सहारनपुर

कांग्रेस ने सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र से इमरान मसूद को किया उम्मीदवार घोषित

Special Coverage News
7 March 2019 4:09 PM GMT
कांग्रेस ने सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र से इमरान मसूद को किया उम्मीदवार घोषित
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यूपी में जैसे ही सरकार बनी तो जिले के एसएसपी के बदतमीजी में भी नाम आया था तो वहीं और भी कई ऐसे मामले सामने आये जिनके चलते वो मंत्री बनते बनते भी रह गये.

लोकसभा चुनाव 2019 की चुनाव की बस घोषणा बाकी है. बाकी सभी दल पाने दल बल सहित चुनावी समर में कुदने के लिए तैयार बैठे है. लेकिन कांग्रेस ने सबसे पहले ग्यारह लोकसभा सीट पर उम्मीदवार घोषित कर दिए, इनमें सहारनपुर लोकसभा से कांग्रेस उपाध्यक्ष इमरान मसूद को टिकिट दिया गया है. इमरान पिछले चुनाव में भी मोदी लहर के वावजूद महज कुछ हजार वोटों से चुनाव हार गये थे. कांग्रेस ने एक बार फिर से उन पार दांव लगाया है.


बात अगर उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीट सहारनपुर नंबर एक के नाम से जानी जाती है तो शुरुआत इसी सीट से करते है. चूँकि बीजेपी यह सीट बिलकुल नजदीकी लड़ाई लड़ते हुए तब जीती थी. जब पूरे देश में मोदी लहर का कहर छाया हुआ था .और उस समय कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद ने यह कहकर सनसनी पैदा कर दी कि गुजरात में चार परसेंट मुसलमान हैं, यहां 40 परसेंट है. नरेंद्र मोदी यहां आ जाये तो उसकी बोटी-बोटी कर डालेंगे. तब जाकर बीजेपी उनको चुनाव में नजदीकी मुकाबले से हरा पाई है.


इस समय चूँकि पूरे उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में बदली परिस्तिथि में सहारनपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी का पलड़ा कमजोर भी होता नजर आ रहा है. उसका सबसे बड़ा कारण मौजूदा लोकसभा सांसद राघव लखनपाल का इलाकाई जनता में अपनी उपस्तिथि दर्ज ने करा पाना है. यूपी में जैसे ही सरकार बनी तो जिले के एसएसपी के बदतमीजी में भी नाम आया था तो वहीं और भी कई ऐसे मामले सामने आये जिनके चलते वो मंत्री बनते बनते भी रह गये.


अब चूँकि इमरान मसूद सहरानपुर की राजनीत में एक ऐसा नाम है जो हर समय जिले की जनता की बात सुनने को तैयार रहते है और उनकी हर संभव मदद का प्रयास करते है तभी तो जिले के सभी बड़े मुस्लिम नेताओं के विरोध के वावजूद 2014 में मोदी लहर के वावजूद भी 65090 वोट से चुनाव हारे थे. हालांकि हार तो छोटी हो बड़ी हार तो हार होती है. लेकिन इस बार बदली परिस्तिथि में इस सीट पर बीजेपी का पलड़ा जरुर कमजोर हुआ है. हालांकि विधानसभा चुनाव में भी इमरान खुद चुनाव हार गये लेकिन पूरे प्रदेश में सात सीट जीतने वाली कांग्रेस के दो विधायक इस जिले से है. इसका श्रेय भी इमरान मसूद को जाता है. अगर उनको भी छह हजार वोट और मिले होते तो जिले में कांग्रेस तीन सीटें हासिल करती. जो एक बड़ी बात होती.


इस चुनाव के बाद बदले परिणाम में इन सीटों पर विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ वोटो का अंतर जरुर घटा बड़ा होगा. जहाँ बेहट विधानसभा पर कांग्रेस की बढत दस हजार थी वो बढ़कर पच्चीस हजार हो गई. सहारनपुर नगर सीट पर भी बीजेपी को ग्यारह हजार वोट का नुकसान हुआ और यह सीट समाजवादी पार्टी ने छीन ली. जबकि सहारनपुर ग्रामीण सीट पर कांग्रेस ने बीजेपी को तीसरे स्थान पर ढकेलते हुए यह सीट बारह हजार मतों से ज्यादा अंतर से जीत ली. बीजेपी का इस सीट पर बढ़ा नुकसान हुआ जबकि बसपा यहाँ दुसरे नंबर पर रही. चौथी सीट देववंद पर बीजेपी का वोट प्रतिशत भी घटा. जहाँ लोकसभा सीट में लगभग सैंतीस हजार सीट से बढत मिली थी उस पर बीजेपी ने बसपा को उनत्तीस हजार से हरा दिया. इसी तरह पांचवी सीट रामपुर मनिहारन पर भी बीजेपी का दस हजार वोट घटा जहाँ लोकसभा चुनाव में तेईस हजार से ज्यादा वोटो से बढत थी जो महज पांच सौ वोट की रह गई. इस आंकलन से अब बीजेपी के लिए सहारनपुर लोकसभा सीट जीतना मुश्किल ही नामुमकिन दिखाई दे रहा है.


अब इस बार मोदी लहर का जोर भी उतना नहीं है और यहाँ गन्ना किसान से लेकर हिन्दू मुस्लिम सभी इस बार अलग थलग नजर आ रहे है. जहाँ जाट भी बीजेपी से दूरियां बढ़ाता नजर आ रहा है तो अन्य समुदाय भी खुश नजर नही आ रहे है. जहाँ एक दिन सीएम योगी ने मंच से कहा कि किसानों को गन्ना कम पैदा करना चाहिए क्योंकि गन्ने से चीनी बनती है और चीनी से सुगर आदमी में फ़ैल रही है जो एक घातक बीमारी है. गन्ना किसानों का बकाया भुगतान भी एक समस्या है. उसके बाद पिछले कैराना लोकसभा उप चुनाव में बीजेपी की हार ने चार चाँद और लगा दिए है. उसका कारण यह है कि सहारनपुर जिले की दो विधानसभा सीटें कैराना लोकसभा सीट पर लगती है.


अब नेताओं के सहारनपुर से रिश्ते

अब सबसे पहले नई नवेली पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव की बात करें तो उनका भी यहाँ से एक रिश्ता है. उनकी बेटी इसी इलाके में ब्याही हुई है और उस परिवार का भी अपना एक वजूद रहा है. अब दूसरी नेता बसपा सुप्रीमो की करते है जो सहारनपुर को अपना दूसरा घर बताती है. वो यहाँ की हरौडा विधानसभा से सबसे पहले विधायक चुनी गई थी. लिहाजा उनका भी इस जनपद से भारी लगाव है. तो इस तरह अब इस सीट को फ़िलहाल बसपा के हिस्से में माना जा रहा है. लेकिन अगर कांग्रेस ने इमरान मसूद पर दांव लगाया तो यह सीट उनकी सबसे अछ्छी लड़ाई की सीट मनाई जायेगी.


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