि सभी को उम्मीद थी कि यहां नवाबों से जुड़े तमाम हीरे, जवाहरात, सोना, चांदि जैसी बहुमूल्य धातुओं की बनी तमाम चीजें और आभूषण होंगे, लेकिन जब इसे खोला गया तो 'खोदा पहाड़, निकली चुहिया' जैसा मुहावरा सार्थक दिखने लगा क्योंकि यह पूरी तरह से खाली था.
बीबीसी से बातचीत में रामपुर में रह रहे नवाब के वंशज काज़िम अली खां 'नवेद मियां' कहते हैं, "मेरी यह आशंका सही साबित हुई है कि 1980 में डकैती की बात फैलाकर सारा ख़ज़ाना ग़ायब कर दिया गया. अफसोस इस बात का है कि हीरे-जवाहरात तो फिर से ख़रीदे जा सकते हैं, लेकिन रामपुर के गौरवशाली इतिहास से जुड़ी तमाम चीज़ें भी ग़ायब हो गई हैं जो कभी नहीं ख़रीदी जा सकती हैं. हमें बताया गया था कि यहां 60 किलो सोना पड़ा है और साथ में नवाब रज़ा अली ख़ान की ताजपोशी के वक़्त पहने गए ताज भी रखे हैं. स्ट्रॉन्ग रूम की चाभियां जिनके पास थीं, इनके ग़ायब होने पर भी उन्हीं की जवाबदेही बनती है. नवाब रज़ा अली ख़ान ने जो सामान छोड़ा था, उसकी लिस्ट कोर्ट में दाखिल की गई है."'
दरअसल, आख़िरी नवाब रज़ा अली ख़ान ने बड़े बेटे मुर्तज़ा अली ख़ान को ही इस संपत्ति का वारिस बनाया था जो बाद में उनके बेटे मुराद अली ख़ान के पास चली गई. तमाम संपत्ति के अलावा ख़ासबाग की कोठी और उसके भीतर शस्त्रागार और स्ट्रॉन्ग रूम जैसी चीज़ों पर भी उन्हीं का अधिकार था. वहां की चाभी भी उन्हीं के पास थी जिसके खो जाने के कारण स्ट्रॉन्ग रूम को गैस कटर से काटा गया. मुराद अली ख़ान की बहन और संपत्ति की एक हिस्सेदार निख़त आब्दी अपने भाई पर लगे आरोपों को सिरे से नकारती हैं और कहती हैं, "हमें पता नहीं है स्ट्रॉन्ग रूम में क्या था लेकिन सुना है कि यहां साल 1980 में स्ट्रांग रूम में चोरी हो गई थी. हो सकता है सारा कीमती सामान उसी वक्त चोरी हो गया हो. इस चोरी की जांच सीबीआई-सीआईडी ने की थी लेकिन कुछ ख़ास पता नहीं चला."
बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद का पटाक्षेप करते हुए भले ही नवाब की सारी संपत्ति को उनके 16 वारिसों के बीच बांटने का आदेश दे दिया हो लेकिन स्ट्रॉन्ग रूम खाली पाए जाने के बाद यह विवाद फिर हरा हो सकता है. नवेद मियां जहां सीधे तौर पर मुराद अली ख़ान पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने ही ख़जाना ग़ायब कर दिया वहीं दूसरे हिस्सेदार अभी भले ही मुंह नहीं खोल रहे हों लेकिन आने वाले दिनों में यह विवाद बढ़ सकता है.
नवेद मियां बताते हैं कि स्ट्रॉन्ग रूम में मौजूद क़रीब पांच सौ चीज़ों की लिस्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई थी. उनके मुताबिक, उन चीज़ों की ज़िम्मेदारी जिसके पास थी, ज़ाहिर है, उसी से उनकी वसूली भी होगी. नवेद मियां कहते हैं कि ऐसा न होने पर अन्य दावेदार दोबारा कोर्ट का रुख़ कर सकते हैं.
नवेद मियां की मां और रामपुर से कांग्रेस पार्टी से कई बार सांसद रह चुकीं नूरबानो कहती हैं, "मुझे तीन बार स्ट्रॉन्ग रूम में जाने का मौक़ा मिला था. हीरे-जवाहरात, सोना-चांदी, रत्न जड़ित तलवार, ताज, माला, पोशाक, सोने-चांदी के अलम बहुत कुछ था वहाँ क़रीब 60 साल के बाद चौथी बार जब वहां गई तो नज़ारा ही अलग था. सब कुछ ग़ायब था."
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