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चार सैकेंड में सात जूते मारने वाले बीजेपी सांसद ने किया ऐलान
संतकबीरनगर: अपनी ही पार्टी के विधायक को भरी सभा में जूतों से पीटने को लेकर चर्चा में आए संत कबीर नगर से भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी ने इस पूरे घटनाक्रम को क्रिया की प्रतिक्रिया करार दिया. उन्होंने कहा कि अगर वे उस विधायक को जूते से नहीं मारते तो वह उन्हें जूतों से मारता.
उन्होंने कहा कि शुरुआत उसने की थी. विजुअल में सब स्पष्ट है. पहला हाथ उसने लगाया था. अगर वे ऑफेंसिव नहीं होते तो विधायक उनके साथ यही करता. उन्होंने कहा कि वे इंजीनियर से बात कर रहे थे. एक सांसद होने के नाते ये उनका फंडामेंटल राइट है. "मगर वह बीच में कूद पड़ा. उसने पहले तू तड़ाक की, फिर गाली गलौज किया. फिर जूते पर हाथ लगाया. मैं भी तो आखिर मानव हूं. मैं राजनीति सम्मान बेचने के लिए नहीं कर रहा हूं. ईमानदारी से देखा जाए तो मेरी कहीं गलती नहीं है."
हथियाना चाहता है टिकट
शरद त्रिपाठी ने उस पूरी बैकग्राउंड पर भी बात की जिसके चलते नौबत यहां तक पहुंच गई. उन्होंने उस विधायक राकेश सिंह बघेल की हिमाकत के पीछे उसका हिंदू युवा वाहिनी से जुड़ाव बताया और यह भी आरोप लगाया कि वह उनकी जगह संत कबीर नगर से सांसद का टिकट चाहता है. उन्होंने विधायक राकेश बघेल पर सांसद के टिकट हथियाने की खातिर उन्हें बदनाम करने की साजिश का इल्जाम भी लगाया. सांसद ने कहा कि वे रोने गाने में विश्वास नहीं करते हैं. यह उनका नेचर भी नहीं है.
टिकट कटने की सूरत में होगी बगावत
शरद त्रिपाठी ने इशारों इशारों में इस बात की चेतावनी भी दी कि उनका टिकट काटने की प्रतिक्रिया बगावत के तौर पर होगी. उन्होंने कहा कि उनके पास प्रदेशभर से समर्थकों के फोन आ रहे हैं. टिकट कटने की सूरत में बगावत की नौबत आएगी. कोई ऐसा जिला नहीं जहां से मुझे फोन ना आ रहे हों. आप सोशल मीडिया देख लीजिए. देशभर में जो लोग मुझे जानते हैं वह मुझे फोन करके मेरा समर्थन कर रहे हैं. अगर मेरे खिलाफ कुछ हुआ तो यह सारे लोग सड़क पर उतरेंगे.
भाजपा बनाम हिंदू युवा वाहिनी
शरद त्रिपाठी ने एक बिल्कुल नए पहलू की ओर इशारा करते हुए पूरे विवाद को भाजपा बनाम हिंदू युवा वाहिनी की राजनीति से भी देखने की बात की. उन्होंने TV9 भारतवर्ष से कहा यह विधायक हिंदू युवा वाहिनी से जुड़ा हुआ है. अपनी कार पर भाजपा की जगह हिंदू युवा वाहिनी का झंडा लगाता है. मीटिंग में कहता है कि वह भाजपा का विधायक नहीं, हिंदू युवा वाहिनी का विधायक है.
बीच में बोलने पर बिगड़ी बात
शरद त्रिपाठी ने गोरखपुर से आने वाले केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला का भी नाम लिया. उन्होंने कहा- यह विधायक उनके साथ भी ऐसी ही बदसलूकी कर चुका है. बस तब बात सामने नहीं आ सकी थी. आप उनसे पूछ सकते हैं. वे मीटिंग छोड़कर चले आए थे. मैं ये सब बात व्यक्तिगत हैसियत से कह रहा हूँ. सांसद ने इस घटना की शुरुआत के बारे में भी बातें की. उनके मुताबिक वे इंजीनियर से बात कर रहे थे. उससे पूछ रहे थे ना कि विधायक से. मगर वह बीच में बोल पड़ा. शरद त्रिपाठी ने इसकी वजह भी बताई. उन्होंने आरोप लगाया कि इंजीनियर विधायक राकेश सिंह बघेल का 'साइट पार्टनर' है. दोनों मिलकर काम करते हैं. अपने पार्टनर से मुझे पूछताछ करता देख वह भड़क उठा.
जांच करवाइये, खुल जायेगी सारी कलई
शरद त्रिपाठी ने विधायक पर भ्रष्टाचार के कई संगीन आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा विधायक को ही तमाम ठेके मिलते आए हैं. आप जाकर जांच कीजिए. टोटल ठेका उसी का है. एक-एक सड़क पर चार चार विभाग से वह पेमेंट करवा रहा है. दबाव बनाकर. 2 साल में बनाई गई सभी सड़कों की जांच हो जाए. ढाई करोड़ से तीन करोड़ के जितने भी काम पिछले 2 साल में हुए हैं, सब उसने अकेले ही पाए हैं. 3 से 4 करोड़ की जितनी सड़कें हैं, वे सबका काम अकेले करवा रहे हैं. उसकी मलेशिया और सिंगापुर में संपत्तियां भी हैं. मैं सारे एविडेंसेस आपको दूंगा. मुझे कोई व्यक्ति सब भेज रहा है. उसके भाई पर ईडी का छापा भी पढ़ चुका है. वे इन सबकी जानकारी नेतृत्व के सामने रखेंगे. सांसद ने आरोप लगाया कि परिवहन डिपो भी विधायक बनवा रहे हैं. आप पूछिए परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव जी से कि कौन बनवा रहा है. विधायक बनवा रहे हैं कि नहीं? उन्हीं के साथ के गौरव सिंह बनवा रहे हैं. ढाई करोड़ का ठेका है. आप जांच कर लीजिए. सारी कलई खुल जाएगी कि कितना बड़ा घोटाला है.
मुझ पर मंडरा रहा है खतरा
शरद त्रिपाठी ने कहा कि उनकी इच्छा है कि इस मामले का दूसरा पहलू भी सामने आए. उन्होंने सारी बात अध्यक्ष जी को बता दी है. उनके खिलाफ कभी कोई एफआईआर नहीं रही. उन्होंने कभी कोई अभद्र आचरण नहीं किया. संसद का कार्यकाल आप देख लीजिए. आप लोग तो नजदीक से देखे हैं. आदमी मान सम्मान के लिए ही राजनीति करता है, नहीं तो घर चलाने के लिए तो बहुत सारे व्यवसाय हैं. शरद त्रिपाठी ने इस झगड़े के बाद उन पर खतरे के बाबत भी बात की. उन्होंने कहा कि यह जो हुआ है, इसके बाद खतरा तो स्वाभाविक है. उनके ऊपर खतरा है और यह खतरा देखना नेतृत्व का काम है. वह उन्हें सुरक्षा दे. उनकी सुरक्षा के बारे में नेतृत्व सोचे कि वह उन्हें सुरक्षित रखेगा या असुरक्षित रखेगा