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सहारनपुर से गजे या इमरान में से कौन होगा कांग्रेस प्रत्याशी
तसलीम अहमद
सहारनपुर। जैसे-जैसे लोकसभा चुनावों का संग्राम नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे ही क्षेत्र में भी चुनावों के खिलाड़ी अपने सियासी दांव पेच चल रहे है भाजपा ऐसी चुनावी चौसर बिछा रही है जिससे वह विपक्ष को कमज़ोर कर सकें और विपक्ष ऐसी रणनीति बना रहा है कि भाजपा की हर उस चाल की काट करते हुए उसे हरा सकें। इंडिया गठबंधन और भाजपा में तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की तर्ज़ पर काम करते हुए नज़र आ रहें हैं भाजपा में टिकटों के चाहने वालों की लंबी कतार है लेकिन वहां उसे ही कतार में प्रथम पक्ति का माना जाता है जो मोदी को पसंद हो,तो इंडिया गठबंधन में भी टिकट मांगने वालों की कमी नहीं है भाजपा को मोदी का सहारा है तो इंडिया गठबंधन के पास सफलतापूर्वक भारत जोडों यात्रा निकालने के बाद अब भारत जोडों न्याय यात्रा पर निकले राहुल गाँधी है जिन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। इन सब के बीच सहारनपुर लोकसभा सीट पर चुनाव को लेकर इस बात की चर्चा हो रही है कि भाजपा को इंडिया गठबंधन का कौन प्रत्याशी हो सकता हैं जो भाजपा के प्रत्याशी को 2019 के चुनाव की तर्ज़ पर चुनाव हराने में सक्षम हो इंडिया गठबंधन में सहारनपुर लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में आ गईं है है अब कांग्रेस के नेतृत्व को यह तय करना है कि किस प्रत्याशी को इंडिया गठबंधन की ओर से लड़ने के लिए उतारा जाए जहाँ तक कांग्रेस में दावेदारों का सवाल है उनमें अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले इमरान मसूद को माना जा रहा है लेकिन उनकी दावेदारी चुनाव की समीक्षा करने पर कमज़ोर पड़ जाती हैं फिर नए नाम पर विचार किया जाता है कि ऐसा प्रत्याशी होना चाहिए जिसके प्रत्याशी होने के बाद भाजपा को धुर्वीकरण करने का मौका ना मिले इमरान मसूद के चुनावी मैदान में आ जाने के बाद भाजपा चुनाव को धुर्वीकरण करने में सफल हो जाती है इस लिए उनके नाम पर इंडिया गठबंधन सहित कांग्रेस पार्टी भी रिस्क लेना नहीं चाह रही है। इसके बाद दूसरे मजबूत दावेदार पूर्व एमएलसी वरिष्ठ कांग्रेस नेता चौधरी गजे सिंह है जिसने कभी कांग्रेस पार्टी को भी नहीं छोडी यह ऐसा नाम है जिसके बाद भाजपा को धुर्वीकरण करने का मौका भी नहीं मिलेगा और सह जातिय गुजर वोट के साथ अन्य को भी कांग्रेस के पाले में लाकर खड़ा कर सकता हैं जिसके बाद भाजपा को बड़ी आसानी से हराया जा सकता है विपक्षी खेमा भी यही चाहता है कि कांग्रेस इस तरह के प्रत्याशी को ही मैदान में उतारे यह सत्य भी है कि अगर कांग्रेस ने गुजर नेता चौधरी गजे सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया तो इससे इंकार नहीं किया जा सकता हैं कि चौधरी गजे सिंह भाजपा को टक्कर देने के साथ-साथ कांग्रेस की झोली में यह सीट जीत कर डाल देगे। यह नाम आने के बाद भाजपा खेमा भी हैरान नज़र आ रहा है अगर चौधरी गजे सिंह के नाम पर मोहर लगती है उसके पास उसकी काट के लिए कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा है अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस ऐसा प्रत्याशी देगी जो भाजपा के तमाम जतनों को नाकाम करते हुए उसे जीत दिला सकता हैं या ऐसे प्रत्याशी को लाएगी जिसके ऐलान भर से भाजपा को जीत मिल जाएगी। यही चुनौती कांग्रेस के सामने है और साथ ही भाजपा के सामने भी यही चुनौती है कि वह कांग्रेस से ऐसी गलती कराएं जिससे भाजपा की जीत को सुनिश्चित कराईं जा सकें।इस चुनाव में मोदी की भाजपा जनता पर भरोसा नहीं कर रही है वह ऐसी चुनावी बाढ़ बंदी कर चुनाव मैदान में जाना चाहती है कि जनता चाह कर भी मोदी की भाजपा को हरा ना सकें जैसे वह हर उस नेता को चुनाव पूर्व अपने साथ करना चाहती जिससे चुनाव में कुछ करना ही ना पड़े जनता को यह अहसास हो जाए कि मोदी की भाजपा को हराया नहीं जा सकता जनता यह चर्चा करने लगे कि फला नेता भी भाजपा के साथ है और फला भी लेकिन जनता को मूर्ख समझना सियासी दलों की भूल है जनता नेताओं को एकतरफ बैठा देती हैं जब विपक्ष भी सही सियासी चालें चल देता है फिर ना किसी को अपने साथ लेने का और ना ही चुनावी लाभ के लिए किसी को देश का सर्वोच्च सम्मान देने से कोई फर्क़ पड़ता है।खैर सियासत के इस चुनावी खेल में ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो कहना अभी मुश्किल है हां कयासों का दौर है जो पूरी तस्वीर साफ़ होने तक चलता रहेगा।