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- गरीब मुकेश को दरकार...
गरीब मुकेश को दरकार जीवन दाता की, लीवर सिरोसिस से पीड़ित मुकेश के पास खाने तक के लाले दवाई कैसे हो
कहा गया है की गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप और अमीरी सबसे बड़ा वरदान। गरीबी वह भी ऐसी ना रहने को छत ना खाने को अन्न और ना पहनने को कपड़ा दवा के पैसे की तो बात ही क्या ऊपर से बीमारी ऐसी की नाम सुनकर ही सांस ठहर जाए।
हम बात कर रहे हैं थाना निगोही के लधौला निवासी 27 वर्षीय मुकेश कुमार दो बच्चों का पिता रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली मजदूरी करने गया वहां से लौटा तो असाध्य रोग लेकर। पेट में बार-बार उठने वाले दर्द कि जब जांच कराई तो चिकित्सकों ने लिवर सिरोसिस बताया। चिकित्सक तो धरती के भगवान माने जाते हैं इसलिए धरती के भगवान ने पैसा ना होने के कारण गरीब मुकेश को दवा देने से मना कर दिया। अब मुकेश दवा लेता भी तो कहाँ से क्योंकि उसके पास रहने के लिए एक टूटे-फूटे कमरे के अलावा बाकी कोई संपत्ति नहीं है।
विधवा मां जो कुछ इधर-उधर से मजदूरी कर कमा लेती है उससे किसी प्रकार छोटे-छोटे बच्चों को भोजन मिल पाता। हालांकि राशन कार्ड होने से हर महीने खाद्यान्न मिल जाता है लेकिन दवा को पैसा कहां से आए। भूमिहीन मुकेश वापस घर आ गया। विधवा मां करे भी तो क्या जवान बेटे को जिंदगी और मौत के बीच झूलते देख रही है। मुकेश की मां कभी इसके सामने कभी उसके सामने झोली फैलाने को विवश हैं कि कोई तो पसीजेगा जो उसकी पहाड़ जैसी वेदना का मरहम बनेगा।
हर आने जाने वाले से मुकेश की मां गुहार लगा रही है कि कहीं से मेरे बेटे की मदद करवा दो। मैं इस सोशल मीडिया के माध्यम से मुकेश और उसकी मां की पीड़ा आपके पास भेज रहा हूं यदि संभव हो तो आप भी कुछ करिए शायद आपका किया हुआ सहयोग एक विधवा मां के बुढ़ापे की लाठी का जीवन बचा सके अभी तक ग्रामीण अपने स्तर से चंदा करके परिवार की मदद कर रहे हैं लेकिन लीवर सिरोसिस जैसी बीमारी से जूझते मुकेश की नजरें उस जीवनदाता को खोज रही हैं जो उसके जीवन की टूटती डोर को बचा सके जिंदगी और मौत से जूझ रहे मुकेश कुमार को हमारे आपके सब के सहयोग की आवश्यकता है यदि संभव हो सके तो आप भी कुछ करिए शायद आपका सहयोग ही एक टूटते बिखरते परिवार की जीवन रेखा बन जाए और लिवर सिरोसिस से पीड़ित मुकेश उसके दो छोटे-छोटे बच्चे और उसकी विधवा मां के जीवन में दिन पर दिन बढ़ रही निराशा का अंत हो सके।