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देवबंद : पूर्व विधायक माविया अली के पुत्र हैदर अली आज जाएँगे जेल
देवबन्द से तसलीम क़ुरैशी
देवबन्द।आज़ादी की लड़ाई के समय अंग्रेज सरकार भी अपनी तानाशाही के चलते आज़ादी के मतवालों को जेल की सलाख़ों के पीछे धकेलने का काम किया करती थी लेकिन जितना अंग्रेज सरकार आज़ादी के मतवालों को जेल का डर दिखाया करती थी लोगों का जुनून और जज़्बा ओर बढ़ता था ऐसा ही केन्द्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार CAA , NRC , NPR के ख़िलाफ़ चल रहे गांधीवादी आंदोलन को दबाने के लिए जेल से डरा रही है।
परन्तु उसका उल्टा असर हो रहा है पिछले पंद्रह दिनों से ईदगाह मैदान देवबन्द में चल रहे गांधीवादी आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वालों के ख़िलाफ़ आज खानकाह चौकी इंचार्ज एसआई असगर अली ने पुलिस क्षेत्राधिकारी के आदेश पर पूर्व विधायक एवं चेयरमैन माविया अली के पुत्र हैदर अली व पत्रकार मुशर्रफ उस्मानी फ़हीम उस्मानी शोएब व फ़िरोज़ के विरूद्ध धारा 269 , 270 , 278 , 290 की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
इन धाराओं का इस्तेमाल उनके ख़िलाफ़ किया जाता है जो धार्मिक टिका टिप्पणी कर लोगों को जमा कर उनको उकसाने का काम करते हैं इन धाराओं में दर्ज मुक़दमे में अगर आरोपी पर आरोप सिद्ध होते हैं तो इसमें कम से कम छह महीने व ज़्यादा से ज़्यादा दो साल की सजा सुनाई जा सकती हैं और पाँच सौ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है जब भी इन धाराओं का पुलिस प्रयोग करती हैं और अदालत में पेश करती है तो ज़्यादातर मामलों में सबूत पेश नहीं कर पाती जिसके बाद आरोपी बाइज़्ज़त बरी कर दिए जाते हैं यही आरोप लगा कर देवबन्द के पूर्व चेयरमैन एवं पूर्व विधायक माविया अली और नगर पालिका परिषद देवबन्द की पूर्व चेयरमैन ज़हीर फ़ातमा के पुत्र हैदर अली के साथ दो पत्रकारों मुशर्रफ उस्मानी व फ़हीम उस्मानी और दो अन्य शोएब व फ़िरोज़ को भी आरोपी बनाया गया है।
अब सवाल उठता है कि क्या यह सब कर लोगों में CAA , NRC व NPR के विरूद्ध फैले आक्रोश को कम किया जा सकता है ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है।देवबन्द की महिलाओं में जिस तरह आक्रोश देखा जा रहा है उससे नहीं लगता कि पूर्व विधायक माविया अली के पुत्र हैदर अली और दो पत्रकारों सहित दो अन्य के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे से कम होने वाला नहीं है हमारे सूत्रों का कहना है कि पूर्व विधायक माविया अली ने अपने पुत्र हैदर अली को जेल भेजने का मन बना लिया है संभव है कि आज या किसी भी दिन अदालत में पेश कर अपने पुत्र को जेल जाने देंगे अपने पुत्र को जेल भेज माविया अली यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि संविधान बचाने के लिए अगर उनके पुत्र या आदि को जेल जाने पड़े तो वह उससे पीछे नहीं हटेंगे इसके बाद वह खुद भी अपने साथियों के साथ जेल जाने की घोषणा कर सकते है।
उन्होंने ही इस आंदोलन को हिंसात्मक होने से बचाया था और इस आंदोलन को गांधीवादी तरीक़े की ओर ले गए थे जिसके बाद प्रदेश में आंदोलन ने नया रूख लिया था गांधीवादी तरीक़े से आंदोलन करना कोई ग़लत नहीं है अगर हम सरकार की किसी बात से सहमत नहीं हैं तो उसका विरोध करना कोई अपराध नहीं है लेकिन वह विरोध हिंसात्मक नहीं होना चाहिए।
CAA , NRC , NPR को लेकर देशभर में चल रहे आंदोलन गांधीवादी तरीक़े से चल रहे हैं उसके बाद भी मोदी की भाजपा सरकारें इस आंदोलन का दमन करने पर उतारू है क्या इसको उचित कहा जा सकता है।संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार और प्रशासन का यह रवैया ग़लत है।
यह सब करने से जनता में फैल रहे आक्रोश को कम नहीं किया जा सकता है इस गांधीवादी आंदोलन की ख़ास बात यह है कि यह आंदोलन देशभर में घर-घर पहुँच गया है जिसको इन टोटकों से रोका नहीं जा सकता है सरकार को अपने फ़ैसले से पीछे ही हटना पड़ेगा।