उत्तर प्रदेश

जन्मदिन विशेष : जानिए- कैसे एक शिक्षिका से मुख्यमंत्री तक पहुंची मायावती! पढ़िए- पूरा संघर्ष

Arun Mishra
15 Jan 2021 12:36 PM GMT
जन्मदिन विशेष : जानिए- कैसे एक शिक्षिका से मुख्यमंत्री तक पहुंची मायावती! पढ़िए- पूरा संघर्ष
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मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं .

मायावती (जन्म: 15 जनवरी 1956, नई दिल्ली) उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री,मायावती एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ हैं और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमन्त्री रह चुकी हैं। वे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष हैं। उन्हें भारत की सबसे युवा महिला मुख्यमंत्री के साथ-साथ सबसे प्रथम दलित मुख्यमंत्री भी होने का श्रेय प्राप्त है। वे चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उन्होंने सत्ता के साथ-साथ आनेवाली कठिनाइओं का सामना भी किया है। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक स्कूल शिक्षिका के रूप में की थी लेकिन कांशी राम की विचारधारा और कर्मठता से प्रभावित होकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। उनका राजनैतिक इतिहास काफी सफल रहा और 2003 में उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव हारने के बावजूद उन्होने सन 2007 में फिर से सत्ता में वापसी की। अपने समर्थको में बहन जी के नाम से मशहूर मायावती 13 मई 2007 को चौथी बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमन्त्री बनीं और पूरे पाँच वर्ष शासन के पश्चात सन 2012 का चुनाव अपनी प्रमुख प्रतिद्विन्द्वी समाजवादी पार्टी से हार गयीं।

प्रारंभिक जीवन-

मायावती उर्फ़ चंदावती देवी का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनकी माता का नाम रामरती और पिता का नाम प्रभु दयाल था। प्रभु दूरसंचार केंद्र में अफसर थे। मायावती के 6 भाई हैं। उन्होंने कालिंदी कॉलेज, दिल्ली, से कला में स्नातक की उपाधि ली और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से एल.एल.बी और बी. एड भी किया। उनके पिता उन्हें कलेक्टर बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपना बहुत सारा वक़्त भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैय्यारी में लगा दिया। इसी दौरान उन्होंने शिक्षिका के रूप में कार्य करना शुरु किया। मायावती के जीवन में कांशी राम के बढ़ते प्रभाव से उनके पिता बिलकुल भी खुश नहीं थे। उन्होंने मायावती को कांशी राम के पद चिह्न पर न चलने की सलाह दी फिर भी मायावती ने अपने पिता भी बात अनसुनी कर बड़े पैमाने पर कांशी राम द्वारा शुरू किये गए कार्यों और परियोजनाओं से जुड़ गयीं।

राजनैतिक जीवन-

सन 1984 तक मायावती ने बतौर शिक्षिका काम किया। वे कांशी राम के कार्य और साहस से काफी प्रभावित थी। 1984 में जब कांशी राम ने एक नए राजनैतिक दल 'बहुजन समाज पार्टी' का गठन किया तो मायावती शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर पार्टी की पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता बन गयीं। उसी साल उन्होंने मुज्ज़फरनगर जिले की कैराना लोक सभा सीट से अपना पहला चुनाव अभियान आरंभ किया। सन 1985 और 19 87 में भी उन्होने लोक सभा चुनाव में कड़ी मेहनत की। आख़िरकार सन 1989 में उनके दल 'बहुजन समाज पार्टी' ने 13 सीटो पर चुनाव जीता।

धीरे-धीरे पार्टी की पैठ दलितों और पिछड़े वर्ग में बढती गयी और सन 1995 में वे उत्तर प्रदेश की गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री बनायी गयीं। सन 2001 में पार्टी के संस्थापक कांशी राम ने मायावती को दल के अध्यक्ष के रूप में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। 2002-2003 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में मायावती फिर से मुख्यमंत्री चुनी गई। इस के पश्चात बीजेपी ने सरकार से अपना समर्थन वापिस ले लिया और मायावती सरकार गिर गयी। इसके बाद मुलायम सिंह यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया।

सन 2007 के विधान सभा चुनाव के बाद मायावती फिर से सत्ता में लौट आई और भारत के सबसे बड़े राज्य की कमान संभाली। मायावती के शासनकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के बाहर बसपा का विस्तार नहीं हो पाया क्योंकी उनके निरंकुश शासन के चलते ज्यादातर पिछड़े वर्ग के लोगों ने उनसे मुंह मोड़ लिया। मायावती ने अपने कार्यकाल के दौरान दलित और बौद्ध धर्म के सम्मान में कई स्मारक स्थापित किये।

राजनीति में पहचान-

मायावती अपने शाशनकाल में कई विवादों और घोटालों के आरोपों में जरूर रही हों पर उनका राजनितिक अभ्युदय सचमुच अध्भुत रहा है।एक सामान्य परिवार से आई दलित महिला ने ऐसा मक़ाम हासिल किया जैसा इस देश के इतिहास में कम ही महिलाओं ने किया है। विवादों की परवाह किए बिना, मायावती के समर्थको ने हर बार उनका साथ दिया औउर अपनी वफादारी साबित की है। मायावती ने दलितों के दिल में अपनी खुद की जगह बनाई है और दलितों में अपने प्रति विश्वास कायम किया है।

जीवन घटनाक्रम-

1956: दिल्ली में जन्म

1977: शिक्षिका के रूप में करियर की शुरुआत

1984: शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर बसपा में प्रवेश और अपने पहले लोक सभा चुनाव अभियान का प्रारंभ

1989: लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 13 सीटों पर जीत हासिल की

1995: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गई

1997: दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गई

2001: कांशी राम की उत्तराधिकारी घोषित की गई

2002: एक बार फ़िर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी

2007: चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी।

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