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आईएएस इंद्र विक्रम सिंह ने रचा इतिहास, शाहजहांपुर में कोरोना पॉजिटिव की संख्या 1 से ज्यादा नहीं बढने दी, जानिये कैसे
शाहजहांपुर. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का शाहजहांपुर अब प्रदेश के कोरोना फ्री डिस्ट्रिक्स में एक है, जहां पर कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का एक भी मामला नहीं है. बीते दिनों, जिले के इकलौते कोरोना पॉजिटिव मरीज की लगातार दो बार रिपोर्ट निगेटिव आई थी, जिसके बाद उसे 14 दिनों के क्वायंटाइन सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया है. शाहजहांपुर (Shahjahanpur) जिले की तारीफ इस बात को लेकर भी हो रही है कि यहां के जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण के मामले को एक से दो में तब्दील नहीं होने दिया गया. यह सब कैसे संभव हुआ, यह जानने के लिए शाहजहांपुर के जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह से विस्तार में बात की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:-
प्रदेश में शाहजहांपुर की चर्चा इसलिए भी है, क्यों कि यहां एक मामला आया था और वह एक तक सीमित रहा. आपने उसे बढ़ने नहीं दिया. अब तो आपका जिला कोरोना फ्री हो चुका है. यह सब संभव कैसे हुआ.
शाहजहांपुर में अब तक एक ही मामला सामने आया था. समय रहते इस मामले को खोजकर अस्पताल तक पहुंचाना एक बड़ी उपलब्धि रही है. इस शख्स को अस्पताल पहुंचाने के बाद हमने पूरे इलाके को बार-बार सैनिटाइज कराया. तीन किमी के दायरे में रहने वाले हर शख्स की स्क्रीनिंग की गई. हल्का सा शक होने पर सैंपल जांच के लिए भेजे गए. लॉकडाउन एवं शोसल डिस्टेंसिंग का पालन कराया गया. न केवल शहरी क्षेत्र बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी हमारी टीमों ने पूरी सक्रियता दिखाई. इन्हीं सब प्रयासों के चलते जिले में कोरोना वायरस के संक्रमण को बढ़ने नहीं दिया गया. हमारी चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है. अभी भी खतरा पहले जैसा ही है, लिहाजा, जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार सतर्कता बनाए हुए हैं.
कोरोना संक्रमण का सोर्स का पता लगाना बेहद अहम है. आपके यहां कोरोना संक्रमित शख्स वायरस की चपेट में कैसे आया और इस शख्स के बारे में आपको कैसे पता चला.
डिस्ट्रिक्ट इंटेलीजेंस के जरिए हमें जानकारी मिली थी कि दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन में हुए एक मजहबी जलसे में शरीक होने वाले कुछ लोग शाहजहांपुर पहुंचे हुए हैं. जांच में पता चला कि ये लोगों ने इलाके की एक मस्जिद में पनाह ले रखी है. सूचना के आधार पर जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की ज्वाइंट टीम ने मस्जिद में 9 लोगों को कब्जे में लिया था. ये सभी लोग थाईलैंड, देहरादून और तमिलनाडु के रहने वाले थे. इन सभी को जिला अस्पताल लाया गया. जहां इन्हें क्वायंटाइन कर जांच के लिए सैंपल लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी भेज दिया गया. 12 मार्च को मिली रिपोर्ट में थाईलैंड से आए एक व्यक्ति को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो गई, जबकि बाकी 8 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई. इस सभी को क्वायंटाइन करने के बाद कोरोना पॉजिटिव पाए गए शख्स को इलाज के लिए भर्ती कराया दिया गया.
यह बात तो एक केस तक पहुंचने की थी, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती शहर में दाखिल हो चुके संक्रमण को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचने से रोकना था. यह कैसे संभव हुआ.
पहला कोरोना पॉजिटिव केस सामने आने के बाद प्रशासन ने वृहद स्तर पर कदम उठाए. इन कदमों के तहत, जिन इलाकों से इनको पकड़ा गया था, वहां पर बार-बार सैनिटाइजेशन कराया गया. डोर-टू-डोर जाकर करीब 8500 लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इसमें रैंडम तरीके से लोगों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए. यह सब प्रकिया चल रही थी, तभी देश में पहला लॉकडाउन लागू हो गया. बड़ी तादाद में लोग पलायन करके जनपद के विभिन्न इलाकों में पहुंचने लगे. इस तरह के करीब 11 हजार लोगों की पहचान की गई. जिन्हें होम क्वायंटाइन में रखा गया है. इन लोगों पर नजर रखने के लिए वृहद सिस्टम भी तैयार किया गया है. इसके अलावा, आठ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें इंस्टीट्यूशनल क्वारेंटाइन किया गया है. इनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं. इस तरह हर स्तर पर अभियान चलाकर संक्रमण को रोकने का प्रयास किया गया है.
कई जगहों पर देखा गया कि एक धर्म विशेष में इस टेस्ट को लेकर बेहद नाराजगी थी. अब रमजान का महीना भी आ रहा है. ऐसे में लॉकडाउन को बरकरार रख पाना जिला प्रशासन के लिए कितनी बड़ी चुनौती होगी.
गनीमत रही कि शाहजहांपुर जनपद में इस तरह का एक भी मामला सामने नहीं आया. जहां भी हमारी टीमें गई, वहां पर उनका पूरा सहयोग किया गया. हमें लोगों को निकालने में किसी तरह का विरोध नहीं देखना पड़ा. वहीं, जहां तक रमजान के महीने की बात है. हमारी धर्म गुरुओं से बात हुई है. इस बात को वह भी समझ रहे हैं कि यह वक्त घर से बाहर निकल कर किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने का नहीं है. लिहाजा, सभी लोग घर पर रहकर रजामन की तैयारियां करेंगे और घर में रहकर रमजान मनाया जाएगा. हमारे लिए यह बेहद खुशी की बात है कि लोग मौजूदा परिस्थितियों को समझते हुए बेहद समझदारी के साथ प्रशासन की मदद कर रहे हैं.
बीते दिनों, शाहजहांपुर से एक मामला आया, जिसमें एक लोककलाकार ने हॉस्पिटल स्टाफ पर अमानवीय होने का आरोप लगाया. यह क्या मामला था और इस तरह के मामलों से किस तरह निपटा जा रहा है.
इस मामले में शिकायतकर्ता दिल्ली के स्कूल ऑफ ड्रामा की छात्रा हैं. जब, वह आई थीं तब उन्हें खांसी और जुखाम की शिकायत थी. इसीलिए, उन्हें हॉस्पिटल में क्वायंटाइन करके सैंपल को जांच के लिए भेजा गया था. प्रावधानों के तहत, उनको अलग आइसोलेट वार्ड में रखा गया था. साथ ही, यह प्रावधान है कि मेडिकल स्टाफ भी आवयश्यकता पड़ने पर मरीज से मिलेगा. लिहाजा, जिस वार्ड में वह थीं, वहां कोई मेडिकल स्टाफ नहीं था. जहां तक दरवाजा बंद करने का आरोप है तो उस वार्ड के दरवाजों में कुंडी ही नहीं है, तो उसे लगाने का सवाल ही नहीं उठता. दरअसल, हॉस्पिटल के माहौल और अकेलेपन की वजह से घबरा गई थीं, जिसके चलते यह पूरा प्रकरण हुआ. बाद में, उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आई. सभी मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन कराने के बाद, उन्हें घर भेज दिया गया.
लॉक डाउन के दौरान के लोगों को कुछ रियायतें दी गई थी. इन रियायतों को लेकर जिलाधिकारी की तरफ से आदेश जारी हुए थे. रियायतों के तहत, कुछ अपरिहार्य कारणों से लोग घर से बाहर निकल सकते हैं. लेकिन यह देखा गया कि रास्तों में तैनात पुलिसकर्मी बिना कुछ पूछे डंडे बरसा रहे हैं. क्या इन पुलिस कर्मियों को ऐसा करने के निर्देश दिए गए हैं.
इन बातों को लेकर हम लगातार अपने पुलिस के जवानों को सेंसिटाइज कर रहे हैं. मैं खुद और हमारे पुलिस अधीक्षक लगातार जवानों को यह बता रहे हैं कि इस दौरान हमारा बर्ताव कैसा हो. जवानों को स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि लॉकडाउन में बाहर निकलने वाले लोगों से पहले संवाद कर पूछा जाए कि वह बाहर क्यों निकले हैं. संतोषजनक जवाब मिलने पर उन्हें जाने दिया जाए. यदि जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें समझाकर वापस भेजा जाए. यदि किसी भी तरह से वह नहीं मानते हैं तो कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए, जिसमें बल प्रयोग भी शामिल है. कई बार ऐसी भी स्थिति आती है जब लोग पुलिस कर्मियों को इनता झुंझला देते हैं कि उन्हें मजबूरी में कार्रवाई करनी पड़ती है.