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लोकसभा संग्राम 87– यूपी की सहारनपुर सीट बनी हॉटसीट हरदिन नीचे लुढ़कते जा रहा इमरान
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 के प्रथम चरण में होने वाले चुनाव में यूपी की जिन आठ सीटों पर चुनाव होना है उनमें सहारनपुर की सीट हॉटसीट बन गई है क्योंकि सहारनपुर से कांग्रेस ने एक ऐसे उम्मीदवार को चुनाव में उतारा है जो 2012 से लगातार चुनाव हारता चला आ रहा है 2012 का विधानसभा चुनाव हारा 2014 का लोकसभा चुनाव हारा फिर 2017 का विधानसभा का चुनाव हारा जैसे मोदी की भाजपा हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खेलती है उसी तरह सहारनपुर में इमरान भी मुसलमानों की भावनाओं के साथ खेलकर वोट लेते चले आ रहे थे मुसलमान को इसमें भी कोई एतराज़ नही कि चालीस साल से इस परिवार को वोट देते चले आ रहे है लेकिन इस जनपद के विकास , युवाओं को रोज़गार , शिक्षा व चिकित्सा के विषय में कोई उपलब्धि इनके पास नही है इमरान हमेशा से सिर्फ़ वोट बटोरो की स्ट्रेटेजी पर काम करता है और खुद न जीत पाने की स्थिति में भाजपा को जिताना बेहतर समझता है।
सहारनपुर नगर निगम के चुनाव में भी इमरान ने भाजपा को जीताने में मदद की और मोदी की भाजपा जीत गई उस चुनाव के बाद उन्होने कहा कि हमने अपने वजूद की लडाई लड़ी भाजपा जीत गई जीत जाने दो इससे हमारे पर कोई फ़र्क़ नही पड़ता जिसको अपनी बुनियाद बताते है उसकी कोई हैसियत नही इनका वजूद क़ायम रहना चाहिए चाहे पूरी मिल्लत मर जाए बात तो इनके वजूद की जो ठहरी।यही बात इमरान को इस चुनाव में भारी पड़ रही है और उसका हरदिन चुनाव नीचे लुढ़क रहा है इस लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव में सहारनपुर की जनता गठबंधन की और जाती दिख रही है जिसकी वजह से इमरान का सियासी पारा लुढ़कता जा रहा है इससे खिन्न होकर इमरान लोगों को धमका रहे है कि चुनाव 11 अप्रैल को खतम हो जाएगा उसके बाद क्या होगा।
इस पर लोगों का तर्क है कि इस बार का चुनाव किसी एक व्यक्ति के वजूद को बचाने का चुनाव नही है यह चुनाव देश को बचाने का चुनाव है उसके संविधान को बचाने का चुनाव है इस लिए गठबंधन को ही वोट देकर संविधान को बचाने का प्रयास करेंगे व्यक्ति को फिर बचा लेंगे जब संविधान बचेगा तभी तो व्यक्ति बचेगा जब संविधान ही नही बचेगा तो व्यक्ति का क्या करेगे।मोदी की भाजपा विरोधी वोटरों का रूझान गठबंधन की और हो रहा है इसको भाँपकर इमरान बौकला रहे है और कुछ ऐसा करते दिखाई दे रहे है जिससे मोदी की भाजपा विरोधियों का वोट गठबंधन और इमरान में बँट जाए और मोदी की भाजपा जीत जाए गठबंधन न जीते।
गोदी मीडिया ने सहारनपुर में त्रिकोणीय मुक़ाबला दिखाना शुरू कर दिया है जबकि ग्राउंड ज़ीरो पर ऐसा नही है यहाँ पर सीधा-सीधा मुक़ाबला मोदी की भाजपा और गठबंधन में हो रहा है इमरान तीसरे नंबर पर चल रहे है हालाँकि इमरान चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में मोदी की भाजपा की मदद से करने की कोशिश कर रहे है लेकिन मोदी की भाजपा विरोधी वोटर दोनों की स्ट्रेटेजी को समझ रहा है और वह गठबंधन के साथ मज़बूती के साथ खड़ा है ग्राउंड ज़ीरो की रिपोर्ट से पता चलता है कि इस लोकसभा सीट में जो विधानसभाएँ है उनमें बेहट , सहारनपुर ,सहारनपुर देहात रामपुर मनिहार व देवबन्द शामिल है इन पाँचों विधानसभाओ में मोदी की भाजपा विरोधी वोटो की संख्या ज़्यादा है और व्यक्ति विशेष की पूजा करने वालों और कुछ जातिगत आधार पर वोटरों की संख्या नाम मात्र को बताई जा रही है अगर हम बेहट विधानसभा की बात करे तो 2017 के चुनाव में इस विधानसभा से सपा-कांग्रेस के गठबंधन से नरेश सैनी चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे उनको 97035 वोट मिले जबकि मोदी की भाजपा से महावीर सिंह राणा को 71449 वोट मिले और बसपा के हाजी इक़बाल को 71019 वोट मिले बसपा को मिले वोटो में मुसलमान का वोट नाम मात्र को ही है।
क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में मुसलमान ने अपना ज़्यादातर वोट सपा-कांग्रेस के गठबंधन को ही दिया था इस लिए कांग्रेस को मिले 97035 वोटो में एक बड़ा भाग मुसलमान का है नरेश सैनी को उसकी जाति का भी वोट उतना नही मिला था जिसकी उम्मीद की जा रही थी इस लिए नरेश सैनी को मिले वोट मुसलमान के ही है।सहारनपुर शहर की सीट पर सपा के संजय गर्ग को मिले 127210 वोट वही मोदी की भाजपा के राजीव गुंबर को मिले वोट 122574 और बसपा के मुकेश दीक्षित को 17350 वोट ही मिले क्योंकि यहाँ दलितों की संख्या कम है।सहारनपुर देहात पर जीतने वाले सपा-कांग्रेस के मसूद अख़्तर उनको मिले 87689 वोट बसपा यहाँ दूसरे नंबर पर रही और जरनल सीट होने के बाद भी दो बार दलित जगपाल सिंह चुनाव जीते और दूसरे नंबर पर भी वही रहे उनको मिले 75365 इसमें सिर्फ़ दलित है किसी अन्य का वोट न के बराबर रहा था जबके हिसाब से वही इसी सीट पर मोदी की भाजपा के मनोज चौधरी को 58752 वोट मिले थे।रामपुर मनिहारान में भी मोदी की भाजपा जीती उसको मिले वोट 76465 वही दूसरे नंबर पर रही बसपा को 75870 और तीसरे नंबर पर सपा-कांग्रेस को मिले वोट 61787 पर ही संतोष करना पड़ा।
वही देवबन्द सीट पर मोदी की भाजपा ने 102244 वोट लेकर इस सीट को जीतने में कामयाबी हासिल की इसी सीट पर 2016 में उप चुनाव हुए थे जिसे सपा से कांग्रेस में गए माविया अली ने 1977 के बाद दूसरी बार किसी मुसलमान ने यह सीट जीती थी वही 2017 के चुनाव में बसपा ने पहली बार किसी मुसलमान माजिद अली को प्रत्याशी बनाया था लेकिन वह 72844 ही वोट ले पाये थे और सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी माविया अली 55385 वोट लेकर तीसरे पाएदान पर रहे थे।ये पाँचों विधानसभा सहारनपुर लोकसभा में आती है इसके अतिरिक्त दो और विधानसभा है जो कैराना लोकसभा में आती है यही हाल नकुड विधानसभा में रहा था यहाँ मोदी की भाजपा दूसरी बार जीतने में कामयाब रही उसकी वजह भी इमरान ही रहे थे पहले भी और अब भी यहाँ डाक्टर धर्मसिंह सैनी 94375 वोट लेकर विजयी रहे थे और इमरान को 90318 वोट मिले जो लगभग चार हज़ार से अधिक वोटो से हार गए थे वही बसपा को मिले वोट को देखे तो पता चलता है कि बसपा अपने वोटबैंक 65328 पर ही रही।गंगोह विधानसभा भी मोदी की भाजपा जीतने में कामयाब रही हालाँकि गंगोह विधानसभा इससे पहले कांग्रेस के पास ही थी लेकिन इमरान के भाई नोमान मसूद की ज़िद थी कि मैं भी विधायक बनूँगा और वह लड़े भी और हार गए।यहाँ मिले वोटो के हिसाब से मोदी की भाजपा के प्रदीप चौधरी को 99446 वोट लेकर जीत गए दूसरे नंबर पर कांग्रेस के नोमान मसूद को 61418 वोट लेने में तो कामयाब रहे लेकिन जीत नही पाए वो सपना पूरा नही हो सका कि मैं भी विधायाक बनूँगा सपा से गठबंधन होने के बाद भी इस सीट पर सपा से चौधरी इद्रसैन चुनाव लड़े और 47219 वोट लेने में सफल रहे इसमें ज़्यादातर वोट मुसलमान ओर उनकी जाति का माना जाता है।
बसपा के महीपाल माजरा को 44717 ही मिल पाए थे ये सिर्फ़ दलितों के ही थे।इमरान परिवार की महत्वकांक्षा की वजह से प्रदीप चौधरी जो अपने पिता के समय से रशीद मसूद के साथ चले आ रहे थे मजबूरन उन्हें मोदी की गोद में बैठने पड़ा और एक फिर विधायक बन गए अब 2019 का लोकसभा चुनाव भी लड़ रहे है मोदी की भाजपा से कैराना लोकसभा सीट से इस जनपद की दो विधानसभा नकुड व गंगोह कैराना लोकसभा सीट में ही आती है जिनमे गंगोह से प्रदीप चौधरी खुद विधायक भी है यह बात अपनी जगह है।कुल मिलाकर सहारनपुर लोकसभा सीट पर गठबंधन मोदी की भाजपा पर भारी पड़ रहा है और इमरान तीसरे नंबर बने हुए है वह प्रयास कर रहे है किसी तरह चुनाव त्रिकोणीय हो जाए लेकिन मोदी की भाजपा विरोधी वोटर गठबंधन पर अडिग नज़र आ रहा है।